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यूपी विधानसभा चुनाव-2022 के लिए दिल्ली में संजय निषाद की BJP शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठक, इस वजह से है खास

गाजीपुर/नई दिल्ली
यूपी विधानसभा चुनाव-2022 को लेकर निषाद पार्टी बीजेपी पर बराबर हमला कर रही है। इसी बीच सोमवार को निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद की मुलाकात बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से नई दिल्ली में हुई है। उनकी तरफ से कहा गया है कि बुधवार को बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से फिर प्रस्तावित मुलाकात में 2022 चुनावों की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया जा सकता है।

‘बीजेपी के साथ चुनावी डील जल्द ही फाइनल’
संजय निषाद की सोमवार को अमित शाह के आवास पर बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के साथ मुलाकात हुई। मुलाकात करने के बाद उन्होंने दावा किया है कि जल्द की कुछ बैठकों के दौर के बाद 2022 के चुनावों को लेकर उनकी बीजेपी के साथ चुनावी गठबंधन पर अंतिम मुहर लग जाएगी। जल्द ही यूपी विधानसभा को लेकर तैयार चुनावी मसौदे पर आपसी सहमति बना ली जाएगी। बीजेपी के साथ अपने गठबंधन को लेकर उन्होंने साफ किया था कि वह चाहते हैं कि 2022 चुनावों के पहले बीजेपी मछुआरों को एससी श्रेणी का आरक्षण देना सुनिश्चित करे। निषाद की माने तो बीजेपी इस दिशा में तेजी से काम कर रही है।

‘राजभर खुद हैं बेघर’
संजय निषाद ने एनबीटी ऑनलाइन को बताया कि बुधवार को बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के साथ उनकी फिर से बैठक होनी है। जिसमें सीटों के बंटवारे को लेकर निर्णायक निष्कर्ष निकल सकता है। हालांकि, बीजेपी की तरह से अभी इन बैठकों को लेकर खुलकर कुछ भी नहीं बोला गया है। ओपी राजभर पिछले दिनों दावा किया था कि भले उन्हें समय लगेगा, लेकिन वह संजय निषाद को अपनी अगुवाई वाली भागीदारी संकल्प मोर्चा में लाने में कामयाब रहेंगे। संजय निषाद ने ओपी राजभर के दावों को खारिज करते हुए कहा कि राजभर खुद बेघर हैं। निषाद ने राजनीति तंज करते हुए कहा कि बिना बेस वाले घर में भला कौन रहना चाहेगा।
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‘फायदे से तय होते हैं सियासी निर्णय’
पूर्वांचल की राजनीति पर नजदीक से नजर रखने वालों की माने तो राजनीति में अंत तक अपने पत्ते नहीं खोलना का एक नया ट्रेंड चल पड़ा है। आज की तारीख में राजनीति में सभी पार्टियां बेस्ट डील ऑफर के इंतजार में रहती हैं। ऐसे में संजय निषाद हों, फिर ओपी राजभर सभी सियासी फायदे को केंद्र में रखकर नफा नुकसान का मूल्यांकन करके ही किसी फैसले पर पहुंचना चाहते हैं। आज के दौर में राजनीतिक निर्णय और सिद्धातों से ज्यादा सियासी फायदे पर आधारित है।