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गाजियाबाद में कोरोना से लड़ने के लिए युद्धस्तर तैयारी, बच्चों के लिए बनाए गए 150 बेड वाले 21 पीकू वॉर्ड

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान जो हालात हुए वैसा फिर दोबारा न हो, इसके लिए गाजियाबाद में तैयारियां जोरों पर हैं। संभावित तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा संख्या में संक्रमित होने की आशंकाओं के बीच इस बार आधुनिक पीडिआट्रिक इंसेंटिव केयर यूनिट (PICU) वॉर्ड पर जोर है। अभी तक 21 पीकू वॉर्ड तैयार हो चुके हैं, जिनमें 150 बेड की व्यवस्था है।

पीकू वॉर्ड सभी सीएचसी और पीएचसी पर भी बने हैं। इन स्वास्थ्य केंद्रों पर बच्चों के डॉक्टर की भी तैनाती की जा रही है। वहीं कंबाइंड अस्पताल में बनाए गए बच्चों के स्पेशल वॉर्ड में 25 वेंटीलेटर, 12 एचएफएनसी और 10 से ज्यादा बाईपेप मशीनों की व्यवस्था की गई है।

एक तरफ जहां बेड की संख्या बढ़ाई जा रही है वहीं दूसरी तरफ ऑक्सिजन के लिए भी प्लांट लगाए जा रहे हैं। इस बार मरीजों की स्थिति के अनुसार उन्हें भर्ती करने की विशेष व्यवस्था की जा रही है।

कंबाइंड में 30 बेड का स्पेशल वॉर्ड
मरीजों को अस्पतालों में भर्ती करने के लिए भी विशेष व्यवस्था की जा रही है। कंबाइंड अस्पताल में बच्चों के लिए 30 बेड का स्पेशल वॉर्ड बनाया गया है। इसमें 10 बेड का पीकू, 6 बेड का एचडीयू और 14 बेड स्पेशल आईसीयू के हैं। पीकू वॉर्ड में आधुनिक मशीनें और ऑक्सिजन की पूर्ण व्यवस्था की जा रही है। आधुनिक मशीनों में मॉनिटरिंग यूनिट, जिसमें पल्स और ऑक्सिजन लेवल लगातार पता चलता रहेगा।

ईसीजी मॉनिटरिंग और बाई पेप मशीनें लगाई गई हैं। एचडीयू में भी आधुनिक मशीनें लगाई गई हैं। अस्पताल के सीएमएस डॉ. संजय तेवतिया का कहना है कि जरूरत पड़ने पर बच्चों के बेड की संख्या भी बढ़ाई जा सकती है। इसके अलावा सभी सीएचसी पर 10-10 बेड के आधुनिक पीकू वॉर्ड बनाए गए हैं।

मुरादनगर, मोदीनगर, डासना और लोनी सीएचसी पर पीकू बनाए गए हैं। सभी जगह ऑक्सिजन कंसनट्रेटर उपलब्ध हैं, इसके साथ ही ऑक्सिजन प्लांट भी चालू होने वाले हैं। भोजपुर पीएचसी पर भी 10 बेड का पीकू बनाया गया है। 16 एपीएचसी पर भी ऑक्सिजन कंसनट्रेटर के साथ कोविड वॉर्ड बनाए गए हैं और बच्चों के लिए बेड रिजर्व किए गए हैं।

होगी स्पेशल ट्रेनिंग
सरकारी स्तर पर बच्चों का उपचार करने वाले डॉक्टर्स को विशेष ट्रेनिंग भी दिलवाई जाएगी। इसके लिए आईएमए के विशेषज्ञ चिकित्सकों की एक टीम जल्द ही ट्रेनिंग शुरू करेगी। इस ट्रेनिंग में बच्चों के उपचार, दवाएं, आधुनिक मशीनों के प्रयोग और बच्चों को ऑक्सिजन किस प्रकार से देनी है, इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा। तीसरी लहर के दौरान आईएमए के डॉक्टर्स भी सरकारी अस्पतालों में अपनी सेवाएं देंगे।

फिलहाल कोई गंभीर मामला नहीं आया
कोरोना संक्रमण की 2 लहरों के दौरान जिले में 8 हजार से ज्यादा बच्चे संक्रमण की चपेट में आए, लेकिन इनमें से कोई भी मामला गंभीर नहीं था। सरकारी आंकड़ों के अनुसार दोनों लहरों में एक बच्चे की मौत हुई जो लगभग एक साल का था। बच्चों में रिकवरी रेट बढ़िया रहा। इसके अलावा बच्चों में पोस्ट कोविड के भी कोई लक्षण सामने नहीं आए।

जिला सर्विलांस ऑफिसर डॉ. आरके गुप्ता का कहना है कि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी तेजी से सक्रिय होती है, जिससे बच्चों में गंभीर मामले सामने नहीं आए। सबसे खास बात यह होती है कि बच्चे बीमारी को बहुत ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते और उससे डरते भी नहीं हैं।

ऐसे में उनकी रिकवरी बड़ों के मुकाबले आसान होती है। जिले में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर सभी तरह की तैयारियां की जा रही हैं। विभाग का प्रयास है कि तीसरी लहर के दौरान मरीजों को जल्द और बेहतर उपचार मिले और मृत्यु कम से कम हो।