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Editorial :- भूकंप VS नेता निर्मित आपदा

21 December 2019

कश्मीर में शांति से दुखी नेता अब ष्ट्र्र की आड़ में करवा रहे हैं दंगा

नेता निर्मित आपदा सीएए के मुद्दे पर हम हफ्ते भर से हम देख रहे हैं। आज प्राकृतिक आपदा भूकंप के झटके भी दिल्ली को लगे हैं।

नेता निर्मित आपदा को प्रजातंत्र में जनता चाहे तो रोक सकती है परंतु प्राकृतिक आपदा का सामना करने के लिये हमें अन्य वैज्ञानिक साधनों का उपयोग करना होता है। 

पूरा विपक्ष एक होकर भारत के अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय को अफवाह फैलाकर भ्रमित कर दिया। नतीजा यह हुआ कि अनेक लोगों की जाने चली गई हैं। सरकारी और जनता की संपत्तियों का नुकसान हुआ है।

कांग्रेस पार्टी प्रदर्शनकारियों के साथ: सोनिया 

 नागरिकता कानून पर मैं प्रदर्शनकारियों के साथ खड़ी हूं : प्रियंका वाड्रा।

सोनिया गंाधी या अन्य किसी भी विपक्ष के नेता ने इन दंगाईयों को रोकने का प्रयास तो दूर रहा परंतु इनके विरोध में भी दो शब्द नहीं कहे। ठीक इसके विपरीत कांग्रेस का हाथ प्रदर्शन कारियो के साथ है यह आज सोनिया गांधी जी ने वीडियो जाहिर कर और प्रियंका वाड्रा ने इंडिया गेट जाकर प्रदर्शन कारियों से मिलकर जाहिर कर दिया है।

कश्मीर मेें ३७० धारा के दुस्परिणाम की एक झलक हम कश्मीर के डीएसपी अयुब पंडित की हत्या मॉब लिंचिंग से हुई देखे हैं। ३७० धारा निष्प्रभावी होने के बाद कश्मीर में प्राय: शंाति है। वहॉ पर अशांति पैदा करने के लिये राहुल गांधी गुलाम नबी आजाद से लेकर येचुरी तक छटपटा रहे थे। पर वे अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाये ।

इससे वे मौके की तलाश में थे। जिस समय सीएए की लोकसभा और राज्यसभा में चर्चा चल रही थी उसके पूर्व से ही विपक्षी पार्टियों ने एक होकर मुस्लिम समुदाय को भड़काना प्रारंभ कर दिया था और सोशल मीडिया के माध्यम से भी नेताओं ने तथा उनके कुछ असमाजिक साथियों ने अफवाहें फैलाना प्रारंभ कर दिया था, इसका नतीजा हम सप्ताह भर में जो अनेक स्थानों पर दंगा-फसाद हुए हैं और हो रहे हैं वे देख रहे हैं।

नेता-निर्मित इस आपदा का सामना तो प्रजातंत्र में सिर्फ जनता ही कर सकती है । जनता को चाहिये कि वे इन आपदा निर्मित नेताओं को  प्रजातांत्रिक तरीके से सबक सीखाएं।

आज ही सोनिया गांधी जी ने और प्रियंका वाड्रा ने यह कहा है कि सीएए के कारण लोगों को अपना भारतीय नागरिक होने का सबूत देने के लिये लाईन में खड़ा होना पड़ेगा। यह लोगों को भड़काना नहीं तो क्या है।

ममता बैनर्जी ने तो पंडित नेहरू ने जो भूल शेख अब्दुल्ला और लार्ड माउंटबैटन के झांसे में आकर की थी और परिणाम स्वरूप पीओके पाकिस्तान को भेंट कर दिया था उसी का अनुकरण करते हुए  ममता बैनर्जी  ने वक्तव्य दिया है कि सीएए पर यूएन यानी संयुक्त राष्ट्र संघ की निगरानी में जनमत संग्रह हो। इसे हम देशद्रोह नहीं कह सकते और कहना भी नहीं चाहिये।

फिरोज खान के पौत्र राहुल गांधी हैं। महात्मा गांधी के पौत्र भी अभी जीवित हैं। सरनेम से क्या होता है? राहुल गांधी ने ही पीएम मोदी के सरनेम की तुलना नीरव मोदी के सरनेम से कर दी थी।

पंडित नेहरू भी कश्मीरी पंडित थे। भले ही वे अपने आपको एक्सीडेंटल हिन्दू कहते थे। डीएसपी अयुब पंडित भी कश्मीरी मुस्लिम थे। पंडित उनका सरनेम था। वोटबंैक पॉलिटिक्स और पाक प्रायोजित प्रॉक्सीवार,आतंकवाद ने अयुब पंडित की जान  ले ली।