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Editorial: आतंक के बल पर अपनी सोच को थोपने का काम क्यों कर रहे हैं कट्टरपंथी

3-1-2022

आतंक के बल पर अपनी सोच को थोपने का काम करने वाले कट्टरपंथी अपने क्रूर रणनीतिओं के सहारे गलत कार्य को भी सही ठहराते हैं और इस सन्दर्भ में शरिया कानून को उचित मानते हैं। दरअसल, कट्टरपंथियों का अड्डा बना तालिबान इसबार अपने दो नए फरमान लेकर हाजिर है और यह फरमान है कपड़ों की दुकान पर लगने वाले पुतलों के सिर कलम करने का और हारमोनियम को इस्लाम में हराम मानकर उसे तोडऩे का। राहा प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान ने फिर से एक विवादास्पद फैसला सुनाया है, जिसमें उसने अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में कपड़ों की दुकानों में रखी ङ्खशद्वद्गठ्ठ स्ह्लड्डह्लह्वद्गह्य का सिर कलम करने का आदेश दिया गया है।

 क्कक्कङ्कङ्क निदेशालय ने ङ्खशद्वद्गठ्ठ स्ह्लड्डह्लह्वद्गह्य के साथ इस तरह का व्यवहार करने का आदेश दिया है, क्योंकि यह विवादास्पद ‘शरियाÓ कानून का उल्लंघन करता है। तालिबान के अनुसार, पुतलों के सिर को देखना भी शरिया कानून का उल्लंघन माना जाता है। विशेष रूप से, शरिया एक धार्मिक कानून है, जो इस्लामी परंपरा का हिस्सा है और इस्लाम के धार्मिक उपदेशों से लिया गया है। साथ ही, यह इस्लाम के पवित्र ग्रंथों, विशेष रूप से कुरान और हदीस की व्याख्याओं पर आधारित है।

हालांकि, अफगानिस्तान सहित कुछ इस्लामिक राष्ट्रों ने अपनी राजनीतिक मान्यताओं के अनुसार कुरान की आयतों को बदल दिया है। अफगानिस्तान के पश्चिमी प्रांत हेरात में दुकानदारों से कहा गया है कि वे अपने पुतलों के सिर काट लें क्योंकि वहां के अधिकारियों ने डमी को पापी ‘मूर्तिÓ करार दिया है। बता दें कि मूर्तियों की पूजा करना इस्लाम में एक पाप माना जाता है क्योंकि अल्लाह के अलावा किसी और की पूजा पर प्रतिबंध है।

बताते चलें कि तालिबान में इस्लाम की देखरेख करने हेतु जिम्मेदार निकाय रूद्बठ्ठद्बह्यह्लह्म्4 द्घशह्म् ह्लद्धद्ग क्कह्म्शश्चड्डद्दड्डह्लद्बशठ्ठ शद्घ ङ्कद्बह्म्ह्लह्वद्ग ड्डठ्ठस्र ह्लद्धद्ग क्कह्म्द्ग1द्गठ्ठह्लद्बशठ्ठ शद्घ ङ्कद्बष्द्ग द्बठ्ठ ॥द्गह्म्ड्डह्ल ने इस सप्ताह एक कठोर निर्णय प्रकाशित किया था, जिसमें मंत्रालय ने शुरू में दुकानदारों को पुतलों को पूरी तरह से हटाने का आदेश दिया था लेकिन स्टोर मालिकों ने पलटवार करते हुए कहा कि इससे काफी वित्तीय नुकसान होगा।

स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, शिकायत मंत्रालय के प्रमुख शेख अजीज-उ-रहमान को पुतलों के सिर काटने का आदेश देने के लिए प्रेरित किया गया, जिसके बाद दुकानदारों को लिखे एक नोट में कहा गया कि “तुम्हारी दुकानों में सभी मूर्तियाँ और पुतले बिना सिर के होने चाहिए।” वहीं, व्यवसाय के मालिक अब्दुल वदूद फैज़ ज़ादा ने इतालवी समाचार पत्र रिपब्लिका को बताया कि “प्रत्येक पुतले की कीमत $ 100, या $ 80 या $ 70 है, और उनका सिर काटना एक बहुत बड़ा वित्तीय नुकसान होगा।”

हालांकि, इस साल की शुरुआत में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगान महिलाओं को अपनी स्वतंत्रता और शिक्षा पर भारी कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। महिलाओं और लड़कियों को लंबे समय से चेतावनी दी गई है कि वे तालिबान के अधिग्रहण के सबसे बड़े संभावित शिकार होंगे। 90 के दशक में समूह द्वारा बनाए गए क्रूर, दमनकारी और सेक्सिस्ट कानूनों को वापस लागू किया जा रहा है। बहुत अधिक शारीरिक त्वचा को दिखाने, बुनियादी मानवाधिकारों की मांग करने, अफेयर्स रखने और बलात्कार पीडि़त होने के लिए महिलाओं की हत्या की जा रही है। हालांकि, काबुल के कट्टर इस्लामी गुट ने तालिबान से हारने के बाद अफगानों को ‘स्वतंत्रताÓ का आश्वासन दिया था और कहा था कि “देश से भागने की कोई आवश्यकता नहीं है।”

इसी बीच तालिबान ने एक और कुकृत्य को अंजाम दिया है, जो की हारमोनियम से जुड़ा हुआ है। एक राजनीतिक बहस कार्यक्रम के दौरान अफगान टीवी एंकर को कम से कम आठ हथियारबंद तालिबानी आतंकियों ने उसे लाइव कैमरे पर घेर लिया। इस दौरान तालिबानी आतंकियों को टेलीविजन सेट पर तोड़-फोड़ और हारमोनियम सहित कई संगीत वाद्ययंत्रों को नष्ट करते हुए देखा जा सकता है क्योंकि यह इस्लाम में हराम है।

ऐसे में, यह कहा जा सकता है कि कट्टरपंथी समूह के विचार और क्रूर मानसिकता दुनिया को तबाह करने पर तुली हुई है। वहीं, इस बढ़ते कट्टरपंथ को लामबंद करने हेतु विश्व के संपूर्ण देशों को एकजुट होकर कड़ा विरोध करने की जरुरत है।

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