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दिल्ली आने से पहले ही मोदी के दोस्त थे जेटली, हर कदम पर मिला साथ

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ट नेता और पूर्व वित्त मंत्री दिवंगत अरुण जेटली की आज जयंती है. उनका जन्म आज ही के रोज 28 दिसबंर 1952 को 1952 में दिल्ली में हुआ था. आइए जानते हैं उनके बारे में, कैसे वह बने बीजेपी की शीर्ष नेता और कैसे हुई थी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहली मुलाकात.

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पढ़ाई में होनहार, तर्क कौशल के धनी और राजनीति के धुरंधर अरुण जेटली बीजेपी में एक बड़े कद के नेता थे. 28 दिसंबर, 1952 को दिल्ली में महाराज किशन जेटली और रतन प्रभा जेटली के घर हुआ था. उनके पिता वकालत के पेशे में थे. ऐसे में उन्होंने भी वकील बनने की ठानी.
(आखिरी में जो बच्चा में दिखाई दे रहा है वह अरुण जेटली है)


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उनके पिता एक ओहदेदार व्यक्ति के साथ ही एक अच्छे वकील थे, ऐसे उनकी शिक्षा बेहतर तरीके से हुई. दिल्ली के  सेंट जेवियर्स स्कूल से स्कूलिंग, और  दिल्ली यूनिवर्सिटी  SRCC (श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स) से ग्रेजुएशन, जिसके बाद 1977 में दिल्ली विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री हासिल की.
(अरुण जेटली का परिवार, पत्नी और बेटा- बेटी)
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जब अरुण जेटली लॉ की पढ़ाई कर रहे थे उसी दौरान उनके मन में राजनीति में जाने की बात आई. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) में शामिल हुए. विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में चुने गए. ये अरुण जेटली का राजनीति जगत में पहला कदम था.
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जब BJP पार्टी में बनाई महत्वपूर्ण भूमिका.

अरुण जेटली भले ही आज हमारे बीच में न हों,  लेकिन वह सदा ही देश और बीजेपी के कद्दावर नेता के रूप में याद किए जाते हैं.

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अरुण जेटली बीजेपी में अब ऐसे महत्वपूर्ण जगह बना चुके थे कि उन्हें 23 जुलाई 2000 को कानून मंत्रालय, न्याय और कंपनी मामलों का अतिरिक्त प्रभार संभालने की जिम्मेदारी दी गई. वो नवंबर 2000 में पहली बार कैबिनेट मंत्री बने. इसके साथ ही कानून, न्याय और कंपनी मामलों व जहाजरानी मंत्री का पदभार भी संभाला. फिर जून 2009 को राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में चुना गया.

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यहां हुई थी नरेंद्र मोदी से अरुण जेटली की पहली मुलाकात
एबीवीपी में काम करने के दौरान ही अरुण जेटली की नरेंद्र मोदी से मुलाकात हुई थी. लेकिन बाद के दिनों में इन दोनों नेताओं के बीच रिश्तों के मजबूत होने का एक सिलसिला बनता चला गया.

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अंग्रेजी की मैग्जीन कारवां में छपी प्रवीण दोंती की रिपोर्ट में दिल्ली के बीजेपी के एक नेता के हवाले से बताया गया है कि जेटली ने बीजेपी की 1991 की राष्ट्रीय एकता यात्रा के आयोजक नरेंद्र मोदी का नोटिस में लिया था.

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रिपोर्ट के मुताबिक 1995 में जब गुजरात में बीजेपी सरकार सत्ता में आई थी, तो मोदी को दिल्ली में काम करने के लिए भेजा गया था. जेटली भी उन लोगों में शामिल थे जिनसे उन्होंने अपने रिश्ते मजबूत किए. उन्होंने मोदी का वैसे ही ख्याल रखा जैसे वह अन्य खास लोगों का रखते हैं. उस वक्त किसी और ने नरेंद्र मोदी का कद दिल्ली में उतना बड़ा नहीं था, न ही किसी ने तब उन्हें उतनी गंभीरता से लिया था. कई पत्रकारों और बीजेपी नेताओं को आज भी याद है कि मोदी, जेटली के साउथ दिल्ली वाले घर में अक्सर देखे जाते थे.

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ऐसे बनीं थी मोदी,शाह जेटली की जोड़ी

नरेंद्र मोदी के करीबियों में अरुण जेटली के अलावा एक नाम भी शामिल है, वो है अमित शाह, जो वर्तमान में भारत के गृहमंत्री हैं.  2014 में इंडिया टुडे ने पीएम मोदी, अमित शाह और अरुण जेटली पर एक कवर स्टोरी, ‘द इंडस्पेंसिब्ल मिस्टर जेटली’ में लिखा गया था कि “मान लिया जाए कि क्रॉस-पौराणिक कथाएं आज के युग के हिंदुत्व में इस्तेमाल में लाई जा सकती हैं तो, इसने लिखा, अगर मोदी राम हैं तो शाह और जेटली उनके लक्ष्मण और अर्जुन हैं. दो ऐसे सहयोगी, जो उन्हें पूर्ण बनाते हैं जिनके बिना उनका काम नहीं चल सकता.  बता दें, बीजेपी नेता अरुण जेटली ने 24 अगस्त 2019 को 12.07 बजे एम्स में आखिरी सांस ली थी. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे.