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Hijab Controversy: हिजाब के खिलाफ फैसला कुबूल करने लायक नहीं… हाई कोर्ट के फैसले पर दारुल उलूम

सहारनपुर: विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। दारुल उलूम के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने स्पष्ट किया है कि इस्लाम में पर्दा वाजिब है, इसलिए पर्दे के खिलाफ फैसला कुबूल करने लायक नहीं। उन्होंने कहा कि भारत लोकतांत्रिक देश है। हिंदुस्तान का संविधान सभी धर्म के लोगों को अपनी-अपनी धार्मिक मान्यताओं के साथ जिंदगी गुजारने की पूरी आजादी देता है। उन्होंने कहा कि अदालत हिजाब पर अपने फैसले को लेकर पुनर्विचार करे।

इस्लाम में पर्दा वाजिब है और कुरआन इसका हुक्म देता है- मोहतमिम
मंगलवार हिजाब विवाद को लेकर आए कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले पर दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने कहा कि अदालत द्वारा यह कहा जाना कि हिजाब मजहब ए इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है, सरासर गलत है।उन्होंने कहा कि कहा कि इस्लाम में पर्दा वाजिब है और कुरान इसका हुक्म देता है।साथ ही कहा कि भारत लोकतांत्रिक देश है और संविधान सभी धर्म के लोगों को अपनी अपनी धार्मिक मान्यताओं के साथ जिंदगी गुजारने की पूरी आजादी देता है। उन्होंने कहा कि देश का संविधान किसी भी संस्था को यह इजाजत नहीं देता है कि वह ऐसे नियम बनाए जो किसी मजहब के खिलाफ़ हो।

‘कौमी और मिल्ली तंजीमें सुप्रीम कोर्ट जाएं’
इस्लामिक शिक्षण संस्थान के कारण पूरी दुनिया में मशहूर दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने देश की कौमी और मिल्ली तंजीमों से आह्वान किया कि वह इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख करें और कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दें। गौरतलब है कि पिछले काफी दिनों से कर्नाटक में हिजाब को लेकर विवाद चल रहा है। कर्नाटक की मुस्लिम लड़की मुस्कान की ओर से हाईकोर्ट में हिजाब को लेकर याचिका दायर की गई थी। कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब के खिलाफ फैसला सुनाया है और कहा है कि स्कूल और कॉलेज में बच्चे यूनिफॉर्म पहनकर जाएं।