बीसीसीआई अपनी क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) और राष्ट्रीय चयन समिति पर फैसला सुप्रीम कोर्ट में जनवरी में होने वाली सुनवाई के बाद करेगी। पिछले रविवार को बोर्ड ने वार्षिक साधारण सभा में लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों में संशोधन कर अपने पदाधिकारियों के कार्यकाल को बढ़ाने को स्वीकृति दी थी। हालांकि इसके लिए सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी की जरूरत होगी। इसी मामले पर ही अगले महीने बीसीसीआई की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई होगी।
ऐसी सूरत में एमएसके प्रसाद की अध्यक्षता वाली चयन समिति श्रीलंका के खिलाफ 3 मैचों की टी-20 सीरीज के लिए टीम चुन सकती है।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद सीएसी पर फैसला होगा
बीसीसीआई के सूत्रों के मुताबिक, शीर्ष पदाधिकारी जनवरी की सुनवाई तक इंतजार करना चाहते हैं। इसके बाद ही क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) और नई चयन समिति को लेकर स्थिति साफ होगी। ऐसे में अब तक यह साफ नहीं हुआ है कि जनवरी-फरवरी में भारत के न्यूजीलैंड दौरे के लिए टीम का चयन नई या मौजूदा सिलेक्शन कमेटी करेगी।
बीसीसीआई ने अपनी याचिका में ‘कूलिंग ऑफ’ अवधि में छूट मांगी है, जिससे अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह 10 महीने के बजाय अपना कार्यकाल पूरा कर सकें। बोर्ड उस धारा को भी बदलना चाहता है, जिसमें संविधान में किसी भी संशोधन के लिए कोर्ट की मंजूरी की आवश्यकता होती है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंजूर संविधान में 3 साल का अनिवार्य ब्रेक जरूरी
सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वीकृत संविधान के अनुसार अगर कोई पदाधिकारी बीसीसीआई या राज्य संघ में तीन साल के दो कार्यकाल पूरा कर लेता है, तो उसे तीन साल का अनिवार्य ब्रेक (कूलिंग ऑफ पीरियड) लेना होगा। गांगुली बंगाल क्रिकेट बोर्ड (सीएबी) के 5 साल 3 महीने तक अध्यक्ष रह चुके हैं। अक्टूबर में उन्हें बीसीसीआई का नया अध्यक्ष चुना गया। इस लिहाज से उनके पास 9 महीने का कार्यकाल ही बचा था। प्रस्ताव को मंजूरी के बाद उनका कार्यकाल 2024 तक बढ़ाया जा सकता है।
बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में हितों के टकराव के मुद्दे पर भी स्पष्टीकरण मांगेगा
एक दिसंबर को हुई एजीएम के बाद सौरव गांगुली ने क्रिकेट सलाहकार समिति और हितों के टकराव को लेकर कहा था, ‘‘सीएसी के पास ज्यादा काम नहीं है। वह केवल कोच और सिलेक्टर्स का चयन करती है। एक बार चुने जाने पर चयन समिति 4 साल तो कोच 3 साल तक पद पर बना रहता है। ऐसे में फुल टाइम क्रिकेट सलाहकार समिति की जरूरत ही नहीं है।’’अब तक यह (सीएसी) मानद है, इसलिए अगर आप इसके सदस्यों को भुगतान करते हैं, तो उसका आधार क्या है?। जनवरी में सर्वोच्च अदालत में होने वाली सुनवाई में बीसीसीआई इस मुद्दे पर पर भी स्पष्टीकरण मांगेगा।
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