Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

IT Raid on SP leaders: अखिलेश यादव के करीबियों ने माना 68 करोड़ का घपला, इनकम टैक्स के छापे में मिला बोगस कंपनियों के जरिए करोड़ों का खेल

लखनऊ
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के करीबियों के ठिकानों पर चार दिनों तक छापेमारी चली। मंगलवार को यह छापेमारी खत्म हो गई लखनऊ, मैनपुरी, मऊ, कोलकाता, बेंगलुरु व एनसीआर में 30 ठिकानों पर हुई छापेमारी में टीम को करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी मिली है। विभाग ने 1 करोड़ 12 लाख रुपये की नगदी भी जब्त की है। इस दौरान इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को 68 करोड़ की अघोषित आय पर टैक्स चोरी का भी पता चला है।

विभाग के मुताबिक, सिविल कंस्ट्रक्शन से जुड़े कारोबारी के यहां छापेमारी के दौरान करोड़ों रुपये के बोगस दस्तावेज मिले हैं। इनका इस्तेमाल टैक्स चोरी के लिए किया जा रहा था। इसके अलावा खाड़ी देश में पैसा भेजने में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) का भी उल्लंघन किया गया है। आयकर विभाग ने शनिवार को सपा प्रवक्ता राजीव राय, आरसीएल ग्रुप के मनोज यादव, अखिलेश यादव के पूर्व ओएसडी जैनेंद्र यादव नीटू और कारोबारी राहुल भसीन के ठिकानों पर छापेमारी शुरू की थी की थी।

बोगस कंपनी के जरिए करोड़ों का खेल
छापेमारी में जो करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी पकड़ी गई है। उसमें कारोबारी शेल कंपनियों के जरिए निवेश कर टैक्स चोरी करते थे। आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक पहले तो कंस्ट्रक्शन कारोबारी बोगस खर्चे दिखाकर टैक्स बचाते थे। इसके बाद जो रकम बचती थी, उसके लिए शेल कंपनियां बनाई जाती थीं, जिसमें निवेश किया जाता था। जिस कंस्ट्रक्शन कारोबारी के यहां इनकम टैक्स विभाग ने 68 करोड़ रुपये की अघोषित आय पर टैक्स चोरी पकड़ी है। कुछ ही साल में उस कंस्ट्रक्शन कंपनी का टर्नओवर बढ़कर 150 करोड़ रुपये हो गया था।

कोलकाता में बनाई जाती थीं कंपनियां
आयकर विभाग की छापेमारी में पकड़े गए एक दूसरे मामले में भी बोगस कंपनियां बनाकर निवेश किया गया। ये सभी बोगस कंपनियां कोलकाता में बनाई जाती थीं और इन्हीं कंपनियों में अघोषित आय का निवेश किया जाता था। इसके लिए बाकायदा कोलकाता में ऑपरेटर थे, जो इन बोगस कंपनियों को बनाते थे। आयकर अधिकारियों के मुताबिक इन कंपनियों में हवाला के जरिए भी निवेश किया जाता था। छापेमारी के दौरान आयकर विभाग की टीम ने बड़े पैमाने पर डिजिटल डेटा भी सील किया है, जिसकी जांच आयकर विभाग कर रहा है।

आयकर विभाग की छापेमारी

ऐसे होता है पूरा खेल
आयकर विभाग के अधिकारियों के मुताबिक अघोषित आय को खपाने के लिए पहले एक खाते में जमा किया जाता था। जिसके बाद उसे चेक और दूसरे माध्यमों से अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किया जाता था। कई खातों में रकम ट्रांसफर हो जाने के बाद उन पैसों का निवेश बोगस कंपनियों में कर दिया जाता था। इन सभी कंपनियों को कोलकाता में बनाया जाता था। ताकि प्रदेश के बाहर होने के नाते किसी का शक भी न जाए। आयकर विभाग ने पिछले कई सालों से अलग-अलग खातों में इस तरह ट्रांजेक्शन देखे। जिसके बाद आयकर की टीम ने ट्रेल करना शुरू किया और पुख्ता जानकारी मिलने के बाद आयकर विभाग की टीम ने छापेमारी शुरू की।

बढ़ सकती हैं अखिलेश के करीबियों की मुसीबतें
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक आयकर विभाग की छापेमारी में जिस तरह से हवाला और फेमा के उल्लंघन का मामला सामने आ रहा है। उससे पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वहीं दूसरी ओर इस पूरे मामले को लेकर बीजेपी भी सपा पर हमलावर हो सकती है। हाल ही में अखिलेश यादव ने इस पूरे मामले को राजनीति से प्रेरित बताया था।

ये घपले मिले

आरसीएल ग्रुप की 68 करोड़ रुपये की अघोषित आय का पता चला है। इसमें से कंस्ट्रक्शन कारोबारी ने 68 करोड़ रुपये पर टैक्स चुकाने की बात स्वीकार की है।लखनऊ में ठेकेदार के ठिकानों पर हुई छापेमारी के दौरान 11 करोड़ रुपये के अघोषित निवेश के कागजात और 3.50 करोड़ रुपये की बेनामी कंपनी के दस्तावेज मिले हैं।एक अन्य कारोबारी ने शेल कंपनियों के जरिए 408 करोड़ रुपये का निवेश कर टैक्स की चोरी की। इन कंपनियों में कोलकाता से निवेश करवाया गया। इसके लिए ऑपरेटर को 5 करोड़ रुपये कमिशन दिया गया।बेंगलुरू में एक ट्रस्ट ने केरल की मरकजू शक्कूफती सुन्नियां और मरकज नॉलेज सिटी ट्रस्ट को 80 लाख रुपये दिए। ये ट्रस्ट खाड़ी देशों से जुड़े हुए हैं। विभाग ने इसमें फेमा का उल्लंघन भी पाया है।