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तालिबान आतंकवाद से निपटने में भारत की भूमिका पर टिका भरोसा

22 AUG 2021

पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत कुटनीतिक तौर पर विश्व में पाकिस्तान को अलग-थलग करने के साथ ही  आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भी विश्व के लिये पे्ररणा बन रहा है। इसकी एक झलक अमेरिका के सांसद ने दिखला दी है। उनका मतलब है कि भारत के सहयोग के बिना आतंकवाद से लड़ाई करना असंभव है।

राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन के निर्देश पर अमेरिकी सेना की वापसी की प्रक्रिया शुरू होते ही अफगानिस्तान पर तालिबान फिर से काबिज हो गया. सामरिक रणनीतिकार मान रहे हैं कि तालिबान मुजाहिदीनों के वर्चस्व से अफगानिस्तान आतंकवाद की नई और प्रभावी धुरी बन कर फिर से उभर सकता है. इसके लिए उसे पाकिस्तान और तुर्की का परोक्ष-अपरोक्ष समर्थन मिलेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन हालांकि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई पर हो रही आलोचनाओं के बीच हुंकार भर रहे हैं, लेकिन सामरिक विशेषज्ञ ही नहीं कुछ अमेरिकी सांसदों का फिलवक्त शिद्दत से मानना है कि आतंक के खिलाफ जंग में अमेरिका को अब भारत की कहीं ज्यादा जरूरत पडऩे वाली है.

गौरतलब है कि तालिबान ने काबुल पर कब्जा करते ही अपने को कहीं स्वीकार्य बनाने के लिए खुद को बदले हुए अंदाज में पेश किया. तालिबान के प्रवक्ताओं ने कई टीवी चैनलों और मीडिया घरानों से कहा कि वह शरिया को अमल में लाते हुए सर्वसमाज के प्रति लचीला रवैया अपनाएंगे. यह अलग बात है कि अब मुजाहिदीनों की क्रूरता फिर से सामने आने लगी है. बगैर ऊपर से नीचे बदन ढके बाहर निकलती महिलाओं को गोली मार रहे हैं, तो लड़ाकों के लिए अफगान लड़कियों और महिलाओं का अपहरण शुरू हो चुका है. ऐसे में संयुक्त राष्ट्र समेत ब्रिटेन और अमेरिका ने भी चिंता जताई है.

तालिबानी आतंक के बढ़ते प्रभाव के बीच अमेरिका के एक प्रभावशाली सांसद का मानना है कि भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है. भारतीय अमेरिकी कांग्रेसी रो खन्ना ने एक ट्वीट में कहा, ‘तालिबान और आतंकवाद को रोकने के लिए अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी अब और भी महत्वपूर्ण हो गई है.Ó गौरतलब है कि खन्ना प्रतिनिधि सभा में सिलिकॉन वैली का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसके साथ ही सदन में भारतीय अमेरिकी कांग्रेस के कॉकस के डेमोक्रेटिक उपाध्यक्ष हैं. उन्होंने कहा कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा पर भारत-अमेरिका साझेदारी को मजबूत करने के लिए इंडिया कॉकस के नेतृत्व के साथ काम करेंगे.

इसके बाद जो बाइडन को भी डैमेज कंट्रोल के लिए उतरना पड़ा है. बाइडन ने अफगान नागरिकों की स्थिति को दिल दहलाने वाली करार दिया है. इसके बाद उन्होंने जोर देकर कहा कि उनका प्रशासन लोगों की निकासी को सुचारू और गति देने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि हम में से कोई भी इन तस्वीरों को देख सकता है और मानवीय स्तर पर उस दर्द को महसूस नहीं कर सकता है.Ó भारत ने भी अमेरिका पर कूटनीतिक दबाव बना रखा है. विदेश मंत्री एस जयशंकर अपने समकक्ष एंटोनी ब्लिंकन के लगातार संपर्क में हैं. उन्होंने यूएन तक में अफगानिस्तान की स्थिति पर वैश्विक समुदाय से दखल देने का आह्वान किया है. ऐसे में सामरिक विशेषज्ञों को लग रहा है कि फिलवक्त अमेरिका को भारत के साथ की कहीं ज्यादा जरूरत है.