पिछले एक साल से उत्तर प्रदेश का हाथरस जिला पूरे देश में चर्चा का केंद्र रहा है। यहां सितंबर 2020 में एक दलित युवती के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया था। घटना ने काफी तूल पकड़ा। देखते ही देखते देश की राजनीति में ये मुद्दा हावी हो गया। आज भी विपक्षी दलों के नेता हाथरस कांड के जरिए ही योगी सरकार पर निशाना साधते हैं। ये तो हाथरस की एक बुरी पहचान है। इससे हटकर यहां की एक धार्मिक पहचान भी है। यहां जैन धर्म के अनुयायियों के आस्था का प्रतीक तीर्थधाम मंगलायतन है। मंगलायतन में दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
राजनीति के लिहाज से भी अब हाथरस काफी चर्चित है। जिले में तीन विधानसभा क्षेत्र हैं। इनमें दो पर भारतीय जनता पार्टी और एक पर बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी रामवीर उपाध्याय ने 2017 चुनाव में जीत हासिल की थी। रामवीर अभी बसपा से निलंबित चल रहे हैं।
अब एक बार फिर से यहां विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं। ऐसे में इस बार आम लोगों के लिए चुनाव में क्या मुद्दे होंगे? युवा, महिलाएं और यहां की आम जनता मौजूदा सरकार के बारे में क्या सोचती है? क्या इन साढ़े चार साल में जिले का विकास हो पाया? राजनीतिक दलों के नेताओं का क्या मानना है? वह किन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएंगे? ऐसे तमाम सवालों का जवाब जानने के लिए चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ सोमवार को हाथरस में होगा।
आप भी इस मंच से जुड़ सकते हैं। इसके जरिए आप अपने क्षेत्र, शहर, राज्य और देश के हर मुद्दों को उठा पाएंगे। आप बता पाएंगे कि आने वाले चुनाव में नेताओं और राजनीतिक दलों से आपको क्या उम्मीदें हैं? किन मसलों को लेकर आप वोट करेंगे और नेताओं से आप क्या चाहते हैं?
अब तक इन जिलों में हुआ कार्यक्रम
अब तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश और ब्रज के कई जिलों मेंयह कार्यक्रम हो चुका है। गाजियाबाद से शुरू हुआ ‘सत्ता का संग्राम’ मुरादाबाद, रामपुर, अमरोहा, बरेली, बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा, मैनपुरी, एटा, फिरोजाबाद, आगरा होते हुए मथुरा पहुंचा। अब अगला पड़ाव हाथरस है।
‘सत्ता का संग्राम’ में क्या होगा खास?
चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ के तहत हर वर्ग के मतदाताओं तक पहुंचेगा। चाय पर चर्चा के साथ-साथ महिलाओं-युवाओं से संवाद होगा और राजनीतिक हस्तियों से सीधे सवाल पूछे जाएंगे। आपको एक मंच दे रहा है, जहां आप बातों को रख सकेंगे, ताकि जब राजनीतिक हस्तियां चुनावी रैलियां करने आएं तो उन्हें आपसे जुड़े जमीनी मुद्दे भी याद रहें।
विशेष प्रोत्साहन की व्यवस्था
‘सत्ता का संग्राम’ से जुड़े कार्यक्रमों में जमीनी स्तर पर हिस्सा लेने वाले दर्शकों और श्रोताओं के लिए विशेष प्रोत्साहन की भी व्यवस्था की गई है।
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