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कासगंज: हिरणों को रास आई भागीरथी और गंगावन की आबोहवा, पाड़ा और काला हिरण प्रजाति के हिरणों के दिखे झुंड

विलुप्त होती जा रही प्रजातियों के वन्य जीव अब गंगा नदी किनारे आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं। पाड़ा (छोटा हिरण), काला हिरण (कृष्ण मृग) प्रजातियों के हिरणों के झुंड अब गंगा और भागीरथ वन की शोभा बढ़ा रहे हैं। इन हिरणों के झुंडों में शामिल नन्हे मुन्ने मेहमानों की अठखेलियां सबसे अधिक आकर्षक हैं। वन विभाग इनके संरक्षण की योजना तैयार कर रहा है। अपने विलक्षण सींगों से पहचान रखने वाले हिरण को बारहसिंघा कहते हैं, हालांकि इस प्रजाति के हिरण जिले में दिखाई नहीं दिए हैं। पाड़ा और काला हिरण के झुंड अब दिखने लगे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक इन प्रजातियों के हिरण धीरे-धीरे विलुप्त होने लगे हैं। अब गंगा नदी के किनारे एक बड़े क्षेत्रफल में बने गंगा और भागीरथी वन में हिरणों की यह प्रजातियां दिखने लगी हैं। यहां की आबोहवा इन प्रजातियों के हिरणों को रास आने लगी है।

विशेषज्ञों का मानना है कि हिरण बहुत ही सीधा वन्य जीव होता है, लेकिन यह बहुत ही सतर्क वन्य जीव होता है। जरा सी आहट को भांप लेता है। यह पेड़ पौधों में बसकर अपना बसेरा करता है। ये वहीं ठहरते हैं जहां घास हो। गंगा व भागीरथी वन में पेड़ पौधे भी हैं और आसपास घास भी है। इसलिए यहां की आबोहवा इनको रास आ रही है।

गंगा नदी के किनारे कहां-कहां और कितने हिरणों का झुंड हैं, इसका सर्वेक्षण वन विभाग ने शुरू कर दिया है। वन विभाग यहां हिरणों की गणना भी कराएगा। जिससे पता चले कि इतने हिरण हैं और उनका किस तरह बेहतर संरक्षण किया जा सकता है।

फिलहाल हिरण के झुंड गंगा और भागरथी वन में देखने को मिल रहे हैं, यहां दोनों वनों के बीच लगभग 17 किलोमीटर के बीच पेड़ पौधे लगाकर वन्य जीवों के संरक्षण के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाने की योजना है। माना जा रहा है कि ग्रीन कॉरिडोर विकसित हो जाएगा।

भागीरथी एवं गंगा वन में पाड़ा और काला हिरण प्रजाति के झुंड देखने को मिले हैं। इनकी गणना कराई जाएगी। हिरणों के संरक्षण के लिए योजना बनाई जा रही है। यहां का वातावरण हिरणों को पसंद आ रहा है। -हरि शुक्ला, डीएफओ