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हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का विवाद : हाईकोर्ट ने कहा- आपस में बैठकर मसले सुलझाएं बार के सदस्य

सार
वरिष्ठ अधिवक्ता एएन त्रिपाठी का तर्क था कि बार कार्यकारिणी का कार्यकाल एक साल का है।हर साल एल्डर कमेटी के गठन को लेकर विवाद उठता है। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और एडवोकेट एसोसिएशन दो अलग संस्थाएं हैं। दोनो का अलग बाई लाज है।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट  ने  बार एसोसिएशन की  कार्यकारिणी  का  चुनाव कराने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर  दोनों पक्षों को सुझाव दिया है कि आपस में बैठकर 15दिन में  उचित हल निकाले। कोर्ट ने कहा कि बार एसोसिएशन में एकजुटता  होगी, तभी सदस्यों के कल्याण व हित के कार्य कर सकेगी। कोर्ट ने कहा दोनों पक्षों से नामित 5-5 सदस्य बैठकर कोशिश 19 को ध्यान में रख जमीनी हकीकत पर विचार कर निर्णय लें। बार के हित में कार्य के लिए दोनों पक्षों में सहमति भी है। इसलिए सुनवाई 15सितंबर के लिए स्थगित की जा रही है।

यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी तथा न्यायमूर्ति ए के ओझा की खंडपीठ ने पूर्व संयुक्त सचिव प्रशासन संतोष कुमार मिश्र व अन्य की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।
याचिका में बार एसोसिएशन के नियमों का पालन करने तथा मनमाने तरीके से एल्डर कमेटी के गठन की वैधता सहित कार्यकारिणी का चुनाव कराने की मांग की गई है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता ए एन त्रिपाठी, वरिष्ठ अधिवक्ता गजेन्द्र प्रताप, अधिवक्ता प्रशांत सिंह रिंकू, राजेश कुमार तिवारी,ए के मिश्र,बार एसोसिएशन के महासचिव प्रभाशंकर मिश्र ऋषव श्रीवास्तव व हाईकोर्ट के अधिवक्ता आशीष मिश्रा ने बहस की।

 

वरिष्ठ अधिवक्ता ए एन त्रिपाठी का तर्क था कि बार कार्यकारिणी का कार्यकाल एक साल का है।हर साल एल्डर कमेटी के गठन को लेकर विवाद उठता है। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और एडवोकेट एसोसिएशन दो अलग संस्थाएं हैं। दोनो का अलग बाई लाज है। सुप्रीम कोर्ट ने एक बार एक वोट का सिद्धांत प्रतिपादित किया है। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ही हाईकोर्ट से संबद्ध बार एसोसिएशन है। त्रिपाठी का कहना है कि बाई लाज के अनुसार कार्यकाल समाप्त होने से एक माह पहले वार्षिक सभा बुलाकर चुनाव प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए।यदि समय से चुनाव नहीं हो पाता तो एल्डर कमेटी की अनुमति से टर्म समाप्ति के बाद एक माह के भीतर चुनाव प्रक्रिया पूरी कर ली जाए।ऐसा नहीं होता तो एसोसिएशन का कार्य  एल्डर कमेटी अपने हाथ में लेकर अगले एक माह में चुनाव कराएगी।।

उन्होंने कहा यदि वित्तीय अधिकार जब्त कर लिया जाए तो चुनाव प्रक्रिया तुरंत शुरू हो जाएगी। यह भी कहा लखनऊ पीठ में एसोसिएशन का चुनाव हुआ, गड़बड़ी के कारण हाईकोर्ट के आदेश पर दुबारा होने जा रहा है। यहां पर भी चुनाव कराने में कोई व्यवधान नहीं है। वरिष्ठ अधिवक्ता गजेन्द्र प्रताप ने मुख्य न्यायाधीश के सुझाव का स्वागत किया और कहा आपस में बैठकर हल निकाला जाना चाहिए।
कोर्ट ने कहा आपस में बैठकर हल निकाला जाए, अन्यथा कोर्ट आदेश जारी करेगी।

 

सुनवाई 15 सितंबर को होगी। याचीगण का कहना है कि वर्तमान पदाधिकारियों का कार्यकाल 5अगस्त 21को समाप्त हो चुका है।और वार्षिक आम सभा बुलाकर चुनाव प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है।जो बाईलाज का उल्लंघन है। बार एसोसिएशन  2015-16 में प्रस्ताव पारित कर चुकी है कि बार एसोसिएशन के सदस्य सक्रिय वरिष्ठ अधिवक्ताओं में से वरिष्ठता क्रम में सहमति से एल्डर कमेटी का गठन किया जाएगा।जिसकी अनदेखी कर दूसरे एसोसिएशन के सदस्यों को एल्डर कमेटी में नामित कर बार की मर्यादा व नियमों का उल्लघंन किया गया है।बाईलाज के अनुसार  एल्डर कमेटी गठित कर चुनाव प्रक्रिया शुरू की जाए।

विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट  ने  बार एसोसिएशन की  कार्यकारिणी  का  चुनाव कराने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर  दोनों पक्षों को सुझाव दिया है कि आपस में बैठकर 15दिन में  उचित हल निकाले। कोर्ट ने कहा कि बार एसोसिएशन में एकजुटता  होगी, तभी सदस्यों के कल्याण व हित के कार्य कर सकेगी। कोर्ट ने कहा दोनों पक्षों से नामित 5-5 सदस्य बैठकर कोशिश 19 को ध्यान में रख जमीनी हकीकत पर विचार कर निर्णय लें। बार के हित में कार्य के लिए दोनों पक्षों में सहमति भी है। इसलिए सुनवाई 15सितंबर के लिए स्थगित की जा रही है।

यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी तथा न्यायमूर्ति ए के ओझा की खंडपीठ ने पूर्व संयुक्त सचिव प्रशासन संतोष कुमार मिश्र व अन्य की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।

याचिका में बार एसोसिएशन के नियमों का पालन करने तथा मनमाने तरीके से एल्डर कमेटी के गठन की वैधता सहित कार्यकारिणी का चुनाव कराने की मांग की गई है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता ए एन त्रिपाठी, वरिष्ठ अधिवक्ता गजेन्द्र प्रताप, अधिवक्ता प्रशांत सिंह रिंकू, राजेश कुमार तिवारी,ए के मिश्र,बार एसोसिएशन के महासचिव प्रभाशंकर मिश्र ऋषव श्रीवास्तव व हाईकोर्ट के अधिवक्ता आशीष मिश्रा ने बहस की।

 

वरिष्ठ अधिवक्ता ए एन त्रिपाठी का तर्क था कि बार कार्यकारिणी का कार्यकाल एक साल का है।हर साल एल्डर कमेटी के गठन को लेकर विवाद उठता है। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और एडवोकेट एसोसिएशन दो अलग संस्थाएं हैं। दोनो का अलग बाई लाज है। सुप्रीम कोर्ट ने एक बार एक वोट का सिद्धांत प्रतिपादित किया है। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ही हाईकोर्ट से संबद्ध बार एसोसिएशन है। त्रिपाठी का कहना है कि बाई लाज के अनुसार कार्यकाल समाप्त होने से एक माह पहले वार्षिक सभा बुलाकर चुनाव प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए।यदि समय से चुनाव नहीं हो पाता तो एल्डर कमेटी की अनुमति से टर्म समाप्ति के बाद एक माह के भीतर चुनाव प्रक्रिया पूरी कर ली जाए।ऐसा नहीं होता तो एसोसिएशन का कार्य  एल्डर कमेटी अपने हाथ में लेकर अगले एक माह में चुनाव कराएगी।।

उन्होंने कहा यदि वित्तीय अधिकार जब्त कर लिया जाए तो चुनाव प्रक्रिया तुरंत शुरू हो जाएगी। यह भी कहा लखनऊ पीठ में एसोसिएशन का चुनाव हुआ, गड़बड़ी के कारण हाईकोर्ट के आदेश पर दुबारा होने जा रहा है। यहां पर भी चुनाव कराने में कोई व्यवधान नहीं है। वरिष्ठ अधिवक्ता गजेन्द्र प्रताप ने मुख्य न्यायाधीश के सुझाव का स्वागत किया और कहा आपस में बैठकर हल निकाला जाना चाहिए।
कोर्ट ने कहा आपस में बैठकर हल निकाला जाए, अन्यथा कोर्ट आदेश जारी करेगी।

 

सुनवाई 15 सितंबर को होगी। याचीगण का कहना है कि वर्तमान पदाधिकारियों का कार्यकाल 5अगस्त 21को समाप्त हो चुका है।और वार्षिक आम सभा बुलाकर चुनाव प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है।जो बाईलाज का उल्लंघन है। बार एसोसिएशन  2015-16 में प्रस्ताव पारित कर चुकी है कि बार एसोसिएशन के सदस्य सक्रिय वरिष्ठ अधिवक्ताओं में से वरिष्ठता क्रम में सहमति से एल्डर कमेटी का गठन किया जाएगा।जिसकी अनदेखी कर दूसरे एसोसिएशन के सदस्यों को एल्डर कमेटी में नामित कर बार की मर्यादा व नियमों का उल्लघंन किया गया है।बाईलाज के अनुसार  एल्डर कमेटी गठित कर चुनाव प्रक्रिया शुरू की जाए।