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कहां से कहां पहुंच गई शिवसेना! पहले राजीव गांधी से चिढ़ती थी, अब पुरस्कार का नाम रख रही

12 aug 2021
महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी दल की सरकार में नये-नये बदलाव देखने को मिल रहे है। जब से सरकार बनी है तब से ही कुछ न कुछ हलचल राजनीतिक पार्टियों के बीच देखने को मिल रहा है। इसी प्रकार से अगर बात तीनों पार्टियों के गठबंधन की करें तो शिवसेना शुरू से ही हिन्दुत्ववादी पार्टी और कांग्रेस विरोधी के रूप में पहचानी जाती थी, परंतु अब शिवसेना जब से कांग्रेस के साथ सत्ता की सवारी कर रही है आरंभ से ही शिवसेना अपने मूलछवि को बदलते हुए कांग्रेस की पगडंडी पर सवार है।
अभी हाल ही में पीएम मोदी ने देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार का नाम बदला था, उन्होंने राजीव गांधी की जगह हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के नाम से यह पुरस्कार किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि उन्हें देश के कई नागरिकों से खेल रत्न सम्मान को मेजर ध्यान चंद के नाम पर करने के अनुरोध प्राप्त हो रहे थे. पीएम मोदी ने कहा कि लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए खेल के सबसे बड़े पुरस्कार को अब मेजर ध्यान चंद खेल रत्न के नाम से जाना जाएगा.
शिवसेना अब पूरी तरह से अपनी पार्टी लाईन से इतर दिखाई दे रही है। 10 साल पहले 2009 की बात है। तब सरकार ने मुंबई के बांद्रा-वर्ली सी लिंक परियोजना को आम जनता के लिए खोला था। सरकार ने इसका नाम राजीव गांधी के नाम पर रखा। इसका शिवसेना ने जमकर विरोध किया था। शिवसेना उस वक्त अपने चिन्ह बाघ की तरह राजीव के नाम के खिलाफ दहाड़ रही थी। ये तो हो गया 10 साल पुराना किस्सा। अब सिर्फ 5 साल पुरानी बात कर लेते हैं। मामला 2017 का है। तब शिवसेना ने राजीव गांधी आरोग्यदायी योजना का नाम बदलकर महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना करवा लिया था।
अब शिवसेना सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री सतेज पाटिल ने आईटी अवॉर्ड को राजीव गांधी के नाम से शुरू करने का एलान किया है, लेकिन न तो इसके खिलाफ सीएम उद्धव ठाकरे की आवाज निकली और न ही शिवसेना के किसी और नेता ने राजीव के नाम पर कोई हो-हल्ला मचाया।
महाराष्ट्र सरकार के फैसले को “राजनीतिक” बताते हुए, भाजपा के माधव भंडारी ने कहा, “हमें राजीव गांधी के नाम पर दिए जा रहे पुरस्कार का कोई विरोध नहीं है। लेकिन कांग्रेस को यह बताना चाहिए कि लगातार 15 साल सत्ता में रहने के बावजूद उसने आईटी अवार्ड का नाम राजीव गांधी के नाम पर क्यों नहीं रखा? वे राजनीति कर रहे हैं, उनकी राजनीति केवल गांधी-वाड्रा परिवार के नाम के इर्द-गिर्द घूमती है।