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तालिबान का किया था समर्थन, लखनऊ में शायर मुनव्‍वर राना पर हुआ मुकदमा

हाइलाइट्सहिंदू महासभा और वाल्मीकि समाज ने दी थी तहरीरकुछ दिन पहले मुनव्वर राना ने तालिबानियों की तुलना ऋषि-मुनियों से की थीमुनव्वर राना ने कहा था कि हिंदुस्तान को तो अब भी अफगानिस्तान से नहीं, बल्कि पाकिस्तान से डरने की जरूरत हैलखनऊ
लखनऊ में मुनव्वर राना की ओर से तालिबान पर दिए गए विवादित बयान को लेकर हजरतगंज थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। हिंदू महासभा और वाल्मीकि समाज ने मुनव्वर राना पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने, शांति भंग करने की धारा समेत रासुका और एससी-एसटी के तहत मुकदमा दर्ज करवाने के लिए हजरतगंज कोतवाली में तहरीर दी थी।

घर के बाहर किया जाएगा सुंदर कांड का पाठ
शुक्रवार को हजरतगंज कोतवाली में समर्थकों के साथ पहुंचे हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शिशिर चतुर्वेदी ने कहा कि मुनव्वर राना के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो उनके घर के बाहर सुंदरकांड का पाठ किया जाएगा। प्रवक्ता शिशिर चतुर्वेदी ने कहा कि मुनव्वर राना ने महाऋषि मुनियों को तालिबानी से जोड़ा है। उनके इस बयान से हिंदू समाज में काफी आक्रोश व्याप्त है। उन्होंने कहा कि मुनव्वर राना ने सनातन धर्म और वाल्मीकि समाज को तालिबानियों से जोड़ा है। हिंदू समाज इस बयानबाजी को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहा है।

बयान में किया दलितों का अपमान
डॉ. आंबेडकर महासभा के महामंत्री अमरनाथ प्रजापति और वाल्मीकि समाज के नेता पी.एल. भारती ने हजरतगंज कोतवाली में तहरीर देकर मुनव्वर राना के खिलाफ धार्मिक भावना पर हमला एवं अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई करने की मांग की थी। तहरीर में कहा गया था कि मुनव्वर राना ने महर्षि वाल्मीकी की तुलना तालिबानियों से करके दलितों का अपमान किया है। साथ ही हिंदू आस्था को चोट पहुंचाई है।

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मुनव्वर राना ने ये दिया था बयान
मुनव्वर राना ने कहा था कि हिंदुस्तान को तो अब भी अफगानिस्तान से नहीं, बल्कि पाकिस्तान से डरने की जरूरत है। तालिबानियों का कश्मीर से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि वाल्मीकि जी पहले क्या थे और बाद में क्या हो गए। तालिबानी भी पहले से बदल चुके हैं। अब पहले जैसा माहौल नहीं है। शायर राना ने बामियान में तालिबानियों के बुद्ध की मूर्तियों को नष्ट करने पर कहा कि भारत में तो राम मंदिर बनाने के लिए मस्जिद तोड़ दिया, आप उसे क्या कहिएगा, क्या यह पवित्र कार्य था?