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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि अग्रिम जमानत अर्जी बिना किसी विशेष कारण के सीधे हाईकोर्ट में दाखिल नहीं की जा सकती है। हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल करने के लिए विशेष परिस्थिति का उल्लेख करना आवश्यक है। कोर्ट ने बिना विशेष वजह बताए दाखिल की गई अग्रिम जमानत अर्जी स्वीकार करने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि 5 जजों की वृहदपीठ का फैसला है कि अग्रिम जमानत अर्जी सीधे हाईकोर्ट में दाखिल करने के लिए उन कारणों व विशेष परिस्थितियों का उल्लेख करना होगा कि याची क्यों नहीं अग्रिम जमानत की अर्जी संबंधित सत्र न्यायालय में दे सका। यदि संतोषजनक कारणों का जिक्र नहीं है तो सीधे हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी ग्राह्य नहीं है ।यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने गाजियाबाद के भोपाल व दो अन्य की तरफ से दाखिल याचिका को खारिज करते हुए पारित किया है। याचीगण के खिलाफ गाजियाबाद के थाना- साहिबाबाद में धोखाधड़ी्, जान से मारने की धमकी, आपराधिक षड्यंत्र, भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 471, 506,120 बी, 34 व 386 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज है । इस मामले में याचिका दायर कर हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत की मांग की गई थी।हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचीगण ने कहीं भी उन विशेष परिस्थितियों का उल्लेख नहीं किया है कि वे क्यों इसके लिए सत्र न्यायालय नहीं जा सकते अथवा वह कौन सी विशेष परिस्थिति है कि हाईकोर्ट सीधे इस मामले की सुनवाई करे। कोर्ट ने कहा कि उसे इस प्रकार की याचिकाओं को सुनने से पहले उसकी ग्राह्यता को देखना होगा। कोर्ट ने याचिका खारिज कर याचीगण को यह छूट दी है कि वे इसके लिए सत्र न्यायालय में अर्जी दाखिल कर सकते हैं।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि अग्रिम जमानत अर्जी बिना किसी विशेष कारण के सीधे हाईकोर्ट में दाखिल नहीं की जा सकती है। हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल करने के लिए विशेष परिस्थिति का उल्लेख करना आवश्यक है। कोर्ट ने बिना विशेष वजह बताए दाखिल की गई अग्रिम जमानत अर्जी स्वीकार करने से इंकार कर दिया है।
कोर्ट ने कहा कि 5 जजों की वृहदपीठ का फैसला है कि अग्रिम जमानत अर्जी सीधे हाईकोर्ट में दाखिल करने के लिए उन कारणों व विशेष परिस्थितियों का उल्लेख करना होगा कि याची क्यों नहीं अग्रिम जमानत की अर्जी संबंधित सत्र न्यायालय में दे सका। यदि संतोषजनक कारणों का जिक्र नहीं है तो सीधे हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी ग्राह्य नहीं है ।
यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने गाजियाबाद के भोपाल व दो अन्य की तरफ से दाखिल याचिका को खारिज करते हुए पारित किया है। याचीगण के खिलाफ गाजियाबाद के थाना- साहिबाबाद में धोखाधड़ी्, जान से मारने की धमकी, आपराधिक षड्यंत्र, भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 471, 506,120 बी, 34 व 386 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज है । इस मामले में याचिका दायर कर हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत की मांग की गई थी।
हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचीगण ने कहीं भी उन विशेष परिस्थितियों का उल्लेख नहीं किया है कि वे क्यों इसके लिए सत्र न्यायालय नहीं जा सकते अथवा वह कौन सी विशेष परिस्थिति है कि हाईकोर्ट सीधे इस मामले की सुनवाई करे। कोर्ट ने कहा कि उसे इस प्रकार की याचिकाओं को सुनने से पहले उसकी ग्राह्यता को देखना होगा। कोर्ट ने याचिका खारिज कर याचीगण को यह छूट दी है कि वे इसके लिए सत्र न्यायालय में अर्जी दाखिल कर सकते हैं।
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