अयोध्या में जहां एक ओर राम मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है तो दूसरी ओर मिल्कीपुर तहसील क्षेत्र अंतर्गत आने वाले बाबा गहनाग देव मंदिर में अव्यवस्था का आलम है। श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के बगल में विश्रामालय बनाया गया है, लेकिन यहां श्रद्धालु की बजाय आवारा पशु अपना डेरा जमाए हुए हैं।
कुछ आवार पशु तो इतने खूंखार हैं कि वे श्रद्धालुओं को चोट भी पहुंचा देते हैं। प्रशासन की तरफ से इन छुट्टा जानवरों पर कोई ध्यान नहीं देने के कारण श्रद्धालु परेशान होते हैं।
स्थानीय निवासियों के अनुसार, बाबा गहनाग देव में सर्पदंश से मुक्ति के लिए पौराणिक मान्यता है। गहनाग मंदिर में हर सोमवार और शुक्रवार को मेला लगता है। जिसमें दूर-दराज से ग्रामीण और अन्य जिले के श्रद्धालु दर्शन को आते हैं। यहां प्रसाद के रूप में महिलाएं पूड़ी और हलवा चढ़ाती हैं। यहां के लोगों का विश्वास है कि सांप काटने पर नियत समय में मंदिर प्रांगण में पहुंच कर चबूतरे के चारों ओर सात परिक्रमा करने से सांप का विष कम हो जाता है। किसी भी स्थान पर सांप निकल रहे हों तो पीड़ित व्यक्ति एक मुठ्ठी सरसो मंदिर में चढ़ाकर शेष सरसो वापस ले जाकर सांप निकलने वाले स्थान पर फेंक देने से सांप निकलना बंद हो जाते हैं।
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