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झारखंड की हार रघुवर दास से ज्यादा PM मोदी और अमित शाह के लिए क्यों है झटका? जानें वजह…

झारखंड विधानसभा चुनाव का परिणाम सोमवार को आया. शाम होते-होते मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस्तीफ़ा भी दे दिया. इसके साथ-साथ आने वाले दिनों में सीएम पद की शपथ लेने वाले हेमंत सोरेन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रघुवर दास ने ट्विटर के माध्यम से बधाई भी दे दी. हेमंत सोरेन के लिए यह जीत इसलिए भी मायने रखती है कि उन्होंने इस चुनाव में न केवल रघुवर दास को हराया, साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह जिन्होंने चुनावी रणनीति और प्रचार की कमान संभाली थी उन्हें भी पटखनी दी.
रघुवर दास की हार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह निश्चित रूप से दुखी होंगे, क्योंकि आदिवासी बहुल झारखंड में जो ग़ैरआदिवासी को मुख्यमंत्री बनाकर उन्होंने एक नया राजनीतिक प्रयोग किया था वो इस चुनाव परिणाम के बाद निश्चित रूप से माना जाएगा कि विफल रहा. इस चुनाव में BJP की हार का एक मुख्य कारण आदिवासी वोटर की नाराज़गी और BJP के प्रति उदासीनता रही है. उसके कई कारण रहे, जिसका विश्लेषण भाजपा आने वाले दिनों में करेगी, लेकिन भाजपा के नेता और कार्यकर्ता मानते हैं कि आर्थिक मंदी ने भी उनकी नैया डुबोई है.

अगर आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नज़रिए से देखेंगे तो उनके लिए एक और राज्य की सत्ता गई, लेकिन बहुत सारे सबक़ सिखा गई. झारखंड के चुनाव परिणाम के बाद अब भाजपा के ये दोनो शीर्ष नेता कभी किसी सहयोगी को कम आंकने की गलती नहीं करेंगे. इसका निश्चित रूप से आने वाले समय में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लाभ होगा. दूसरा अब राजनीतिक प्रयोग करने से भी वे बचने की कोशिश करेंगे. साथ ही साथ सर्वे में अब विजय होने वाले उम्मीदवार से ज़्यादा असल मुद्दों की तलाश करेंगे, जो मतदाताओं के वोटिंग पैटर्न पर प्रभाव जब चुनाव परिणाम आ रहे थे तब रांची बीजेपी दफ़्तर में मायूस बैठे हर नेता और कार्यकर्ता की एक ही शिकायत थी कि जीतने वाले उम्मीदवार के चक्कर में अमित शाह ने न केवल झारखंड में बल्कि पूरे देश में भ्रष्टाचार का एक बड़ा मुद्दा खो दिया. झारखंड के चुनाव में भाजपा ने भ्रष्टाचार के आरोपी से लेकर बलात्कार के आरोपी को दूसरे दल से लाकर टिकट दिया. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक रूप से इन्हें जीत दिलाने की अपील की.

भ्रष्टाचार के आरोपी भानु प्रताप साही जीते और बलात्कार के आरोपी शशि भूषण मेहता तीन दिन पूर्व बरी हुए वो भी जीते और साथ-साथ घोटाले उजागर करने वाले सरयू राय जो बाग़ी उम्मीदवार के रूप में मैदान में थे, उन्होंने मुख्यमंत्री रघुबर दास को हराया. लेकिन जहां भाजपा के विधायक दल की बैठक में ये भ्रष्टाचारी बैठेंगे. वहीं सरयू राय की जीत के बाद अमित साह देश में भट्टाचार्य के मुद्दे पर किसी को नसीहत नहीं दे सकते, क्योंकि उन्होंने उनका टिकट काटा और उन्हें हराने के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जमशेदपुर तक गए. इसलिए इन दोनो नेताओं को पूरे राज्य की हार से ज़्यादा मलाल राय की जीत का होगा, जिनकी उम्मीदवारी को नीतीश से लेकर हेमंत सोरेन से लेकर लालू यादव तक ने समर्थन किया. लेकिन सवाल यह है कि अब भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भाजपा के नेता क्या कहेंगे जब उनके शीर्ष नेतृत्व ने ऐसा उदाहरण दिया है, जिससे उस मुद्दे पर पार्टी की गंभीरता ख़त्म हो गई.