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पांच साल बाद भी पूरी नहीं हो सकी 12460 पदों पर शिक्षकों की भर्ती

 प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों के 12406 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया पांच साल बाद भी पूरी नहीं हो सकी है। आधे अभ्यर्थियों को तो नियुक्ति मिल गई, लेकिन बाकी आधे अभ्यर्थी नियुक्ति के लिए भटक रहे हैं। अभ्यर्थियों ने धरना-प्रदर्शन, सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें अनसुना कर दिया गया।15 दिंसबर 2016 को शिक्षकों के 12460 पदों पर भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया था। मार्च 2017 में भाजपा की सरकार बनते ही समीक्षा के नाम पर भर्ती रोक दी गई थी। समीक्षा के दौरान भर्ती सही पाई गई। अभ्यर्थियों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में मुकदमा जीत लिया। इसके बाद भी सरकार ने भर्ती शुरू नहीं की तो अभ्यर्थी सडक़ पर उतर आए। 18 अप्रैल 2018 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीधे इस मामले की दखल दी तो भर्ती शुरू हुई तकरीबन 6512 लोगों को नियुक्ति भी मिल गई, लेकिन इस बीच भर्ती फिर से कोर्ट की प्रक्रिया में उलझ गई और 5948 अभ्यर्थियों का नियुक्ति पत्र अधर में लटक गया।

सभी 5948 अभ्यर्थियों के दस्तावेज संबंधित जनपद के बीएसए ऑफिस में जमा हैं। उन्हें स्कूल भी आवंटित हैं, लेकिन नियुक्ति नहीं मिल रही। अभ्यर्थियों को आराप है कि प्रदेश सरकार इस मामले में कोर्ट में पैरवी करने में लापरवाही बरत रही है। लगता है कि सरकार नियुक्ति देना ही नहीं चाहती। अभ्यर्थियों की मांग हैं कि मुख्यमंत्री उनकी पीड़ा को समझें और इस समस्या निराकरण शीघ्र कराएं।नहीं भरे जा सके पांच हजार से अधिक रिक्त पदबेसिक शिक्षा विभाग की 69 हजार शिक्षक भर्ती के दो चरणों की प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी पांच हजार से अधिक पद रिक्त हैं। इसके अलावा एसटी श्रेणी के 1133 पद खाली हैं। 23 मर्च को बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने प्रेस कांफ्रेंस कर रिक्त पदों को एक माह में भरने की बात कही  थी। ढाई माह हो चुके हैं और पर खाली पड़े हुए हैं। अभ्यर्थियों को कहना है कि कोरोना काल में आर्थिक किस्थत काफी दयनीय हो चुकी है। सरकार से मांग करते हैं कि रिक्त पदों को शीघ्र भरा जाए।धर, 69 हजार शिक्षक भर्ती से जुड़े एक अन्य मामले में आरक्षण के मसले को लेकर सरकार की ओर से राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग की अंतरिम रिपोर्ट पर जवाब ने दिए जाने से अभ्यर्थी परेशान हैं और उन्होंने राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को ईमेल के माध्यम से पत्र भेजकर शिकायत दर्ज कराई है। अभ्यर्थियों का दावा है कि ओबीसी वर्ग की 5844 सीटें अनारक्षित वर्ग को दे दी गईं। मांग की गई है कि ओबीसी अभ्यर्थियों की उनके लिए आरक्षित सीटों के सापेक्ष भर्ती की जाए। राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को पत्र लिखने वालों में अंजू गंगवार, अभय सिंह यादव, राजेश चौधरी, मनोज प्रजापति, मनोज चौरसिया, राजेश चौधरी, मनोज प्रजापति आदि शामिल हैं।प्रमोशन के लिए डीएलए अभ्यर्थियों ने ट्विटर पर चलाया अभियानडीएलएड तृतीय सेमेस्टर को प्रमोट किए जाने की मांग तेज हो गई है। इस मुद्दे पर डीएलएड तृतीय सेमेस्टर के प्रशिक्षुओं ने ट्विटर पर अभियान भी शुरू कर दिया है। डीएमएड संयुक्त प्रशिक्षु मोर्चा के बैनर तले इस अभियान में दो दिनों के भीतर ढाई लाख ट्वीट किए गए हैं। मोर्चा के अध्यक्ष रविकांत द्विवेदी ने बताया कि यह ट्विटर अभियान तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार प्रमोशन संबंधी शासनादेश जारी नहीं कर देती। तृतीय सेमेस्टर को पूर्ण हुए चार माह का समय बीत चुका है। आगामी छह अगस्त को चतुर्थ सेमेस्टर भी पूर्ण होने को है। मांग की गई कि डीएलए तृतीय सेमेस्टर के प्रशिक्षुओं के प्रमोशन की कार्यवाही शीघ्र पूरी की जाए।शिक्षामित्रों को भी मिले अन्य शिक्षकों की तरह वेतनप्रयागराज। अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने प्रदेश में कार्यरत शिक्षामित्रों, संविदा शिक्षकों को जून माह का मानदेय और शिक्षकों के समान नौकरी एवं वेतन दिए जाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है। इससे पूर्व उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश मंत्री कौशल सिंह ने अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष् रामपाल सिंह को पत्र भेजकर शिक्षामित्रों की समस्या के निराकरण के लिए आवश्यक कदम उठाने का अनुरोध किया था, जिसके बाद कौशल सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा।
प्रतियोगियों को भर्ती का आदेश नहीं, विज्ञापन चाहिएरोजगार के मुद्दे पर लगातार हो रहे आंदोलन के मद्देनजर तमाम विभागों में अब रिक्त पदों का ब्योरा तैयार किया जा रहा है, ताकि भर्ती शीघ्र शुरू की सके। इस मसले पर युवा मंच के अध्यक्ष अनिल सिंह का कहना है कि इससे कोई फायदा नहीं होगा। एक तरफ तीसरी लहर आने की बात कही जा रही है और अगले साल यूपी का विधानसभा चुनाव भी है। सरकार भर्ती के आदेश के बजाय, अब सीधे विज्ञापन जारी करे और सभी पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शीघ्र पूरी करे। सिर्फ भर्ती का आदेश देने से बेरोजगारों को राहत नहीं मिलेगी।

परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों के 12406 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया पांच साल बाद भी पूरी नहीं हो सकी है। आधे अभ्यर्थियों को तो नियुक्ति मिल गई, लेकिन बाकी आधे अभ्यर्थी नियुक्ति के लिए भटक रहे हैं। अभ्यर्थियों ने धरना-प्रदर्शन, सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें अनसुना कर दिया गया।

15 दिंसबर 2016 को शिक्षकों के 12460 पदों पर भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया था। मार्च 2017 में भाजपा की सरकार बनते ही समीक्षा के नाम पर भर्ती रोक दी गई थी। समीक्षा के दौरान भर्ती सही पाई गई। अभ्यर्थियों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में मुकदमा जीत लिया। इसके बाद भी सरकार ने भर्ती शुरू नहीं की तो अभ्यर्थी सडक़ पर उतर आए। 18 अप्रैल 2018 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीधे इस मामले की दखल दी तो भर्ती शुरू हुई तकरीबन 6512 लोगों को नियुक्ति भी मिल गई, लेकिन इस बीच भर्ती फिर से कोर्ट की प्रक्रिया में उलझ गई और 5948 अभ्यर्थियों का नियुक्ति पत्र अधर में लटक गया।

सभी 5948 अभ्यर्थियों के दस्तावेज संबंधित जनपद के बीएसए ऑफिस में जमा हैं। उन्हें स्कूल भी आवंटित हैं, लेकिन नियुक्ति नहीं मिल रही। अभ्यर्थियों को आराप है कि प्रदेश सरकार इस मामले में कोर्ट में पैरवी करने में लापरवाही बरत रही है। लगता है कि सरकार नियुक्ति देना ही नहीं चाहती। अभ्यर्थियों की मांग हैं कि मुख्यमंत्री उनकी पीड़ा को समझें और इस समस्या निराकरण शीघ्र कराएं।
नहीं भरे जा सके पांच हजार से अधिक रिक्त पद
बेसिक शिक्षा विभाग की 69 हजार शिक्षक भर्ती के दो चरणों की प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी पांच हजार से अधिक पद रिक्त हैं। इसके अलावा एसटी श्रेणी के 1133 पद खाली हैं। 23 मर्च को बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने प्रेस कांफ्रेंस कर रिक्त पदों को एक माह में भरने की बात कही  थी। ढाई माह हो चुके हैं और पर खाली पड़े हुए हैं। अभ्यर्थियों को कहना है कि कोरोना काल में आर्थिक किस्थत काफी दयनीय हो चुकी है। सरकार से मांग करते हैं कि रिक्त पदों को शीघ्र भरा जाए।
धर, 69 हजार शिक्षक भर्ती से जुड़े एक अन्य मामले में आरक्षण के मसले को लेकर सरकार की ओर से राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग की अंतरिम रिपोर्ट पर जवाब ने दिए जाने से अभ्यर्थी परेशान हैं और उन्होंने राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को ईमेल के माध्यम से पत्र भेजकर शिकायत दर्ज कराई है। अभ्यर्थियों का दावा है कि ओबीसी वर्ग की 5844 सीटें अनारक्षित वर्ग को दे दी गईं। मांग की गई है कि ओबीसी अभ्यर्थियों की उनके लिए आरक्षित सीटों के सापेक्ष भर्ती की जाए। राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को पत्र लिखने वालों में अंजू गंगवार, अभय सिंह यादव, राजेश चौधरी, मनोज प्रजापति, मनोज चौरसिया, राजेश चौधरी, मनोज प्रजापति आदि शामिल हैं।

प्रमोशन के लिए डीएलए अभ्यर्थियों ने ट्विटर पर चलाया अभियान

डीएलएड तृतीय सेमेस्टर को प्रमोट किए जाने की मांग तेज हो गई है। इस मुद्दे पर डीएलएड तृतीय सेमेस्टर के प्रशिक्षुओं ने ट्विटर पर अभियान भी शुरू कर दिया है। डीएमएड संयुक्त प्रशिक्षु मोर्चा के बैनर तले इस अभियान में दो दिनों के भीतर ढाई लाख ट्वीट किए गए हैं। मोर्चा के अध्यक्ष रविकांत द्विवेदी ने बताया कि यह ट्विटर अभियान तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार प्रमोशन संबंधी शासनादेश जारी नहीं कर देती। तृतीय सेमेस्टर को पूर्ण हुए चार माह का समय बीत चुका है। आगामी छह अगस्त को चतुर्थ सेमेस्टर भी पूर्ण होने को है। मांग की गई कि डीएलए तृतीय सेमेस्टर के प्रशिक्षुओं के प्रमोशन की कार्यवाही शीघ्र पूरी की जाए।
शिक्षामित्रों को भी मिले अन्य शिक्षकों की तरह वेतन
प्रयागराज। अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने प्रदेश में कार्यरत शिक्षामित्रों, संविदा शिक्षकों को जून माह का मानदेय और शिक्षकों के समान नौकरी एवं वेतन दिए जाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है। इससे पूर्व उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश मंत्री कौशल सिंह ने अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष् रामपाल सिंह को पत्र भेजकर शिक्षामित्रों की समस्या के निराकरण के लिए आवश्यक कदम उठाने का अनुरोध किया था, जिसके बाद कौशल सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा।