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बंधक बनाकर युवक को पीटने पर बसपा नेता समेत तीन गए जेल

अनुसूचित जाति के युवक ने लगाया था आरोप, 11 जून तक न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजालखीमपुर खीरी। पार्टी में सेल्फी खींचने के दौरान हुए विवाद के बाद अनुसूचित जाति के युवक को बंधक बनाकर पीटने के आरोप में सोमवार को बसपा नेता मोहन वाजपेयी और उनके दो साथियों को कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। दोपहर बाद तीनों को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।सोमवार को सुबह करीब दस बजे मोहन वाजपेयी और उनके दो साथियों, रामनरेश और जीतू राज को गिरफ्तार किया। आरोपी काले रंग की स्कार्पियो गाड़ी में थे। प्रभारी निरीक्षक प्रभातेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि तीनों को सीतापुर की ओर जाते समय एलआरपी चौकी क्षेत्र में गिरफ्तार किया गया है।कोतवाली पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया, जहां अपर जिला जज रामेंद्र कुमार की अदालत में वरिष्ठ अधिवक्ता अवधेश सिंह महेंद्र तिवारी व अजय पांडे ने सात साल से कम सजा वाले मामले में गिरफ्तारी को चुनौती दी। वहीं अभियोजन अधिकारी घनश्याम गुप्ता ने दलित एक्ट के प्रावधानों का हवाला देते हुए रिमांड पर उठाई जा रही आपत्तियों को निराधार बताया। सुनवाई काफी देर तक चली। इस दौरान मोहन बाजपेई के सैकड़ों समर्थक भी कचहरी परिसर में मौजूद रहे। देर शाम अदालत में रिमांड पर उठाई जा रही आपत्तियों को खारिज करते हुए बसपा नेता को दोनों साथियों सहित 11 जून तक के लिए न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। वहीं सात साल से कम की सजा होने पर रूटीन गिरफ्तारी न किए जाने की बात कहते हुए बचाव पक्ष की ओर से अंतरिम जमानत दिए जाने की मांग की गई, जिसकी सुनवाई के लिए अदालत ने एक जून की तिथि लगाई है।
धरी रह गई सुरक्षा व्यवस्था
कचहरी परिसर में कोरोना संक्रमण को देखते हुए दो जून तक केवल वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई का आदेश दिया गया है। विशेष परिस्थितियों में केवल अधिवक्ताओं को ही कोर्ट परिसर में आने की अनुमति है, लेकिन मोहन वाजपेयी के समर्थक और मिलने वाले कोर्टरूम से कचहरी परिसर में डटे रहे। सुरक्षा व्यवस्था में सीओ अरविंद कुमार वर्मा, शहर कोतवाल प्रभातेश कुमार, एसआई मनीष पाठक, सिपाही पैरोकार उमेश कुमार, हेड सिपाही दिनेश यादव सहित बड़ी संख्या में पुलिस बल कचहरी परिसर में दिन भर तैनात रहा
सदर विधायक के दखल से मामला हुआ सियासी
घटनाक्रम को विधानसभा चुनाव की तैयारियों से भी जोड़ा जा रहा है, क्योंकि मोहन भी 2022 का चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे थे। नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में मोहन वाजपेयी ने अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाया था। पेशे से ट्रांसपोर्ट व्यवसायी होने के कारण मोहन वाजपेयी पहले से विवादों के घिरे रहे हैं, जिससे उनके खिलाफ कई मुकदमे भी दर्ज हैं। मोहन ने रविवार को रिपोर्ट दर्ज होने के बाद अपनी व अपने परिवार को जानमाल का नुकसान होने का खतरा भी जताया था। वहीं सदर विधायक योगेश वर्मा से संपर्क नहीं हो पाने के कारण उनका पक्ष नहीं मिल पा रहा है, लेकिन उनकी भूमिका को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं।
सतीश ने मोहन को बताया गुंडा, तीन साल तक साथ रहकर चुनाव का दौरा भी कराया
बसपा नेता मोहन वाजपेयी के खिलाफ अपहरण और मारपीट के आरोप में रिपोर्ट दर्ज कराने वाले सतीश राजपूत ने मोहन वाजपेयी को गुंडा और दबंग बताया है। उसने कोतवाली में चीखकर कहा कि मोहन के चेयरमैनी चुनाव में तीन साल तक दौरा कराया था। इसके बाद भी उन्होंने हमारे साथ ये किया। उसने रोते हुए आरोप लगाया कि मोहन व उसके साथियों ने घर पर एक घंटे तक बंधक बनाए रखा। किसी तरह वहां से भागकर पुलिस को सूचना दी।

अनुसूचित जाति के युवक ने लगाया था आरोप, 11 जून तक न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजा

लखीमपुर खीरी। पार्टी में सेल्फी खींचने के दौरान हुए विवाद के बाद अनुसूचित जाति के युवक को बंधक बनाकर पीटने के आरोप में सोमवार को बसपा नेता मोहन वाजपेयी और उनके दो साथियों को कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। दोपहर बाद तीनों को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।

सोमवार को सुबह करीब दस बजे मोहन वाजपेयी और उनके दो साथियों, रामनरेश और जीतू राज को गिरफ्तार किया। आरोपी काले रंग की स्कार्पियो गाड़ी में थे। प्रभारी निरीक्षक प्रभातेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि तीनों को सीतापुर की ओर जाते समय एलआरपी चौकी क्षेत्र में गिरफ्तार किया गया है।

कोतवाली पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया, जहां अपर जिला जज रामेंद्र कुमार की अदालत में वरिष्ठ अधिवक्ता अवधेश सिंह महेंद्र तिवारी व अजय पांडे ने सात साल से कम सजा वाले मामले में गिरफ्तारी को चुनौती दी। वहीं अभियोजन अधिकारी घनश्याम गुप्ता ने दलित एक्ट के प्रावधानों का हवाला देते हुए रिमांड पर उठाई जा रही आपत्तियों को निराधार बताया। सुनवाई काफी देर तक चली। इस दौरान मोहन बाजपेई के सैकड़ों समर्थक भी कचहरी परिसर में मौजूद रहे। देर शाम अदालत में रिमांड पर उठाई जा रही आपत्तियों को खारिज करते हुए बसपा नेता को दोनों साथियों सहित 11 जून तक के लिए न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। वहीं सात साल से कम की सजा होने पर रूटीन गिरफ्तारी न किए जाने की बात कहते हुए बचाव पक्ष की ओर से अंतरिम जमानत दिए जाने की मांग की गई, जिसकी सुनवाई के लिए अदालत ने एक जून की तिथि लगाई है।
धरी रह गई सुरक्षा व्यवस्था
कचहरी परिसर में कोरोना संक्रमण को देखते हुए दो जून तक केवल वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई का आदेश दिया गया है। विशेष परिस्थितियों में केवल अधिवक्ताओं को ही कोर्ट परिसर में आने की अनुमति है, लेकिन मोहन वाजपेयी के समर्थक और मिलने वाले कोर्टरूम से कचहरी परिसर में डटे रहे। सुरक्षा व्यवस्था में सीओ अरविंद कुमार वर्मा, शहर कोतवाल प्रभातेश कुमार, एसआई मनीष पाठक, सिपाही पैरोकार उमेश कुमार, हेड सिपाही दिनेश यादव सहित बड़ी संख्या में पुलिस बल कचहरी परिसर में दिन भर तैनात रहा

सदर विधायक के दखल से मामला हुआ सियासी
घटनाक्रम को विधानसभा चुनाव की तैयारियों से भी जोड़ा जा रहा है, क्योंकि मोहन भी 2022 का चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे थे। नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में मोहन वाजपेयी ने अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाया था। पेशे से ट्रांसपोर्ट व्यवसायी होने के कारण मोहन वाजपेयी पहले से विवादों के घिरे रहे हैं, जिससे उनके खिलाफ कई मुकदमे भी दर्ज हैं। मोहन ने रविवार को रिपोर्ट दर्ज होने के बाद अपनी व अपने परिवार को जानमाल का नुकसान होने का खतरा भी जताया था। वहीं सदर विधायक योगेश वर्मा से संपर्क नहीं हो पाने के कारण उनका पक्ष नहीं मिल पा रहा है, लेकिन उनकी भूमिका को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं।

सतीश ने मोहन को बताया गुंडा, तीन साल तक साथ रहकर चुनाव का दौरा भी कराया
बसपा नेता मोहन वाजपेयी के खिलाफ अपहरण और मारपीट के आरोप में रिपोर्ट दर्ज कराने वाले सतीश राजपूत ने मोहन वाजपेयी को गुंडा और दबंग बताया है। उसने कोतवाली में चीखकर कहा कि मोहन के चेयरमैनी चुनाव में तीन साल तक दौरा कराया था। इसके बाद भी उन्होंने हमारे साथ ये किया। उसने रोते हुए आरोप लगाया कि मोहन व उसके साथियों ने घर पर एक घंटे तक बंधक बनाए रखा। किसी तरह वहां से भागकर पुलिस को सूचना दी।