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शहादत दिवसः भारतीय सेना के जांबाज ब्रिगेडियर उस्मान, जिन्हें जिन्ना ने पाकिस्तान का सेनाध्यक्ष बनने का दिया था ऑफर

अमितेश कुमार सिंह, गाजीपुरभारत-पाकिस्तान के बीच साल 1947 में हुई लड़ाई के हीरो रहे ब्रिगेडियर उस्मान की शनिवार को शहादत दिवस है। उस्मान ने पाकिस्तानी सेना से मुकाबला करते हुए उसे ऐसा मुंहतोड़ जवाब दिया था कि उन्हें आज तक नौशेरा का शेर कहा जाता है। यह उनके शौर्य का ही नतीजा था कि भारतीय सेना ने नौशेरा और झागड़ घाटी को दोबारा पाकिस्तानी कब्जे से मुक्त करवाने में कामयाब हासिल की थी। पाक ने दिया था आर्मी चीफ बनने का प्रस्तावब्रिगेडियर उस्मान का जन्म मऊ जिले के बीबीपुर गांव में हुआ था। उस्मान के पिता मो. फारुख वाराणसी में कोतवाल थे। सैन्य इतिहास पर नजर रखने वालों की मानें तो पाकिस्तान के पहले वजीर-ए-आजम मोहम्मद अली जिन्ना ने उनको पाकिस्तान का सेना अध्यक्ष बनने का प्रस्ताव दिया था, जिसको उस्मान ने खारिज कर दिया था। अपने सैन्य पराक्रम के लिए मशहूर सैम मानेकशॉ ब्रिगेडियर उस्मान के समकालीन थे। नेहरु भी हुए थे जनाजे में शामिलब्रिगेडियर उस्मान तीन भाई थे। सबसे बड़े मो. सुबहान, दूसरे बिग्रेडियर उस्मान ओर तीसरे मो. गुफरान। तीनों भाइयों में उस्मान और गुफरान सैन्य सेवाओं में थे। ब्रिगेडियर उस्मान से परेशान होकर पाकिस्तानी सरकार ने उनके ऊपर 50 हजार का इनाम घोषित किया था। जब ब्रिगेडियर उस्मान शहीद हुए थे, तब उनके जनाजे में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड माउंटबेटन भी शामिल हुए थे।सेना ने कराई थी ब्रिगेडियर उस्मान के टूटे क्रब की मरम्मतब्रिगेडियर उस्मान को दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी परिसर में दफनाया गया था। पिछले दिनों सोशल मीडिया के जरिए उनके कब्र के टूटने की खबर वायरल हुई थी। इसके बाद उनके क्रब के मेंटेनेंस को लेकर जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी प्रशासन को उनके नाती अफजाल अंसारी ने पत्र लिखा था। पत्र में उन्होंने यूनिवर्सिटी प्रशासन से कब्र को अपने खर्च पर ठीक कराने का प्रस्ताव दिया था।हालांकि, ब्रिगेडियर उस्मान के कब्र को भारतीय सेना ने अपने खर्च पर ठीक कराया था। गाजीपुर सांसद अफजाल अंसारी ने एनबीटी ऑनलाइन को खास बातचीत में बताया कि हर साल 3 जुलाई को वह परिवार के सभी सदस्यों के साथ जामिया परिसर में दफनाए गए उनके नाना ब्रिगेडियर उस्मान को श्रद्धांजलि देने जाते थे, लेकिन इस साल कोरोना के प्रभाव को देखते हुए गाजीपुर में ही एक सादे समारोह में सभी ने ब्रिगेडियर उस्मान को श्रद्धांजलि अर्पित की।