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Rahul Gandhi today insulted Vande Mataram for votes

आज कर्नाटक में राहुल गांधी ने वोटों के लिये मुस्लिम तुष्टिकरण के लिये वंदे मातरम राष्ट्रगीत को एक लाईन में ही  खत्म करवा दिया।
इसके पूर्व 7 सितंबर 2005 को यूपीए शासनकाल में ही उस समय के केन्द्रीय मंत्री अर्जुन सिंह द्वारा संसद में वंदे  मातरम शताब्दी समारोह आयोजित किया गया था। उसमें कट्टरपंथी, अलगाववादी तत्वों का विरोध होने से मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति पर चलते हुये उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और मैडम सोनिया गांधी ने उस आयोजन का बहिस्कार किया था।
आज राहुल गांधी ने जानबूझकर वंदेमातरम गीत का अपमान किया। जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार और उसके आजादी गैंग द्वारा वंदे मातरम गीत का और राष्ट्रध्वज तिरंगा ध्वज फहराने का भी विरोध होते रहा है। अब ये ही  सब देश विराधी तत्व राहुल गांधी के सिपहेसालार हैं।
कन्हैय्या कुमार ने तो एक समय कहा था कि वह यदि विवाह करे तो अपनी पत्नी का नाम भी वंदे मातरम रख सकते  हैं।
बीजेपी आईटी सेल के चीफ मालवीय ने टीवी 9 का एक विडियो ट्वीट किया है। इस विडियो में कर्नाटक के प्रदेश  कांग्रेस अध्यक्ष के.सी वेणुगोपाल उनसे वंदे मातरम के लिए खड़े होने के लिए कहते हैं, इस पर राहुल गांधी कहते हैं कि  प्लीज इसे जल्दी कराइए। इसके बाद वेणुगोपाल ने वंदे मातरम गाने वाले व्यक्ति के पास जाकर कहा कि सिर्फ एक  लाइन ही गाइए।
राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने ट्वीट कर कहा, ‘कर्नाटक में एक पब्लिक रैली के दौरान  राहुल गांधी ने वंदे मातरम को एक लाइन में समाप्त करने के लिए कहा। इसीलिए हम उन्हें शहजादा कहते हैं।  अधिकार का उनका भाव डराने वाला है, वह इस देश को परिवार की संपदा समझते हैं। क्या वह अपनी इच्छा से  राष्ट्रगीत को भी संशोधित कर सकते हैं?
बीजेपी के आरोपों पर जवाब देते हुए कांग्रेस नेता बृजेश कलप्पा ने कहा कि कार्यक्रम में एक बार वंदे मातरम हो चुका  था। ऐसे में दूसरी बार वंदे मातरम होने की बात पर राहुल गांधी ने उसे एक लाइन में ही समाप्त करने को कहा। इसमें  विवाद की कोई वजह नहीं है।
मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को पढऩे के बाद’महा सरकार सभी स्कूलों में वंदे मातरम गायन को लागू करने का निर्णय  लिया है।देशभक्ति के बारे में सांप्रदायिक क्यों है?उत्तर प्रदेश के मंत्री मोहसिन रजा ने योगीसरकार द्वारा मदरसो म  स्वतंत्रता दिवस अनिवार्य रूप से मनाने का जो कार्यक्रम घोषितकिया है उसका स्वागत करते हुए कहा है किअगर  मुस्लिम ‘वंदे मातरा गाते हैं तो यह गलतनहीं है: सभी राष्ट्रीय गीतों को पूरे उत्साह के साथहर जगह गाया जाना  चाहिए: वंदे मातरम गायन के कारण कई लोग शहीद हुए।
लाला लाजपत राय ने लाहौर से जिस जर्नल का प्रकाशन शुरू किया, उसका नाम ‘वंदेमातरम रखा। अंग्रेजों की गोली का  शिकार बनकर दमतोडऩे वाली आजादी की दीवानी मातंगिनीहजारा की जुबान पर आखिरी शब्द ‘वंदेमातरम ही थे।1907  में मैडम भीकाजी कामा ने जबजर्मनी के स्टटगार्ट में तिरंगा फहराया तो उसके मध्य में ‘वंदे मातर ही लिखा हुआ  था।1920 तक सुब्रह्मण्यम भारती तथा दूसरोंके हाथों विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनूदितहोकर यह गीत राष्ट्रगान की  हैसियत पा चुका था।
वंदे मातरम का विरोध करने वाले और वंदे मातरम गीत का अपमान करने वाले कट्टरपंथी अलगाववादियों में जिन्ना के  जिन्न का प्रवेश हुआ है। इसी कारण कर्नाटक के लिये अलग ध्वज को प्रस्तुत किया गया।  टीपू जयंती का आयोजन  हुआ। बूचडख़ाना प्रारंभ हुये। हिन्दी का विरोध वहॉ की कांग्रेस सरकार द्वारा हुआ। हिन्दुओं को बांटने का कार्य हुआ।
महेन्द्र सिंह ने ठीक ही कमेंट किया है कि अपने आप को शिवभकत कहने वाले बहरूपिए से कोई महामृत्युंजय मंत्र ही  बुला लो सब असलियत पता चल जायेगी।