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वाराणसी को शंघाई सहयोग संगठन की सांस्कृतिक व पर्यटन राजधानी बनाने की तैयारी

वाराणसी संसार के प्राचीनतम शहरों में से एक है। इसे भारत की शैक्षणिक और सांस्कृतिक राजधानी माना जाता है। हालांकि इसकी ख्याति पूरी दुनिया में हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी परंपरा के साथ आधुनिकता के समावेश से इसे नई पहचान दिलाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। इसके तहत जहां काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का भव्य निर्माण किया गया है, वहीं शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्रध्यक्षों के होने वाले शिखर सम्मेलन-2022 में वाराणसी को संगठन की प्रथम सांस्कृतिक व पर्यटन राजधानी के लिए अधिकारिक नामांकन के रूप में प्रस्तुत करने की तैयारी शुरू हो गई है।

दरअसल, सितंबर 2022 से सितंबर 2023 तक के लिए संगठन की सांस्कृतिक और पर्यटन राजधानी बनाने के लिए 100 पेज में वाराणसी का डोजियर (बायोडाटा) तैयार किया जा रहा है। इसमें साल भर तक होने वाले आयोजन, प्रमुख स्थल, खानपान सहित अन्य चीजों को प्रमुखता से उल्लेखित किया जाएगा। इसकी तैयारी के लिए शुक्रवार (28 जनवरी, 2022) को मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल की अध्यक्षता में नगर निगम, संस्कृति विभाग समेत 15 विभागीय अधिकारियों की बैठक हुई।
डोजियर तैयार करने के लिए स्मार्ट सिटी को नोडल एजेंसी बनाया गया है। डोजियर में संकट मोचन मंदिर, संगीत समारोह, महात्माबुद्ध की कर्मभूमि सारनाथ समेत अन्य पर्यटन स्थल की विशेषता व रामनगर की रामलीला समेत अन्य काशी के लोकप्रिय सांस्कृतिक महत्व वाले कार्यक्रमों को समाहित किया जाएगा। पंचक्रोशी परिक्रमा, पावन पथ के मंदिरों की जानकारी और महत्वपूर्ण फोटो जल्दी ही स्मार्ट सिटी को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। इसी तरह हैंडीक्राफ्ट विभाग भी स्मार्ट सिटी को वर्ष भर के आयोजन और प्रमुख हैंडीक्राफ्ट की जानकारी उपलब्ध कराएगा।
मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने कहा कि पूरी रिपोर्ट फरवरी के पहले हफ्तें में सरकार को भेज दी जाएगी। डोजियर वाराणासी को एससीओ की सांस्कृतिक व पर्यटन राजधानी बनाने के लिए रखा जाएगा। अगर मंजूरी मिली तो एससीओ के डेलीगेट्स काशी आएंगे। दुनिया की इस प्राचीनतम नगरी की सांस्कृतिक विरासत को अपनी आंखों से देखेंगे। विश्वस्तर पर काशी का मान सम्मान बढ़ेगा व दूर तक इसके बड़े संदेश जाएंगे। इससे वाराणासी में न सिर्फ पर्यटन बल्कि सांस्कृतिक विकास के साथ रोजगार के मौके भी बढ़ेंगे।