हिन्दुओं को विभाजित करने वाले बहुरूपीये जनेऊधारी जाएंगे उसी कैलाश मानसरोवर जिसे 1962 में चीन के हवाले किया था नेहरू-मेनन ने
राजीव ने रामलला के ताले खुलवा खेला था हिन्दूकार्ड
शाहबानो केस को पलटा था मुस्लिम तुष्टिकरण के लिये
सोशल मीडिया में राहुल गांधी को बहुरूपीया के बाद से ही क्यों कहा जाते रहा? इसका उत्तर…
राहुल ने कहा, ‘मैं दो-तीन दिन पहले कर्नाटक जा रहा था. मैं प्लेन में था. जब प्लेन अचानक 8 हजार फीट नीचे आ गया तो मैं अंदर से हिल गया और लगा कि अब गाड़ी गई. तभी मुझे कैलाश मानसरोवर याद आया.
राहुल ने यह कहते हुए कार्यकर्ताओं से कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने के लिए छुट्टी की मांग की.
राहुल ने कहा, ‘अब मैं आपसे 10 से 15 दिन के लिए छुट्टी चाहता हूं ताकि कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जा सकूं.s
आप यह तो सुनते रहे हैं कि राहुल गांधी अनेक बार बिना जनता से कहे अचानक कथित छुट्टियां मनाने कभी इटली अपनी नानी से मिलने चले जाते थे तो कभी अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने स्पेन, वेनेजुएलेन, लंदन जाते रहे हैं।
एक समय तो जब उत्तराखंड में यूपीए शासनकाल में भयंकर बाढ़ आई हुई थी और वहॉ का केदारनाथ धाम पूर्णत: बाढ़ से प्रभावित होने के करीब था, उस समय बाढ़ पीडि़त लोगों को असहाय छोड़कर वे छुट्टियां मनाने विदेश चले गये थे।
आपने कभी नहीं सुना होगा कि वे किसी हिन्दू धर्मस्थल में अपने जीवनकाल में दर्शन करने गये होंगे।
वोट के लिये नेहरू-डायनेस्टी छल-कपट करने में माहिर है। एक तरफ वे भोल-भाले आदिवासी गरीब पिछड़े हिन्दुओं को आकर्षित करने के लिये अपनी हिन्दू छवि दिखाते रहे और दूसरी ओर अल्पसंख्यक तुष्टिकरण पर चलते रहे हैं।
नेहरू ने तो स्वयं कहा था कि वे एक्सीडेंटल हिन्दू परिवार में पैदा हुये हैं, शिक्षा से अंग्रेज और संस्कृति से मुसलमान हैं। हिन्दुओं को बरगलाने के लिये वे पंडित अपने नाम के आगे जोड़े रखे।
इसी परंपरा को उनके वंश के अन्य शासकों इंदिरा, राजीव, सोनिया और अब राहुल गांधी निभा रहे हैं।
नेहरू घटनावश हिन्दू परिवार में पैदा हुये सिर्फ इसलिये हिन्दू थे। फिरोज खान के पुत्र और पौत्र कुछ भी हो सकते हैं परंतु हिन्दू तो नहीं हो सकते। इसी सत्य को छिपाने के लिये जनता को भ्रमजाल में प्रारंभ से ही रखा जाते रहा है।
राजीव गांधी ने हिन्दू कार्ड खेलने के लिये रामलला का ताला खुलवाये जाने का आदेश दिया। ठीक इसके विपरीत मुस्लिमों के वोट प्राप्त करने के लिये सुप्रीम कोर्ट के शाहबानो के केस को पलट दिया।
वही कार्य अब राहुल गांधी कर रहे हैं। एक ओर कांग्रेस ने अब क्रिस्चियन सोनिया गंाधी को शिवभक्त कहना प्रारंभ कर दिया। इसके पूर्व क्या कभी किसी ने यह सुना था? दस जनपथ में चर्च तो किसी ने देखा होगा पर मंदिर नहीं।
अब वोट के लिये मां-बेटे शिवभक्त बन गये हैं। मुस्लिमों को खुश करने के लिये हिन्दुओं को अल्प संख्यक बनाने के लिये यूपीए शासन में अंतुले के द्वारा जैन को अल्पसंख्यक की संज्ञा दी गई। अब लिंगायत को कर्नाटक में अलग धर्म की संज्ञा देकर हिन्दुओं को बांटने का कार्य किया जा रहा है।
शिवभक्त इसलिये बनने का ढोंग किये हैं क्योंकि शिवशंकर भोले-भंडारी रहे हैं। उन्होंने भष्मासुर तक को वरदान दे दिया था, जबकि यही भष्मासुर उन्हे ही भष्म करने उतारू हो गया था। इसी घटनाक्रम को राहुल गांधी दोहरा रहे हैं।
कर्नाटक चुनाव के बाद हिन्दुओं के वोट भविष्य में होने वाले चुनाव मेें प्राप्त करने के लिये वे अब कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने की अनुमति जनता से मांग रहे हैं।
यह ढोंग उन्होंने केजरीवाल से सीखा है। वह भी बार-बार जनता से पूछने का ढोंग करते रहे हैं। २०१४ के लोकसभा चुनाव के समय अभी जो राहुल गांधी विपक्ष की ओर से मोदी की टक्कर में खड़े होने का नाटक जैसे केजरीवाल करते थे और वाराणसी भी पहुंच गये थे। उसी प्रकार का दम्भ राहुल गांधी दिखा रहे हैं। पर जो दुर्दशा केजरीवाल व उनकी आमआदमी पार्टी की हुई थी उससे भी बुरी दशा कांग्रेस की आगे आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में होने वाली है।
यह सभी जानते हैं कि बेनी हिन्न के परिवार उसकी पत्नी से सोनिया गांधी की मित्रता थी। इसी के लिये जब कर्नाटक में धर्म सिंह जिन्हे मैं अपने आर्टिकल्स में अधर्म की संज्ञा देता रहा हूं मुख्यमंत्री थे तब हिन्दुओं का धर्मांतरण छल-कपट से करने के लिये बेनी हिन्न फेस्टीवल का आयोजन बैंगलोर में सरकारी खर्च से हुआ था।
जिस प्रकार से आजकल भोलेभाले हिन्दुओं का धर्मांतरण करने के लिये इसाई पादरी भी भगवा वस्त्र धारण कर लिये हैं और चर्चाे को मंदिरों का स्वरूप दे दिये हैं वही छल-कपट वर्तमान गांधी परिवार कर रहा है, ऐसा भारत की अधिकाश जनता की धारणा है।
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