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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पांच और जिलों में मेडिकल सुविधाएं बढ़ाने का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के पांच जिलों भदोही, गाजीपुर, देवरिया, बलिया और शामली में भी मेडिकल सुविधाएं बढ़ाने का निर्देश दिया है ताकि इन जिलों में कोरोना संक्रमित को बेहतर इलाज मिल सके। कोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार ने बहराइच, श्रावस्ती, बिजनौर, बाराबंकी और जौनपुर में मेडिकल सुविधाओं में इजाफा कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस पर संतोष जताते हुए अदालत ने पांच और जिलों को इसी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
कोरोना संक्रमण के इलाज और चिकित्सा सुविधाओं की मॉनिटरिंग कर रही न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और अजीत कुमार की पीठ ने राज्य सरकार के अनुरोध पर बृहस्पतिवार को सुनवाई टाल दी है। कोर्ट के समक्ष स्व. न्यायमूर्ति वीके श्रीवास्तव के इलाज की जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की गई जिसे कोर्ट ने रिकार्ड पर रख लिया है। इस पर अगली तारीख को सुनवाई  होगी। प्रदेश सरकार की ओर से प्राइवेट डायग्नोस्टिक सेंटरों के लिए आरटीपीसीआर, एंटीजन और सिटी स्कैन जांचों का मूल्य निर्धारित करने की जानकारी दी गई। बताया गया कि प्राइवेट आरटीपीसीआर और एंटीजन, ट्रूनॉट के लिए 500 से 900 रुपये और प्राइवेट जांच के 1200 रुपये मूल्य निर्धारित किए गए हैं। इसी प्रकार से सिटी स्कैन के लिए 16 स्लाइश  के 2000 रुपये, 16 से 64 तक 2250 रुपये और 64 स्लाइश से अधिक के लिए 2500 रुपये मूल्य तय किया गया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से दिव्यांग जनों और ऐसे लोग जो टीकाकरण केंद्र तक जाने में असमर्थ हैं के टीकाकरण की जानकारी मांगी थी। राज्य सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि वह केंद्र द्वारा तय गाइड लाइन का पालन करेंगे। इस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई पर केंद्र सरकार से दिव्यांग जनों के टीकाकरण की योजना बताने को कहा है।
चुनाव ड्यूटी में जान गंवाने वालों को मानें कोरोना वॉरियर
पंचायत चुनाव के दौरान ड्यूूटी करने वाले अध्यापकों और सरकारी कर्मचारियों जिनकी संक्रमण से मौत हो गई को कोरोना वॉरियर मानने की मांग को लेकर अध्यापक राहुल गैंगले ने जनहित याचिका में  अर्जी दाखिल की है। उनके अधिवक्ता विभू राय का कहना था कि सरकार पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान संक्रमित होने और बाद में जान गंवाने वाले सरकारी कर्मचारियों को सिर्फ 30 लाख रुपये मुआवजा दे रही है। कोरोना वॉरियर्स के लिए मुआवजे की राशि 50 लाख रुपये है। यह नीति भेदभाव पूर्ण है। चुनाव ड्यूटी से जान गंवाने वालों को भी कोरोना वॉयरियर मानते हुए पचास लाख रुपये मुआवजा दिया जाए। अर्जी में कहा गया है कि चुनाव खत्म हो जाने के बाद भी संक्रमित कर्मचारियों को कोई मेडिकल सुविधा नहीं दी गई। इसके फल स्वरूप बहुत से कर्मचारियों के परिवारों ने इकलौते कमाने वाले को खो दिया है। उनके परिवार आज लावारिस जैसी हालत हैं। इसलिए पीडित परिवारों को उचित मुआवजा पाने का हक है। कोर्ट ने राज्य सरकार को अर्जी पर विचार कर अगली सुनवाई पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई सात जून से प्रारंभ होने वाले सप्ताह में होगी।