Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

Editorial: विफ लता के लिए कब तक संवैधानिक संस्थाओं को दोषी बताता रहेगा विपक्ष?

14-3-2022

राजनीतिक महासमर में जब किसी राजनीतिक दल का हार होता है तो कुछ लोग उटपटांग हरकते करते है या फि र बेबुनियाद सवाल उठाने लगते हैं। ऐसा ही हाल देश के कथाकथित लिबरल्स का भी है। दरअसल जब भी देश में चुनाव होता है उससे पहले ही विपक्षी पार्टी सहित देश के लिबरल्स श्वङ्करू पर सवाल उठाना शुरू कर देते हैं।  देश के पांच राज्यों, जिनमें उत्तर प्रदेश, पंजाब, मणिपुर, गोवा और उत्तराखंड शामिल है, वहां विधानसभा चुनावों की मतगणना 10 मार्च होनी थी7 मतगणना होती उससे पहले ही श्वङ्करू को लेकर रोना शुरू हो गया था। गौरतलब है कि एग्जिट पोल ने भारतीय जनता पार्टी को यूपी चुनाव में आराम से जीतते हुए दिखाया था, जिससे विपक्षी दलों में हड़कंप मच गया था। हमेशा की तरह विपक्षी दलों के नेताओं ने चुनाव जीतने में अपनी असमर्थता को छिपाने के लिए श्वङ्करू का बहाना बनाना शुरू कर दिया।

जैसे ही पांच राज्यों की मतगणना में भारतीय जनता पार्टी ने 5 राज्यों में से 4 राज्यों में चुनाव जीता। उसके बाद लिबरल्स खून के आंसू रोने लगे और कहते पाए गए की भाजपा ने श्वङ्करू की मदद से चुनाव जीता है। लिबरल्स खेमों का यह हास्यास्पद बयान का कोई सिर-पैर नहीं हैं और न हीं उनके पास कोई ऐसे सबूत हैं, जिससे श्वङ्करू पर सवाल उठाया जा सके। चुनावों में अपनी निश्चित हार को लेकर देश का वामपंथी गुट इतना हताश है कि अब उसने ईवीएम के बारे में जमकर फेक न्यूज़ फैलाना शुरू कर दिया है।

दरअसल लिबरल्स के अनुसार बीजेपी ने पंजाब में ईवीएम को हैक नहीं किया ताकि यूपी, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में ईवीएम हैक होने पर किसी को संदेह न हो। आपको बता दें कि मंदबुद्धि वामपंथी यह नहीं समझ पाते की पंजाब जैसे राज्य का चुनाव जब आम आदमी पार्टी जीतता है तो वो उसपर बयानबाजी नहीं करते लेकिन जनता के मत से जीती भाजपा पर लांछन लगाने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।

इस तरह के खोखले दावे वामपंथियों में नया नहीं है। वो पहले भी अपना हार नहीं पचा पाए है और उत्तर प्रदेश सहित 4 राज्यों में भाजपा की जीत के बाद श्वङ्करू का शिगूफा छोड़ रहे हैं लेकिन यह पब्लिक है, वो अच्छे से जानती है अपने मत की कीमत और ऐसे एजेंडाधारी चिंटुओ द्वारा उन्हें बरगलाने की कोशिश नाकाम रहे हैं तो अब श्वङ्करू का रोना रो रहे हैं।

भाजपा की जीत के साथ ही इन वामपंथी गुट को इस बात का यकीन हो चुका है कि लोगों की भावनाएँ उनके साथ नहीं हैं लेकिन फिर भी इतना कुछ होने के बाद भी विपक्ष हार नहीं मान रहा है और फिर से देश कि जनता को गुमराह करने के प्रयास में जुट गया है। विपक्षी पार्टियां फिर से बैलेट पेपर का प्रयोग करवाना चाहती हैं ताकि फिर से उनके लिए बूथ लूटना आसान हो जाए लेकिन अब जनता को चुनाव आयोग पर पूर्ण भरोसा है और यह इस बार के चुनाव में स्पष्ट भी हो गया कि ईवीएम में गड़बड़ी नहीं है बल्कि ईवीएम पर झूठी खबरें फैला कर हो-हल्ला करने वालों में गड़बड़ी है।