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पैंगोंग झील पर चीन के पुल बनाए जाने पर विदेश मंत्रालय का आया बयान

पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील क्षेत्र में चीन द्वारा पुल बनाए जाने की खबरों पर गुरुवार को भारत ने कहा कि सरकार इस गतिविधि पर करीब से नजर रख रही है। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को चीन द्वारा पैंगोंग झील पर एक पुल के अवैध निर्माण पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि सरकार पूरी स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पैंगोंग झील के चीनी किनारे पर पड़ोसी देश द्वारा बनाए जा रहे एक पुल के बारे में सामने आई रिपोर्ट पर बात करते हुए कहा, सरकार इस गतिविधि की बारीकी से निगरानी कर रही है।

इस पुल का निर्माण उन क्षेत्रों में किया जा रहा है, जो लगभग 60 वर्ष से चीन के अवैध कब्जे में हैं। जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं, भारत ने कभी भी इस तरह के अवैध कब्जे को स्वीकार नहीं किया है। बागची ने कहा हमारे सुरक्षा हितों की पूरी तरह से रक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार सभी आवश्यक कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों के तहत सरकार ने पिछले सात वर्षों के दौरान सीमावर्ती बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बजट में उल्लेखनीय वृद्धि की है और पहले से कहीं अधिक सड़कों और पुलों को पूरा किया है।

बागची ने कहा, इनसे स्थानीय आबादी के साथ-साथ सशस्त्र बलों को बहुत आवश्यक कनेक्टिविटी प्रदान की गई है। सरकार इस उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध है।यह पाया गया है कि चीन पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों को जोड़ने वाले पुल का निर्माण कार्य कम से कम दो महीने से कर रहा है। पुल चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को दोनों साइड त्वरित पहुंच प्राप्त करने में सहायक होगा। भारत ने अगस्त 2020 में दक्षिणी तट पर कैलाश रेंज पर प्रमुख ऊंचाइयों पर अपना कब्जा कर लिया था, जिससे हमारे सैनिकों को एक रणनीतिक लाभ मिला था।

हालांकि, पिछले साल फरवरी में पैंगोंग में सैनिकों के पीछे हटने के साथ ही भारत तनाव को कम करने के लिए आपसी पुलबैक योजना के हिस्से के तौर पर उन ऊंचाइयों से पीछे हट गया। इसके अलावा, चीन ने 1 जनवरी को अपना नया सीमा कानून लागू किया, जो अपनी सीमा सुरक्षा को मजबूत करने और गांवों और सीमाओं के पास बुनियादी ढांचे के विकास का आह्वान करता है। कानून के लागू होने से ठीक पहले चीन ने अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश के 15 स्थानों के नाम बदल दिए।