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क्राउडफंडिंग की ओर बढ़ते भारत के कदम

ललित गर्ग-

भारत में क्राउडफंडिंग का प्रचलन बढ़ता जा रहा है, विदेशों में यह स्थापित है, लेकिन भारत के लिये यह तकनीक एवं प्रक्रिया नई है, चंदे का नया स्वरूप है जिसके अन्तर्गत जरूरतमन्द अपने इलाज, शिक्षा, व्यापार, सेवा-परियोजना आदि की आर्थिक जरूरतों को पूरा कर सकता है। न केवल व्यक्तिगत जरूरतों के लिये बल्कि तमाम सार्वजनिक योजनाओं, धार्मिक कार्यों और जनकल्याण उपक्रमों को पूरा करने के लिए लोग इसका सहारा ले रहे हैं। भारत में चिकित्सा के क्षेत्र में इसका प्रयोग अधिक देखने में आ रहा है। अभावग्रस्त एवं गरीब लोगों के लिये यह एक रोशनी बन कर प्रस्तुत हुआ है।
क्राउडफंडिंग की क्या ताकत होती है उसे अयांश गुप्ता की कहानी से समझ सकते हैं। अयांश की उम्र 3 साल है। वह रेयर जेनेटिक डिस्ऑर्डर स्पाइनल मस्कुलर एट्रोपी, टाइप 1 नाम की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित था। 22 करोड़ की बड़ी राशि वाले इलाज के लिए मां-पिता के पास पैसे नहीं थे। फिर क्राउंडफंडिंग से यह राशि जुटाकर एक इंजेक्शन लगाया गया। अयांश के इलाज के लिए केंद्र सरकार ने भी मदद की। उन्होंने 6 करोड़ रुपए का आयात शुल्क माफ कर दिया, अब अयांश ठीक है। अयांश के लिए कई बॉलीवुड हस्तियां और क्रिकेटर भी शामिल हुए। इम्पैक्टगुरु डॉट कॉम के सह-संस्थापक और सीईओ पीयूष जैन के अनुसार क्राउडफंडिंग की पावर देखकर खुशी होती है। अयांश को बचाने के लिए बड़ी संख्या में डोनेटर सामने आए। एक व्यक्ति ने तो सबसे ज्यादा 56 लाख रुपए का दान दिया।
क्राउडफंडिंग को भारत में स्थापित करने एवं इसके प्रचलन को प्रोत्साहन देने के लिये क्राउडफंडिंग मंच इम्पैक्ट गुरु डाॅट काॅम एवं ऐसे ही अन्य मंचों के प्रयास उल्लेखनीय है। असाध्य बीमारियों एवं कोरोना महामारी के पीडितों के महंगे इलाज के कारण गरीब, अभावग्रस्त एवं जरूरतमंद रोगियों की क्राउडफंडिंग के माध्यम से चिकित्सा में सहायता के अनूठेे कीर्तिमान स्थापित हुए हैं। बीमा एवं आयुष्मान भारत योजना के होते हुए भी आज अनेक रोगियों को अपेक्षित चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही है, वे महंगे इलाज के चलते अनेक आर्थिक संकटों का सामना कर रहे हैं, उनके लिये क्राउडफंडिंग एक बड़ा सहारा बना है। क्राउडफडिंग अब लोगों के लिए गंभीर बीमारी बिलों के लिए आर्थिक संसाधन जुटाने का एक पसंदीदा माध्यम बन गया है। अस्पतालों में बीमा के निम्न स्तर एवं जटिल प्रक्रियाओं को देखते हुए इसका प्रयोग एवं प्रचलन अधिक होने लगा है।
भारत में हर छोटी-बड़ी जरूरतों के लिये अब क्राउडफंडिंग का सहारा लिया जा रहा है। आने वाले समय में क्राउडफंडिंग न केवल जीवन का हिस्सा बनेगा बल्कि अनेक बहुआयामी योजनाओं को आकार देने का आधार भी यही होगा। आम नागरिक को चिकित्सा सेवा और जनकल्याण के कार्यों के लिये क्राउडफंडिंग को बढ़ावा देना चाहिए। भारत में सरकारी अस्पतालों को निजी अस्पतालों की तुलना में अधिक सक्षम बनाने की जरूरत है, तभी हम वास्तविक रूप में महंगे चिकित्सा की खामियों का वास्तविक समाधान पा सकेंगे लेकिन इसके साथ-साथ क्राउडफंडिंग के माध्यम से जरूरतमंद एवं गरीब रोगियों की सहायता को भी प्रोत्साहन देने की जरूरत है। अवगत हो क्राउडफंडिंग, चिकित्सा खर्च के लिए ऑनलाइन धन जुटाने का एक वैकल्पिक तरीका है। रोगी के दोस्त या परिवार के सदस्य एवं दानदाता मुख्य रूप से सोशल मीडिया नेटवर्क पर भरोसा करते हुए संबंधित चिकित्सा बिलों के धन का दान करते हैं। क्राउडफंडिंग का अतिरिक्त लाभ यह है कि मरीजों को उस धनराशि को वापस नहीं करना पड़ता है क्योंकि ऑनलाइन प्रदान किया गया धन दान है न कि ऋण।
इम्पैक्ट गुरु फाउंडेशन ने अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप के साथ साझेदारी में अपनी अलग तरह की एक अनूठी सामाजिक प्रभाव परियोजना ‘एंजल रुथैंक ए नर्स’ की घोषणा करते हुए संकल्प व्यक्त किया गया कि अगले कुछ वर्षों में पूरे भारत में एक लाख से अधिक नर्सों को सशक्त बनाया जायेगा। एंजल का मतलब एडवांस नर्सेज की ग्रोथ, एक्सीलेंस एंड लर्निंग है। हमारी नर्सें कोरोना महामारी में बहुत लंबे समय तक जान को जोखिम में डालकर, भारी सुरक्षात्मक पीपीई गियर पहनकर, असुविधा में रहकर, खुद को अपने परिवार से अलग रखकर, निरन्तर अपनी सेवाएं देती रही है और यह करते हुए उन्होंने कोई शिकायत नहीं की एवं आशा नहीं खोयी-उन्होंने हर चुनौती का जोरदार मुस्कान के साथ सामना किया है, चाहे परेशानी एवं बीमारी कितनी भी गंभीर क्यों न रही हो। वास्तव में उनकी निःस्वार्थता एवं सेवाभावना ने उन्हें रोगियों के लिए स्वर्गदूत बनाया है, एक फरिश्ते के रूप में वे जीवन का आश्वासन बनकर प्रस्तुत हुई है और उनका बलिदान उन्हें देश के लिये कोविड योद्धा बनाया है।
ऐसी अग्रणी एवं प्रथम पंक्ति की कोविड़ योद्धाओं के उन्नत भविष्य एवं कौशल विकास के लिये क्राउडफंडिंग सहारा बन रहा है, यह स्वागतयोग्य है। कोरोना महामारी में उन्होंने अपना पारिवारिक सुख, करियर, जीवन, और वर्तमान सबकुछ झांेक दिया था। अब कुछ दानदाता उनकी अनूठी एवं निःस्वार्थ सेवाओं के बदले वापस कुछ लौटाने और उनका भविष्य उन्नत करने के उद्देश्य से प्रारंभ किये जा रहे ‘एंजल रुथैंक ए नर्स’ कार्यक्रम में सहयोगी बन रहे हैं। इस महत्वपूर्ण परियोजना का उद्देश्य नर्स समुदाय को, जिसने महामारी में अपना सब कुछ दिया है, उनके उन्नत भविष्य के लिये वापस देना है। यह एक अनूठा अवसर है जब भारत में क्राउडफंडिंग के माध्यम से नर्सों के समग्र कौशल विकास एवं उनके ज्ञान को अधिक मानवीय बनाने के लिये एक बहुआयामी योजना आकार लेने जा रही है, भारत में क्राउडफंडिंग के बढ़ते प्रचलन से इस योजना की आर्थिक जरूरतों के लिये जन-अनुदान प्राप्त होगा।
क्राउडफडिंग के माध्यम से नर्सों के उत्थान एवं उन्नयन के जो प्रयत्न हो रहे हैं, ऐसे ही प्रयत्न प्रतिभाशाली गरीब बच्चों की शिक्षा एवं पीड़ित महिलाओं के लिये भी अपेक्षित है। ‘लेडी विद द लाइट’ के रूप में जो नर्सें कोरोना पीडितों के साथ जान को जोखिम में डालकर वार्ड़ों में पूरी रात देखभाल करती रही है, घंटों उनके साथ बिताती रही हैं, उनके पास जाती रही है, उनके स्वस्थ होने के समग्र प्रयास करती रही है, ऐसी मानवीय सेवा की अद्भूत फरिश्तों के लिये क्राउडफडिंग के सहारे से दूरगामी एवं मानवीय सोच से जो योजना प्रस्तुत की है, उससे निश्चित ही नर्सों की सेवाएं अधिक सक्षम, प्रभावी एवं मानवीय होकर सामने आयेगी।
हमारे देश में क्राउडफंडिंग के माध्यम से करोड़ों रूपयों की चिकित्सा सहायता एवं अन्य जरूरतों के लिये आर्थिक संसाधन जुटाये जाने लगा हैं। केवल चिकित्सा के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी क्राउडफंडिंग का प्रचलन बढ़ रहा है। भारत के सुनहरे भविष्य के लिए क्राउडफंडिंग अहम भूमिका निभा सकती है। क्योंकि क्राउडफंडिंग से भारत में दान का मतलब सिर्फ गरीबों और लाचारों की मदद करना समझते आ रहे हैं जबकि अब कला, विज्ञान, शिक्षा, चिकित्सा और मनोरंजन को समृद्ध करने का भी सशक्त माध्यम है। ऐसा होने से क्राउडफंडिंग की उपयोगिता एवं महत्ता सहज ही बहुगुणित होकर सामने आयेंगी।