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मोदी की ‘वैक्सीन मैत्री’ ने साफ किया भगौड़े मेहुल चोकसी की वापसी का रास्ता

भगौड़े मेहुल चोकसी की गिरफ्तारी और अब वापसी की प्रक्रिया में मोदी सरकार की वैक्सीन मैत्री का असर साफ तौर पर दिखाई दिया है। जिस वैक्सीन मैत्री पर विपक्ष ने मोदी सरकार को बदनाम करने की पुरजोर साजिश की, उसी के चलते भगौड़ा मेहुल चोकसी आज शिकंजे में है। जिन डोमिनिकन गणराज्य में मेहुल चौकसी को गिरफ्तार किया गया है, वहां पीएम मोदी की पहल पर वैक्सीन की खेप भेजी गई थी। भारत से मिली इस जीवन रक्षक वैक्सीन से यहां के प्रधानमंत्री इस कदर भावुक हो गए थे कि खुद वैक्सीन उतारने पहुंच गए थे।
एंटीगुआ से लापता हुआ पंजाब नेशनल बैंक घोटाले का मुख्य आरोपी मेहुल चोकसी डोमिनिका में पकड़ा गया है। समुद्री मार्ग से क्यूबा भागने की तैयारी कर रहे मेहुल चोकसी की हालत उस धोबी के कुत्ते की तरह हो गई है, जो न क्यूबा का रहा है और न ही एंटीगुआ का। सुरक्षा अधिकारियों द्वारा पकड़े जाने के बाद संभावनाएं हैं कि उसे डायरेक्ट भारत को प्रत्यर्पित किया जा सकता है। इसकी वजह ये है कि एंटीगुआ की नागरिकता देने के बावजूद वहां की सरकार चोकसी से प्रत्यर्पण के मुद्दे पर तंग आ चुकी है, जिसके चलते उसने डोमिनिका प्रशासन से मेहुल को भारत भेजने की सिफारिश कर दी है जो कि मेहुल चोकसी के लिए सबसे बड़ा झटका है। वहीं भारत द्वारा कोरोना की वैक्सीन डोमिनिका भेजने के बाद से ही दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्ते काफी मजबूत हुए हैं।
जैसा कि TFI ने बताया था कि घोटालेबाज विजय माल्या के ब्रिटेन में भारत को प्रत्यर्पण की सारी कानूनी कार्रवाई पूरी होने के बाद भारत का एक अन्य भगोड़ा यानी मेहुल चोकसी डर गया था। अपने प्रत्यर्पण के डर से ही मेहुल चोकसी एंटीगुआ से गायब हो गया था। एंटीगुआ की सरकार उसे ढूंढने में नाकाम हो चुकी थी, जिसके बाद ये कहा जाने लगा था कि वो क्यूबा भाग गया है, लेकिन एक पुरानी कहावत “चौबे जी बनने गए थे छब्बे जी, और दुबे जी ही रह गए” सच हो गई। मेहुल चोकसी को समुद्री मार्ग में डोमिनिका गणराज्य के प्रशासन द्वारा हिरासत में ले लिया गया है और अब उसकी भारत वापसी की संभावनाएं 95% तक बढ़ गईं हैं।
मेहुल चोकसी की भारत वापसी की कई वजहें हैं। एक तरफ जहां इंटरपोल ने उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर रखा है जिसके तहत उसके पकड़े जाने पर उसे भारत के सुपुर्द किया जाएगा। तो दूसरी ओर नागरिकता देने के बावजूद प्रत्यर्पण के मुद्दे पर मेहुल चोकसी ने एंटीगुआ सरकार की नाक में दम कर दिया था, जिसके चलते एंटीगुआ सरकार ने सीधे तौर पर डोमिनिका से गुजारिश की है कि वो चोकसी को भारत को ही सौंप दें। इसके अलावा तीसरा और सबसे बड़ा कारण भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी है। कोरोना काल में भारत सरकार ने डोमिनिका की जनता के लिए महामारी से बचाव के लिए 35,000 स्वदेशी को-वैक्सीनन के डोज भेजे थे, जिसके बाद भारत के कूटनीतिक रिश्ते डोमिनिका गणराज्य के साथ काफी मजबूत हुए हैं।
इस पूरे प्रकरण के बाद 95% तक चोकसी की भारत वापसी की संभावनाएं हैं, वहीं 5% मामला एंटीगुआ और डोमिनिका की सरकार के बीच कानूनी दांव-पेंच में फंस सकता है जिसके तहत उसे एंटीगुआ लाया जाएगा, जिसके बाद उसे भारत के सुपुर्द कर दिया जाएगा। दोनों ही परिस्थितियों में ये तय है कि जल्द से जल्द भारत सरकार को मेहुल चोकसी की कस्टडी मिल सकती है। चोकसी के लिए खड़ी हुईं इन्हीं परिस्थितियों के कारण कहा जा रहा है कि मेहुल चोकसी धोबी का कुत्ता बन गया है, और भारत आने से बस एक फ़्लाइट की दूरी पर हैं।
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चोकसी ने सोचा था कि वो माल्या के प्रत्यर्पण के भारत सरकार का मुख्य टारगेट होगा और इसी डर के कारण वो एंटीगुआ से भागा लेकिन उसे ये अंदाज़ा नहीं था कि उसका ये भागने का प्लान ही उसके प्रत्यर्पण की असली वजह बनेगा और इस मुद्दे पर सबसे ज्यादा भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी काम आई हैं।