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Editorial: अभिव्यक्ति की आजादी का दुरपयोग देश को बदनाम करने में क्यों?

18-nov-2021

कई वर्षों से वीर दास को एक ‘कॉमेडियनÓ के तौर पर जाना जाता है। वे भी खुद को ‘कॉमेडियनÓ ही बताते हैं। यह बताते समय इस बात को हाइलाइट करना नहीं भूलते कि वे अराजनीतिक हैं। अर्थात हर तरह से लिबरल गुण संपन्न। खुद को अराजनीतिक बताना हर लिबरल का ऐसा हथियार है, जिसे कहीं भी किसी भी मौके पर चलाया जा सकता है।
यही कारण है कि आए दिन सोशल मीडिया पर इनका दोमुँहापन बार-बार दिखाई देता है। प्रश्न किए जाने पर ये ‘कॉमेडियनÓ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रजाई ओढ़ लेता है। प्रश्नों के उत्तर नहीं देता क्योंकि उसका ऐसा मानना है कि अधिकतर भारतीय उससे प्रश्न करने लायक नहीं हैं। इस बात में बड़ी गंभीरता से विश्वास करता है कि वो प्रश्नों से ऊपर है।
कॉमेडी के नाम पर भारत की धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था के बारे में यह ‘कॉमेडियनÓ जो कुछ कहता है, उसके अनुसार एक निर्णय है। ऐसा निर्णय जिसके विरुद्ध न तो अपील की जा सकती है और न ही उस पर प्रश्न उठाया जा सकता है। इस ‘कॉमेडियनÓ का आचरण बार-बार यह साबित करता रहा है कि ये लोकतांत्रिक बहस को फिजूल मानता है। अपनी किसी थ्योरी या विचार का पूरे देश के परिप्रेक्ष्य में सामान्यीकरण कर देना इसकी तथाकथित कॉमेडी का मूल तत्व है।
वीर दास का एक स्टैंडअप कॉमेडी का वीडियो वायरल है और सोशल मीडिया पर बहस का विषय भी। वाशिंगटन में अपने शो की शुरुआत करते हुए वे बताते हैं कि ‘वी आर सोल्ड आउटÓ। अब इसे उनके विरोधी और आलोचक चाहे जैसे देखें पर उनकी ऑडियंस इस पर ताली बजाती है। वे आगे बताते हैं कि वे भारत से आते हैं जहाँ दिन में महिलाओं की पूजा की जाती है और रात में उनका सामूहिक बलात्कार किया जाता है।
इतने बड़े देश को देखने का यह तरीका सामान्य नहीं है। पर इस तरीके का सहारा लेकर भारत के प्रति इस तरह के दृष्टिकोण को सामान्य बनाने का प्रयास साफ़ दिखाई देता है। वैसे भी ऐसे प्रयास कोई पहली बार नहीं हो रहे हैं कि इसके पीछे का उद्देश्य लोगों की समझ में न आए।
जाहिर है, इससे अधिकतर भारतीयों में मन में प्रश्न उठेगा कि ये ‘कॉमेडियनÓ किस भारत की बात कर रहा है? यह भारत कहाँ है जिसमें महिलाओं के साथ ऐसा हो रहा है? यदि इस कॉमेडियन का अनुभव ऐसे किसी भारत में रहने का है तो हमारे भारत को अपनी थ्योरी और उससे बनी तथाकथित कॉमेडी में क्यों घसीट रहा है?