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सत्र 2021-22 में इस राज्य के विद्यालयों में नहीं बढ़ेगी फीस, शिक्षा मंत्री ने दिए निर्देश

कोरोना महामारी की बढ़ती दर को कम करने के लिए लगाई गई पाबंदियों की वजह से उत्पन्न परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए विद्यालयों को फीस न बढ़ाने का आदेश दिया गया है। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री डॉ दिनेश शर्मा के अनुसार कोरोना महामारी की वजह से कई परिवारों के सामने पैसों की परेशानी उत्पन्न हो गई है। ऐसे में प्रदेश में संचालित सीबीएसई, आईसीएसई आदि बोर्ड के विद्यालयों को सत्र 2021-22 में कोई भी शुल्क न बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।
बढ़ी हुई फीस भर चुके अभिभावकों के लिए अहम जानकारी शिक्षा मंत्री ने बताया कि सत्र 2019-20 में लागू शुल्क संरचना के मुताबिक ही विद्यालय सत्र 2020-21 में अभिभावकों से फीस ले सकेंगे। अगर किसी विद्यालय ने शुल्क में वृद्धि की है, और अभिभावक बढ़ी हुई फीस भर चुके हैं, तो इन परिस्थितियों में विद्यालयों को आगामी महीनों में जमा शुल्क काे समायोजित करना होगा। वहीं अगर कोई अभिभावक तीन महीने की अग्रिम फीस देने में असमर्थ हैं तो वे मासिक शुल्क जमा कर सकते हैं।

कोरोना महामारी की बढ़ती दर को कम करने के लिए लगाई गई पाबंदियों की वजह से उत्पन्न परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए विद्यालयों को फीस न बढ़ाने का आदेश दिया गया है। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री डॉ दिनेश शर्मा के अनुसार कोरोना महामारी की वजह से कई परिवारों के सामने पैसों की परेशानी उत्पन्न हो गई है। ऐसे में प्रदेश में संचालित सीबीएसई, आईसीएसई आदि बोर्ड के विद्यालयों को सत्र 2021-22 में कोई भी शुल्क न बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। प्रदेश में संचालित समस्त शिक्षा बोर्डों के विद्यालयों द्वारा शैक्षणिक सत्र 2021–22 के लिए शुल्क में वृद्धि नहीं की जायेगी,सत्र 2019–20 में लागू की गई शुल्क संरचना के अनुसार ही शुल्क लिया जाएगा।

बढ़ी हुई फीस भर चुके अभिभावकों के लिए अहम जानकारी
शिक्षा मंत्री ने बताया कि सत्र 2019-20 में लागू शुल्क संरचना के मुताबिक ही विद्यालय सत्र 2020-21 में अभिभावकों से फीस ले सकेंगे। अगर किसी विद्यालय ने शुल्क में वृद्धि की है, और अभिभावक बढ़ी हुई फीस भर चुके हैं, तो इन परिस्थितियों में विद्यालयों को आगामी महीनों में जमा शुल्क काे समायोजित करना होगा। वहीं अगर कोई अभिभावक तीन महीने की अग्रिम फीस देने में असमर्थ हैं तो वे मासिक शुल्क जमा कर सकते हैं।