7-1-2022
पंजाब दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक, पंजाब में आतंकवाद व खालिस्तानियों को हवा देना है और अब खालिस्तानी मुहिम को कुचलने का समय आ गया है। यदि खालिस्तानियों का इलाज ना किया तो पंजाब नहीं देश में आतंकवाद आएगा। जिस राज्य में पीएम सुरक्षित नहीं वहां आम आदमी की क्या सुरक्षा होती होगी।
बुधवार को एक बड़ी सुरक्षा चूक के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंजाब में एक फ्लाईओवर पर 15-20 मिनट तक फंसे रहे। कथित किसान प्रदर्शनकारियों ने उनके काफिले का मार्ग तब अवरुद्ध कर दिया, जब वह पाकिस्तान के साथ लगने वाली हुसैनीवाला सीमा में राष्ट्रीय शहीद स्मारक की ओर जा रहे थे।
प्रधानमंत्री के फिरोजपुर में निर्धारित कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया जिसमें उन्हें 42,750 करोड़ रुपये के विकास कार्यों की आधारशिला रखनी थी और एक रैली को भी संबोधित करना था। इस घटना के बाद गृह मंत्रालय ने, क्करू मोदी की गंभीर सुरक्षा का संज्ञान लेते हुए इस चूक के लिए पंजाब सरकार से एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है और उसे ‘इस चूक के लिए जिम्मेदारी तय करने और सख्त कार्रवाई करनेÓ के लिए कहा।
स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री को अपनी जान बचने पर मुख्यमंत्री को धन्यवाद देना पड़ा। समाचार एजेंसी ्रहृढ्ढ ने बठिंडा से रिपोर्ट करते हुए बताया कि हवाई अड्डे पर अधिकारियों से प्रधानमंत्री ने कहा, “अपने सीएम को धन्यवाद कहना, की में बठिंडा एयरपोर्ट तक जिंदा लौट आया।”
कोई भी इंसान, जिसका दिमाग चलता है, वह बता देगा कि ऐसे घटनाओं के पीछे हकीकत क्या हो सकती है लेकिन सारी घटना का सार अगर निकाला जाए तो वह यह है कि “कल्पना कीजिए, एक राज्य के ष्टस् और ष्ठत्रक्क प्रधानमंत्री के काफिले को एक निश्चित मार्ग का उपयोग करने के लिए आगे बढ़ाते हैं और प्रदर्शनकारियों को एक ही समय में उसी मार्ग तक पहुंचने की अनुमति देते हैं। कल पंजाब में यही हुआ है।”
भाजपा ने भी पंजाब में कांग्रेस और उसकी सरकार पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि काँग्रेस ऐसी स्थिति पैदा कर रही है जहां “प्रधानमंत्री को नुकसान पहुंचाया जाए।”
बीते दिन केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने नई दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “हम जानते हैं कि कांग्रेस मोदी से नफरत करती है। लेकिन आज उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है। पंजाब की कानून-व्यवस्था इस कदर टूट गई है कि डीजीपी का दावा है कि वह क्करूह्र और प्रधानमंत्री की सुरक्षा के ब्यौरे को ही सुरक्षा मुहैया कराने में असमर्थ हैं। पंजाब में प्रशासन की स्थिति ऐसी है कि एक प्रोटोकॉल जिसका पालन राज्य को करना होता है, उसको ध्वस्त कर दिया गया ताकि प्रधानमंत्री को नुकसान पहुंचाया जा सके।”
पंजाब पर एक पुराना दाग भी है। यहां बात 1984 की हो रही है। यह वह वर्ष था जब एक और प्रधानमंत्री की हत्या हुई थी। खैर, चंद खालिस्तानियों की वजह से एक समुदाय को नफरत का पात्र बनना पड़ा था, अब इस बार इस गलती के लिए पंजाब किसी की नफरत नहीं लेगा और आने वाले चुनावों में काँग्रेस को जवाब मिलना तय है।
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