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द्वितीय राजभाषा होने के बावजूद मैथिली की उपेक्षा, अब संघर्ष करेगी मैथिली भाषा संघर्ष समिति

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Ranchi: झारखंड में मैथिली को द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्राप्त है. बावजूद इसके झारखण्ड सरकार ने स्थानीय नियोजन नीति के जिलावार भाषा की सूची में इस भाषा को सम्मिलित नहीं किया है. सरकार के इस निर्णय के खिलाफ उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए राज्य भर के विभिन्न मैथिल संस्था, संगठनों ने अपनी एकजुटता का परिचय दिखाते हुए एक संयुक्त समिति “मैथिली भाषा संघर्ष समिति, झारखंड” का गठन किया है. रिटायर टीचर अमर नाथ झा को इसका संयोजक बनाने का फैसला लिया गया है. अमर नाथ झा के मुताबिक इस समिति की प्रासंगिकता एवं उद्देश्य वर्तमान के अलावे भविष्य में भी रहेगी. यह झारखंड में मैथिली भाषा सह भाषी के लिए संघर्षशील रहेगी. मैथिली भाषा संघर्ष समिति के अंतर्गत एक केंद्रीय समिति का गठन का होना आवश्यक हो गया था. अब समिति के उद्देश्य की पूर्ति और इसे सुचारू रूप से चलाने को कई लोगों को इसमें दायित्व दिया गया है.

इन्हें मिली है जिम्मेदारी

संयोजक के मुताबिक समिति में सह संयोजक का दायित्व जमशेदपुर के शंकर कुमार पाठक को दिया गया है. कोष एवं केंद्रीय समिति कार्यालय प्रभार रांची के प्रेम चंद झा को, सरकारी मामलों के प्रभारी का जिम्मा रांची के मिथिलेश मिश्रा, मार्गदर्शक एवं ऐतिहासिक जानकार के लिये डॉ  अशोक कुमार झा अशोक अविचल और जमशेदपुर के डॉ  रविंद्र कुमार चौधरी को मिला है. प्रेस प्रभारी का टास्क जमशेदपुर के प्रमोद कुमार झा एवं रांची के अजय झा को दिया गया है. कानून संबंधी प्रभारी के लिये जमशेदपुर के पंकज कुमार झा, को जिम्मा मिला है. कार्यकारिणी सदस्य में अरुण कुमार झा, मनोज मिश्रा,  हरि मोहन झा, शिव कांत झा  एवं अन्य संगठनों के लोगों को भी जोड़ा गया है.

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