Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

उत्तर प्रदेश सरकार के दिल्ली में किए जा रहे प्रचार को ‘युवा हल्ला बोल’ ने बताया ‘फेक न्यूज’

बेरोजगारी को राष्ट्रीय बहस बनाने वाले संगठन ‘युवा हल्ला बोल’ ने सरकारों द्वारा किए जा रहे झूठे वादों और प्रचारों की पोल खोलने का अभियान शुरू किया है। इसी अभियान के तहत 12 जुलाई को युवा हल्ला बोल की टीम ने दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा लगाए गए पोस्टरों पर ‘फेक न्यूज स्पोटेड’ वाले बैनर के साथ फोटो खिंचवाकर अपना विरोध जताया। सोशल मीडिया पर जब इस अभियान को शेयर किया गया तो उसके समर्थन में अन्य लोगो ने भी इस तरह के फेक न्यूज को एक्सपोज करने वाली फोटो डाली।युवा हल्ला बोल के राष्ट्रीय संयोजक गोविंद मिश्रा ने कहा, कुछ दिन पहले बेंगलुरु एयरपोर्ट पर लगे हुए इन्हीं पोस्टरों पर ट्वीट करने पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने उस व्यक्ति पर कानूनी कार्रवाई करने की बात कही थी। इसके जवाब में युवा हल्ला बोल ने लिखा है कि फेक न्यूज तो असल में चार लाख युवाओं को नौकरी देने वाली बात है। कार्रवाई तो इस तरह के दावे करने वालों पर होनी चाहिए। जब एक आरटीआई के माध्यम से सरकार से इन चार लाख नौकरियों का ब्योरा मांगा गया तो जवाब में सरकार ने कहा, उनके पास ये आंकड़ा ही नहीं है। ये नौकरियां किन-किन विभागों में किन लोगों को दी गईं, ये जानकारी भी नहीं मिली। जब ऐसा कुछ नहीं है तो फिर सरकार किस आधार पर इतना बड़ा दावा कर रही है।राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता ऋषव रंजन ने सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में आरटीआई दायर कर तीन सवाल पूछे हैं। ‘मिशन रोज़गार’ योजना की शुरुआत यानी 2020 से लेकर आज तक देश के कितने राज्यों में उत्तर प्रदेश सरकार ने अपना विज्ञापन दिया है? हर तीन महीने के हिसाब से ब्यौरा दें। ‘मिशन रोजगार’ योजना में 2020 के शुरुआत से आज तक प्रेषित हुए विज्ञापन के सभी रूपों को मिलाकर कितने रुपये खर्च हुए हैं। ‘मिशन रोजगार’ योजना के प्रचार के लिए 2022 तक आवंटित बजट कितना रखा गया है। संगठन के राष्ट्रीय संगठन मंत्री प्रशांत कमल ने कहा, उत्तर प्रदेश का सूचना विभाग खुद फेक न्यूज फैलाता है। ‘फैक्ट चेक’ के नाम पर बना एक सरकारी हैंडल नागरिकों को डराने-धमकाने के लिए झूठ फैलाने में व्यस्त है। ये वाकई शर्मनाक है। चार लाख सरकारी नौकरी देने का दावा झूठा है। हमारी टीम देशभर में इस झूठे प्रचार की पोल खोलेगी।