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Yogi CM योगी पर बनाया घटिया वीडियो तो PFI पर टूट पड़े लोग…जानिए, पूरी कुंडली

पीएफआई ने सीएम योगी आदित्‍यनाथ को लेकर बनाया विवादित वीडियो सोशल मीडिया पर भड़क उठी है आम जनता, ऐक्‍शन लेने की कर रहे मांग पीएफआई के स्‍टूडेंट विंग सीएफआई ने रैली के दौरान बनाया था यह वीडियो लखनऊ
केरल में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के स्‍टूडेंट विंग कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) ने जिस तरह अपनी रैली में यूपी के सीएम योगी आदित्‍यनाथ का अपमान करने का प्रयास किया है, सोशल मीडिया पर लोग इससे बुरी तरह भड़के हुए हैं। वायरल वीडियो शेयर कर यूजर्स तरह- तरह के कमेंट कर रहे हैं। उनका साफ कहना है कि एक बड़े राज्‍य के मुख्‍यमंत्री के खिलाफ इस तरह का घटिया प्रदर्शन करना पूरी तरह से गलत है और आरोपियों पर सख्‍त ऐक्‍शन लिया जाना चाहिए। सीएफआई कार्यकर्ताओं की यह करतूत किसी भी तरह से माफ करने लायक नहीं है।

दरअसल, इस वायरल वीडियो में सीएफआई का एक कार्यकर्ता मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ का मुखौटा लगाए हुए है। उसने भगवा वस्‍त्र धारण किया हुआ है और उसे रस्‍सी से बांधकर तीन सीएफआई कायर्कता सड़क पर घसीटते हुए ले जा रहे हैं। लोगों की नारेबाजी के बीच उस व्‍यक्ति को थप्‍पड़ भी मारने का नाटक किया जा रहा है। इस वीडियो को देखने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने जहां कड़ा विरोध जताया है, वहीं आम जनता भी भड़क गई है। तमाम सोशल प्‍लेटफॉर्म पर यह वीडियो जमकर शेयर किया जा रहा है। यूजर्स पीएफआई और सीएफआई की इस ओछी हरकत पर कड़े शब्‍दों का भी प्रयोग कर रहे हैं।

2006 में इस्‍लामिक संगठन पीएफआई का आगाज
आइए, हम आपको बताते हैं कि आखिर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया क्‍या है और क्‍यों इसका नाता विवादों से लगातार बना रहता है। दरअसल, पीएफआई एक इस्लामिक संगठन है। इस संगठन का दावा है कि इसे पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने के लिए बनाया गया है।
पीएफआई की स्थापना वर्ष 2006 में नैशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF) के उत्तराधिकारी के रूप में हुई। इस संगठन की जड़ें केरल के कालीकट में बहुत गहरी हैं। वर्तमान में इसका हेड ऑफिस दिल्ली के शाहीन बाग में बताया जाता है। शाहीन बाग वही इलाका है, जहां पर सीएए और एनआरसी के विरोध में पूरे देश में 100 दिन तक सबसे लंबा आंदोलन चला था।

24 प्रदेशों में शाखाएं, महिला विंग भी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीएफआई की जड़ें देश के 24 राज्यों में फैली हुई हैं। कहीं पर इसके सदस्य अधिक सक्रिय हैं तो कहीं पर कम। मगर मुस्लिम बहुल इलाकों में ये बहुतायत पाए जाते हैं। इसकी अपनी महिला विंग भी है। संगठन खुद को न्याय, स्वतंत्रता और सुरक्षा का पैरोकार बताता है। साथ ही, मुस्लिमों के अलावा देश भर के दलितों, आदिवासियों पर होने वाले अत्याचार के लिए समय समय पर मोर्चा खोलता है। एक मुस्लिम संगठन होने के कारण इस संगठन की ज्यादातर गतिविधियां मुस्लिमों के इर्द गिर्द ही घूमती हैं। कई ऐसे मौके ऐसे भी आए हैं जब इस संगठन से जुड़े लोग मुस्लिम आरक्षण के लिए सड़कों पर आए हैं। पीएफआई वर्ष 2006 में उस समय सुर्खियों में आया था जब दिल्ली के रामलीला मैदान में इसकी तरफ से नैशनल पॉलिटिकल कांफ्रेंस का आयोजन किया गया था। तब इस कांफ्रेंस में बड़ी भीड़ जुटी थी।

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सिमी से कनेक्‍शन की बात आ चुकी है सामने
पीएफआई का विवादों से चोली दामन का नाता रहा है। इसे प्रतिबंधित संगठन सिमी (स्‍टूडेंट्स इस्‍लामिक मूवमेट ऑफ इंडिया) का बी विंग कहा जाता है। 1977 में बनी सिमी को 2006 में बैन कर दिया गया था। साल 2012 में भी इस संगठन को बैन करने की मांग उठ चुकी है। उसके बाद 2020 में यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने भी संगठन को बैन करने की मांग की थी। इसके लिए गृह मंत्रालय को पत्र भी लिखा गया है, मगर अब तक परमीशन नहीं मिली है।