Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

कासगंज: पूस की रात के हल्कू बने किसान, खेतों पर गुजार रहे सर्द रात, निराश्रित पशु बर्बाद कर रहे फसल

कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद ने 20वीं सदी के प्रारंभ में एक कहानी लिखी थी पूस की रात। कहानी का मुख्य पात्र गरीब किसान हल्कू पूस की रात को एक मोटी चादर के सहारे खेत की रखवाली कर रहा है। ठीक वैसे ही हालात आज किसानों के हो गए हैं। जिले के किसान निराश्रित पशुओं से फसलों को बचाने के लिए खेतों में सर्द रातें काट रहे हैं। मटर की फसलों को इन निराश्रित पशुओं से सबसे अधिक नुकसान है। दावे बड़े बड़े किए जा रहे हैं कि निराश्रित पशुओं को आश्रय दिया जा रहा है, लेकिन धरातल की हकीकत कुछ अलग ही बयां कर रही है। निराश्रित पशुओं का कहर किसानों की फसलों पर ही नहीं बल्कि किसानों पर भी है। क्योंकि फसल की रखवाली कर रहे किसानों पर आए दिन निराश्रित पशु हमला करते हैं। अभी चार दिन पहले ही सांड के हमले से गांव लुहर्रा के किसान योगेश कुमार की मौत हुई थी। इसके अलावा नगला बंजारा के रामसेवक पर तीन दिन पहले ही निराश्रित पशु ने हमला बोला था, जिससे उसके गंभीर चोटें आईं, लेकिन किसान अपनी फसल की रखवाली के लिए निराश्रित पशुओं का हमला झेलने के लिए भी तैयार हैं।

जिले में हजारों की संख्या में निराश्रित गोवंश विचरण कर रहे हैं, लेकिन सरकारी आकलन या गणना के कोई आंकड़े नहीं हैं। पशु चिकित्सा विभाग का दावा रहता है कि कुछ ही निराश्रित पशु बेसहारा हैं, जबकि हजारों पशु खेतों में हैं।
फसलों को नुकसान पहुंचा रहे गोवंशों को लेकर ढोलना और अलीगढ़ के गांव चित्तरासी के ग्रामीण भिड़ गए। आरोप है कि ढोलना के ग्रामीणों ने सड़क पर गोवंश छोड़ दिए थे। जिससे चित्तरासी के ग्रामीण आक्रोशित हो गए और दोनों ओर से मारपीट हुई। सूचना पर गंगीरी थाने की पुलिस भी पहुंच गई। पुलिस और भाजपा नेताओं के हस्तक्षेप के बाद विवाद शांत हुआ। देर रात तक कहासुनी होती रही।

– निराश्रित पशु फसलों को बर्बाद कर रहे हैं। मटर की फसल में काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। किसान बर्बादी के कगार पर हैं। – रिंकू

– पूरी रात खेतों की रखवाली में गुजारनी पड़ रही है। निराश्रित पशुओं को खेतों से भगाते हैं तो वे हमलावर हो जाते हैं। समस्या का कोई समाधान नहीं हो रहा। – केहरी सिंह

– सर्द रातें हैं। पशुओं के हमलों का डर है। ठिठुरन के बीच डर सताता रहता है, लेकिन क्या करें फसलों की रखवाली के लिए परेशानी झेलना मजबूरी है।- प्रेमपाल

– निराश्रित पशुओं से फसलों को बचाया जाए। टोलियों में पशु आते हैं और फसलों को बर्बाद कर चले जाते हैं। पांच बीघा मटर की फसल में काफी बर्बाद कर दी है।- गजेंद्र।

निराश्रित गोवंशों को कान्हा केंद्र व गोशालाओं में आश्रय दिया गया है। दूसरे जिलों की सीमा से किसान अपने अनुपयोगी गोवंश छोड़ जाते हैं। हमारा प्रयास है कि निराश्रित पशु खुलें में न घूमें। उन्हें आश्रय मिल सके। – एके सागर, प्रभारी सीवीओ

यह हैं सरकारी व्यवस्थाएं

– 14 हैं जिले में कुल गोशालाएं और आश्रय स्थल।

– 2 हैं निजी गोशालाएं।

– 6 हैं कान्हा गोशाला केंद्र।

– 2 हैं वृहद गोशालाएं।

– 4 हैं अस्थायी आश्रय स्थल।

– 4042 गोवंश हैं गोशालाओं में संरक्षित।

– 910 गोवंश दिए जा चुके हैं पशुपालकों को।