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Editorial : क्या रूस यूक्रेन युद्ध से तय होगा यूरोप का भविष्य

5-3-2022

रूस का यह कहना है कि नाटो जैसे संगठन की जरूरत यूके्रन को क्यों पड़ रही है? यूक्रेन को जो हथियारों की सहायता मिल रही है वह किस लिये? यूक्रेन का शत्रु कौन है पड़ोसी देश में? यूक्रेन को किससे खतरा है? यूक्रेन जैसे छोटे देश को सपोर्ट करने के पीछे महाशक्तिशाली देशों का क्या एजेंडा है? इन सभी सवालों से यह समझना आसान है कि रूस को टारगेट करने को ही जो साजिश है वह सामने आ चुकी है, इसकी भनक पुतिन को पहले ही लग चुकी थी और इस कारण ही रूस हर हाल में जमीनी और कागजी तौर पर युद्ध कर आर-पार की लड़ाई कर यूरोपियन देशों को खासकर अमेरिका को सबक सिखाने की चाहत रख रहा है।

यूक्रेन के खिलाफ चल रहे रूसी अभियान में सबसे बड़ी बात यह है कि रूस हर हाल में यूक्रेन के सैन्य और न्यूक्लियर प्लांट को तबाह कर उसे अपंग बनाना चाह रहा है। समय के साथ-साथ युद्ध भी भयंकर रूप ले रहा है। इस समय जब पूरी दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की  चर्चा कर रही है तब ऐसे समय में रूस ने परमाणु प्रयोग की अटकलों को विराम दिया हैै।

भारत और रूस के बीच जो दोस्ती का अलौकिक दृश्य देखने को मिला है वह ऐतिहासिक है। भारत और रूस ने जो युद्ध की परिस्थिति में भी एक जुटता दिखाई है वह किसी भी मजबूत दोस्ती द्विपक्षीय सांठगांठ के लिये एक अनुपम उदाहरण बन रहा है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत ने जो भी वक्तव्य दिया है वह सभी रूस के खिलाफ न तो पक्ष में यानि दोनों ओर से सुझबुझ के साथ भारत ने रणनीतिक तौर पर फैसला लिया है। अब आने वाले दिनों में देखा जाये तो भारत को अमेरिका और रूस दोनों देशों के पक्ष में बात रखनी है तो वह अलग-अलग परिस्थिति में इस बात का खास ध्यान रखेगा कि रूस का हित सर्वोपरि हो।

भारत और रूस दोनों की दोस्ती का इतिहास हम सभी जानते हैं। जब-जब भारत को किसी दोस्त की जरूरत पड़ी तो वह रूस के रूप में कमी पूरी हुई है।

वहीं अमेरिका और यूरोपीयन देशों की बात की जाये तो आने वाले समय में यूरोपीयन देश रूस पर जो प्रतिबंध लगा रहे हैं, रूस को आर्थिक रूप से कमजोर करने की योजना बना रहे हैं उससे रूस को कोई निकाल सकता है तो सिर्फ वह हमारा देश भारत है, क्योंकि भारत  में उत्पादन और मांग में संतुलन रहा है, यहॉ आयात और निर्यात में भी दूसरे देशों जैसे अमेरिका, जापान इत्यादि की भूमिका रही है हालांकि रूस भी भारत का साझेदार है परंतु अब रूस को भारत पर ज्यादा निर्भर रहना होगा।

बात की जाये रूस की तो रूस शुरू से ही भारत के हित में विटो पॉवर का उपयोग करता रहा है। ६ बार रूस ने भारत को विभिन्न स्थिति में यूएनएसएसी में अपने वीटो पॉवर से समर्थन दिया है।

गोवा जब पराधिन था तब पुर्तगालियों से आजाद होने व भारत में सम्मिलित करने के बीच में यूएनएससी में जो बैठकें हुए थी उसमें रूस ने भारत के पक्ष में वोट किया अपने और वीटो पावर का इस्तेमाल किया।

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