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काशी के युवा ने बड़ा पैकेज छोड़ शुरू किया ‘चाय बार’, यहां मिलती है 150 किस्‍म की चाय

बनारस की किसी गली, नुक्कड़-चौराहे की चाय दुकान पर हाथों में चाय लेकर बतकही करना बनारसियों का एक पसंदीदा शगल है, लेकिन बनारसी चाय की दुकानों का रूप अब बदलने लगा है। काशी के युवाओं और विदेशियों को अब नए फैशनेबल चाय की दुकान या बनारसी भाषा में कहा जाए तो चाय की अड़ी (अड्डा) का स्वरूप अब बदलने लगा है।

वाराणसी के कौस्तुभ ने बड़े पैकेज वाली नौकरी को छोड़कर अपना स्टार्टअप शुरू किया। 26 साल के इस युवा ने ये मन बनाया कि अब काशी की इस पारम्परिक जीवनशैली में वो अपने नए आइडिया के साथ काम करेगा और स्वरोजगार को अपनाएगा।

अमित शाह का सुना भाषण और खोल दिया चाय बार
कौस्तुभ ने एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में बताया कि 2018 में वर्तमान गृह मंत्री मंत्री अमित शाह ने रोजगार पर भाषण दे रहे थे। उस दौरान उन्होंने कहा था कि युवा स्वरोजगार अपनाकर भी बड़े एंटरप्रेन्योर बन सकते हैं। पकोड़ा तलना या चाय बेचने पर विपक्षी पार्टियों द्वारा लगातार तंज कसे जाते थे, लेकिन अमित शाह ने भाषण में चाय पकोड़ा बेचने को स्वरोजगार और स्वभिमान से जोड़ दिया था। इसका कौस्तुभ पर इतना प्रभाव पड़ा कि उसने बढ़िया सैलेरी और इंसेंटिव की नौकरी छोड़ चाय बार खोलने का मन बना लिया। अपनी सेविंग्स और पिता से थोड़ी मदद लेकर कौस्तुभ ने नगवां चौराहे के पास चाय बार खोल दिया। यूनिक कांसेप्ट पर खोले जाने की वजह से कौस्तुभ अब अच्छा खासा मुनाफा भी कमा रहे हैं।

150 से ज्यादा किस्म की चाय बनाते हैं कौस्तुभ
अपने चाय बार को डिज़ाइनर लुक देते हुए कौस्तुभ ने इसमें दुनिया भर में मिलने वाली 150 से ज्यादा किस्म की चाय का ऑप्शन ग्राहकों के लिए रखा। चाय बार में 15 रुपये से लेकर 600 रुपये की चाय इस चाय बार में मिलती है। बढ़िया साफ सुथरे हाईजीनिक तरीके से बनाने की वजह से और शानदार ओपन कैफ़े की लुक की वजह से ये चाय बार लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। कौस्तुभ बताते हैं कि चाय बार के नाम से ब्रांड का रजिस्ट्रेशन भी करवाया है और भविष्य में इसकी फ्रेंचाइजी चेन को भी विकसित करेंगे।

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शहर में और भी हैं इस तरह के शानदार चाय के अड्डे
शहर के अन्य इलाकों, खासकर कबीर नगर, लंका, अस्सी घाट के पास इस तरह के कई चाय के कैफ़े खुल गए हैं। साफ सुथरा माहौल और संगीत के साथ, वाराणसी के युवाओं के अब पसन्दीदा बतकही के अड्डे बनते जा रहे हैं। स्कूल, कॉलेज, कोचिंग में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं और कामकाजी लोग बड़ी संख्या में पारम्परिक चाय की अड़ी को छोड़ अब इन नए कैफे में समय बिता रहे हैं। युवाओं के साथ-साथ विदेशियों को भी इस तरह के जगहों पर बड़ी आसानी से स्पॉट किया जा सकता है।