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हाईकोर्ट का आदेश :  तीन माह में किसानों को दें बिना अधिग्रहीत भूमि का मुआवजा

अधिग्रहण के बिना ली गई जमीनों का मुआवजा दिलाने के लिए बड़ी संख्या में आ रही हैं याचिकाएं, उच्च न्यायालय ने 25 फरवरी 22 की समय सीमा निर्धारित की।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को बिना अधिग्रहण किए ली गई किसानों की जमीनों के मुआवजे के मामले 25 फरवरी 2022 तक निस्तारित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सभी जिलाधिकारियों को हलफनामा दाखिल कर बताने के लिए कहा है कि  मुआवजे की मांग को लेकर कितनी अर्जियां दाखिल की गईं और कितनी तय की गईं हैं। यदि तय नहीं की गईं हैं तो क्या कारण हैं। कोर्ट ने आदेश का पालन करने के लिए सभी संबंधित अधिकारियों को आदेश की प्रति भेजने को कहा है। याचिका की सुनवाई 25 फरवरी 22 को होगी।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश राजेश बिन्दल तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने राम कैलाश निषाद व अन्य की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि उसने 25 फरवरी 20 को जिलाधिकारी को मुआवजे की मांग को लेकर अर्जी दी थी। एक साल 8 माह बाद भी अर्जी तय नहीं की गई है। 12 मई 16 के शासनादेश के अनुसार यदि बिना अधिग्रहीत किए जमीन ली गई है तो मुआवजे के भुगतान करने के मामले में जिलाधिकारी सक्षम प्राधिकारी है। कोर्ट ने कहा कि जब शासनादेश में प्रक्रिया तय है तो जिलाधिकारी अर्जियों को तय क्यों नहीं कर रहे हैं और मुआवजे की मांग को लेकर बड़ी संख्या में याचिकाएं दाखिल हो रहीं हैं। इस बाबत कोर्ट ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किया है।

सरकार नहीं कर रही मुआवजे का भुगतान
सबसे अधिक अधिग्रहण राजस्व, लोक निर्माण और सिंचाई विभाग करते हैं प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण कर कब्जे में लेने या अधिग्रहण किए बगैर जमीन पर कब्जा लेने और मुआवजे का भुगतान न करने को गंभीरता से लिया है और कहा है कि जमीनों का अधिकांश अधिग्रहण  राजस्व विभाग, लोक निर्माण विभाग या सिंचाई विभाग द्वारा किया जाता है। मुआवजे के भुगतान के लिए हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल हो रही हैं। सरकार मुआवजे का भुगतान नहीं कर रही है।

कोर्ट ने तीनों विभागों के अपर मुख्य सचिवों को विचाराधीन अर्जियों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया है और पूछा है कि इनके निस्तारण के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती कि किसानों की जमीन ले और मुआवजे का भुगतान न करे। कोर्ट ने तीनों शीर्ष अधिकारियों को 3 दिसंबर तक स्थिति स्पष्ट करते हुए व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश राजेश बिन्दल तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने जय नारायण यादव व अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका की सुनवाई 3 दिसंबर को होगी।

विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को बिना अधिग्रहण किए ली गई किसानों की जमीनों के मुआवजे के मामले 25 फरवरी 2022 तक निस्तारित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सभी जिलाधिकारियों को हलफनामा दाखिल कर बताने के लिए कहा है कि  मुआवजे की मांग को लेकर कितनी अर्जियां दाखिल की गईं और कितनी तय की गईं हैं। यदि तय नहीं की गईं हैं तो क्या कारण हैं। कोर्ट ने आदेश का पालन करने के लिए सभी संबंधित अधिकारियों को आदेश की प्रति भेजने को कहा है। याचिका की सुनवाई 25 फरवरी 22 को होगी।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश राजेश बिन्दल तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने राम कैलाश निषाद व अन्य की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि उसने 25 फरवरी 20 को जिलाधिकारी को मुआवजे की मांग को लेकर अर्जी दी थी। एक साल 8 माह बाद भी अर्जी तय नहीं की गई है। 12 मई 16 के शासनादेश के अनुसार यदि बिना अधिग्रहीत किए जमीन ली गई है तो मुआवजे के भुगतान करने के मामले में जिलाधिकारी सक्षम प्राधिकारी है। कोर्ट ने कहा कि जब शासनादेश में प्रक्रिया तय है तो जिलाधिकारी अर्जियों को तय क्यों नहीं कर रहे हैं और मुआवजे की मांग को लेकर बड़ी संख्या में याचिकाएं दाखिल हो रहीं हैं। इस बाबत कोर्ट ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किया है।