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Editorial: दलितों ने भाजपा को दिया वोट क्यों कट्टरपंथियों को लगी मिर्ची

13-3-2022

निश्चित रूप से, 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की ऐतिहासिक जीत मोदी विरोधियों के लिए एक झटका है। चुनावों के परिणाम को देखें तो उत्तर प्रदेश में भाजपा ने 255 सीटें जीतीं। इससे खिन्न जिहादी तत्व एक्टिव हो गए और गुरुवार से ही अपने असल रंग दिखाने शुरू कर दिए। इस्लामवादियों और वाम-उदारवादियों ने अपनी इस कुंठित मानसिकता का प्रदर्शन करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया। दलित वोटरों पर निशाना साधते हुए उन्होंने दलितों को ‘बीजेपी को जीत दिलानेÓ के लिए गालियां दीं।
इस्लामिक कट्टरपंथ के उपासकों के अतिरिक्त भाजपा की यह जीत भाजपा के लिए महत्वपूर्ण और अतिआवश्य इसलिए बन जाती है क्योंकि एक तो उसने वापसी की है साथ ही उसने पुन: प्रचंड रूप से बहुमत हासिल किया है और तीसरा उसने कोरोना महामारी के बाद से सरकार विरुद्ध माहौल को भी साइडलाइन करते हुए जीत हासिल की जो कि बहुत बड़ी बात है। 403 सीटों में से कुल 255 सीटें जीतना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि से कम नहीं है। जहां इस चुनाव में उसे एकतरफा जनमत मिला है तो वहीं हर जाति, धर्म, मजहब, पंथ ने भाजपा की सरकार में वापसी कराते हुए यह दिखा दिया कि जातिगत रूप से कमज़ोर करने वाले सभी दावों को राज्य की जनता ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर धूल चटा दी।
अब भाजपा वापसी कर सरकार बनाने जा रही है ऐसे में कट्टरपंथियों का सबसे आसान टार्गेट अभी ‘दलितÓ समुदाय बन चुका है। 2017 में, चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, भाजपा ने राज्य में कुल 3 करोड़ 44 लाख 3 हजार 2 सौ 99 वोटों के साथ 39.67त्न वोट शेयर हासिल किया था। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार 2022 में भाजपा के वोट शेयर में 41.3त्न तक की बढ़ोतरी हुई। यह स्पष्ट रूप से हर वर्ग के साथ आने के बाद ही संभव हो पाया है। 20 से 21 प्रतिशत वाले दलित वर्ग के साथ से ही भाजपा ने इस बार पुन: वापसी करने की उपलब्धि हासिल की है। यही दु:ख कट्टरपंथियों को सबसे अधिक खाए जा रहा है कि दलित कैसे भाजपा के पाले में चला गया और अब जब कुछ हाथ आते नहीं दिख रहा है तो यही जिहादी प्रवृत्ति वाले लोग दलित वर्ग को गाली देने के काम में लगे पड़े हैं।
इसके बाद तो मारकाट पर उतारू यही जिहादी लोग दलित समुदाय के लोगों के प्रति अपनी असल कुत्सित सोच का परिचय देते रहे हैं। रही बची कसर और कुंठा निकलने के लिए यह जिहादी बस अब ट्विटर तक सीमित रह गए हैं क्योंकि जमीन पर तो हालत गई बीती हो चुकी है। सौ बात की एक बात यह है कि, जनता को विकास से सरोकार है न कि जातीयता से, यूपी के चुनावी परिणामों ने ये स्पष्ट कर दिया है। ऐसे में अब दलित समुदाय को गाली देना और उन्हें मार डालने की धमकी देना ऐसे तत्वों की हताशा को दर्शाता है और शेष कसर सीएम योगी आदित्यनाथ पूरी कर देते हैं। ऐसे में इन जिहादियों के लिए अंतिम स्थान या तो जेल है या ट्विटर।