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गंगा में नाला गिराने पर हाईकोर्ट सख्त : आईआईटी से कराई जाए गंगा में गिर रहे नालों के पानी की जांच

सार
रात में एसटीपी बंद कर नाले सीधे गंगा में गिराने की शिकायत पर हाईकोर्ट गंभीर, जांच के लिए कमेटी गठित
 

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शोधन के बाद गंगा में गिरने वाले नालों के पानी की जांच आईआईटी कानपुर और आईआईटी बीएचयू से कराने का निर्देश दिया है। यह नाले बायोरेमिडियन ट्रीटमेंट के बाद गंगा में गिराए जा रहे हैं। कोर्ट ने नालों के पानी का सैंपल लेकर जांच कराकर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। रात में गंदे नाले को गंगा में डालने व एसटीपी बंद रखने की अधिवक्ता वीसी श्रीवास्तव की शिकायत पर सैंपल लेने के लिए न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण कुमार गुप्ता के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई है।

मुख्य स्थायी अधिवक्ता जेएन मौर्य, भारत सरकार के अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी, राज्य विधि अधिकारी मनु घिल्डियाल व अधिवक्ता चंदन शर्मा टीम के सदस्य होंगे। एडीएम सिटी के कोआर्डिनेशन में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम नमूने लेगी। बोर्ड की जांच रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में अधिवक्ता एचएन त्रिपाठी के मार्फत कोर्ट में पेश होगी। साथ ही आईआईटी की जांच रिपोर्टें महानिबंधक के मार्फत पेश की जाएंगी। ताकि प्रदूषण पर रिपोर्टों की तुलना की जा सके।

प्रयागराज में 48 खुले नाले
जल निगम लखनऊ के प्रबंध निदेशक ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि प्रयागराज में 740 में से 48 नाले खुले हैं, 10 अस्थायी रूप से टैप किए जाते हैं। शेष टैप किए गए हैं। गंगा में जाने से रोका गया है। अपर मुख्य सचिव नगर विकास को पत्र लिखकर नाले गंगा में जाने से रोकने के लिए एक करोड़ की योजना दी गई है। एक माह में डीपीआर तैयार होगा। क्लीन गंगा राष्ट्रीय मिशन की अनुमति के बाद 24 महीने में प्रोजेक्ट पूरा होगा। कोर्ट ने कहा कि 20 फरवरी 21 को पत्र लिखे 8 माह बीत चुके हैं, इनकी अद्यतन जानकारी दी जाए। न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता, न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायमूर्ति अजीत कुमार की पूर्णपीठ गंगा प्रदूषण मामले की सुनवाई कर रही है।

विद्युत शवदाह गृह चालू रखने का निर्देश
प्रयागराज में विद्युत शवदाह गृहों की स्थिति पर कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार व नगर निगम आपसी तालमेल से कार्य करें। नगर आयुक्त शवदाह गृहों को चालू रखने के लिए पावर बैक अप रखें। साथ ही पेय जल, शौचालय आदि सुविधाएं मुहैया कराई जाएं और नगर निगम व प्रयागराज विकास प्राधिकरण स्नान घाटों से शवदाह घाट दूर रखने की योजना तैयार कर लागू करें।

वाराणसी में गंगा किनारे निर्माण
न्यायमित्र अरुण गुप्ता ने वाराणसी में गंगा पार नहर बनाने से बाढ़ के कारण जन-धन की बर्बादी का मुद्दा उठाया और कहा कि इससे गंगा नदी का ईको सिस्टम गड़बड़ा सकता है। साथ ही ललिता घाट पर गंगा में दीवार बनाने व विश्वनाथ कारीडोर का मलबा उसमें डंप करने पर आपत्ति की। उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग ने वाराणसी में करोड़ों खर्च कर गंगा पार 5 किमी लंबी 30 मीटर चौड़ी नहर बनाने से आई बाढ़ में जनधन की बर्बादी हुई है। कोर्ट ने गंगा घाट की स्थिति व गंगा के ईको सिस्टम के प्रभावित होने के मुद्दे पर राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी से ब्योरा मांगा है और नहर के मुद्दे पर सिंचाई विभाग के प्रबंध निदेशक से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। साथ ही गंगा किनारे पक्के निर्माण पर वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, जिलाधिकारी  से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है।

नव प्रयागम् योजना नैनी
न्यायमित्र गुप्ता ने नव प्रयागम् योजना का मुद्दा उठाया और कहा कि हाईकोर्ट ने गंगा किनारे उच्चतम बाढ़ बिंदु से पांच सौ मीटर तक निर्माण पर
रोक लगा रखी है। इस आदेश की जानकारी होने के बावजूद प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने यमुना पुल के पास आवासीय योजना बनाई है। जिसकी अनुमति नहीं ली गई है। कोर्ट ने प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को प्रोजेक्ट प्लान पेश करने का निर्देश दिया है। गुप्ता ने प्राइवेट बिल्डरों द्वारा गंगा किनारे प्लाट बेचने पर प्राधिकरण की चुप्पी पर सवाल खड़े किए और कहा कि प्रतिबंधित एरिया में निर्माण कैसे हो रहा है। पीडीए आंख बंद कर बैठी है। इसपर कोर्ट ने पीडीए उपाध्यक्ष को सर्वे कराने का निर्देश दिया है और पूछा है कि कितने निर्माण हाईकोर्ट के प्रतिबंध के खिलाफ किए गए हैं। सर्वे में दोहरा मापदंड न अपनाएं और सभी के साथ समान कार्यवाही की जाए। रिपोर्ट पेश की जाए। 

माघ मेले में बैन रहेगा प्लास्टिक बैग
प्रयागराज माघ मेला इंचार्ज ने बताया कि 15 जुलाई 18 को अधिसूचना जारी कर 50 माइक्रान के प्लास्टिक बैग निर्माण, बिक्त्रस्ी, इस्तेमाल, वितरण, स्टोरेज, ट्रांसपोर्ट इंपोर्ट को प्रतिबंधित किया गया है। 2 अक्तूूबर 18 से लागू किया गया है। कोर्ट ने कमिश्नर को एक डीएम रैंक के अधिकारी की टीम बनाकर पुलिस की सहायता से बैन को लागू करने का निर्देश दिया है। कहा है कि वह खुद सुपरवाइज करें और 15 दिन पर रिपोर्ट पेश करें। कोर्ट ने राज्य सरकार से हरिश्चंद्र शोध संस्थान छतनाग के निर्माण को लेकर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है और पूछा है कि निर्माण हाईकोर्ट के प्रतिबंध के खिलाफ तो नहीं किया गया है। याचिका की सुनवाई 12 नवंबर को होगी।

विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शोधन के बाद गंगा में गिरने वाले नालों के पानी की जांच आईआईटी कानपुर और आईआईटी बीएचयू से कराने का निर्देश दिया है। यह नाले बायोरेमिडियन ट्रीटमेंट के बाद गंगा में गिराए जा रहे हैं। कोर्ट ने नालों के पानी का सैंपल लेकर जांच कराकर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। रात में गंदे नाले को गंगा में डालने व एसटीपी बंद रखने की अधिवक्ता वीसी श्रीवास्तव की शिकायत पर सैंपल लेने के लिए न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण कुमार गुप्ता के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई है।

मुख्य स्थायी अधिवक्ता जेएन मौर्य, भारत सरकार के अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी, राज्य विधि अधिकारी मनु घिल्डियाल व अधिवक्ता चंदन शर्मा टीम के सदस्य होंगे। एडीएम सिटी के कोआर्डिनेशन में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम नमूने लेगी। बोर्ड की जांच रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में अधिवक्ता एचएन त्रिपाठी के मार्फत कोर्ट में पेश होगी। साथ ही आईआईटी की जांच रिपोर्टें महानिबंधक के मार्फत पेश की जाएंगी। ताकि प्रदूषण पर रिपोर्टों की तुलना की जा सके।