27-3-2022
बंगाल में जब से ममता बनर्जी फिर से सत्ता में आई हैं, तबसे पश्चिम बंगाल के हालात बद से बदतर होते चले गए हैं। ऐसा लगता है कि कानून व्यवस्था राज्य में है ही नहीं । बीरभूम में हुई भीषण हत्याओं से पता चलता है, कि राज्य में असामाजिक तत्वों ने कब्जा कर लिया है। बंगाल अब केरल की तरह बन गया है, जहाँ अपराधियों और आतंकवादियों ने अपना डेरा जमाया हुआ है। आपको बतादें 25 मार्च की सुबह पुलिस ने पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के रामपुरहाट 2 सीडी ब्लॉक के मारग्राम गांव से 200 देसी बम बरामद किए। रिपोट्र्स के मुताबिक, पुलिस ने करीब 6 बैरल क्रूड बम बरामद किए हैं। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
2021 के विधानसभा चुनाव में चुनाव के बाद हिंसा की घटनाओं का डर राज्य के लोगों को सता रहा है। चुनाव से पहले ही तालिबानी शैली में पार्टी कार्यकर्ताओं की हत्या करना प्रारंभ हो गया था। आरएसएस और बीजेपी से जुड़े बहुत सारे राजनीतिक कार्यकर्ताओं को गुंडों ने दिनदहाड़े मार डाला गया। यही नहीं चुनाव के बाद भी गुंडे नहीं रुके, चुनावी नतीजों के बाद लगातार बलात्कार, हत्यायें हुयीं । इस सब पर भी बंगाल पुलिस ने कुछ नहीं किया, क्योंकि ममता प्रशासन के तहत बंगाल पुलिस या तो असहाय थी या आतंकवादियों के साथ घनिष्ठता में थी।
बंगाल में हिंसा के फैलने का मुख्य कारण पड़ोसी देश बांग्लादेश से आये विदेशी मुसलमान है। ममता बनर्जी के चुनाव अभियान का मुख्य स्तंभ मुसलमानों का तुष्टिकरण है, जिसके लिए वह राज्य में अवैध बांग्लादेशियों को वैधता प्रदान करती हैं, और बदले में यह लोग ममता बनर्जी को वोट देते हैं। ममता बनर्जी जानती हैं, कि स्थानीय लोग उनके बहुत समर्थक नहीं हैं, इसलिए वह अवैध अप्रवासियों का सहारा लेती हैं, धीरे- धीरे यही अप्रवासी ममता का ठोस वोट बैंक बन गए हैं।
बंगाल की तुलना केरल से इसलिए की जा रही है, क्योंकि केरल की समस्या भी उतनी ही बड़ी है। केरल ने वर्षों से स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया, इंडियन मुजाहिदीन, बेस मूवमेंट (अल-कायदा का स्थानीय अध्याय) जैसे आतंकी समूहों के प्रभाव को देखा है। आज केरल में इस्लामिक स्टेट के प्रति अधिक जुड़ाव देखने को मिलता है । केरल में कई मुस्लिम युवाओं ने एक साथ मिलकर अंसार-उल-खिलाफा नामक एक संगठन शुरू किया था। यह ढ्ढस्ढ्ढस् के लिए फीडर ऑउटफिट था और इसका काम लोगों की पहचान करना और उन्हें ढ्ढस्ढ्ढस् के पास भेजना था। समूह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने इस समूह के कई सदस्यों को केरल के कन्नूर जिले के कनकमला में एक साजिश रचने के बाद गिरफ्तार किया था। यही नहीं केरल के कई युवा ढ्ढस्ढ्ढस् जैसे खतरनाक संगठनों मे जुड़ रहे है ,केरल से हजारों लड़कियां मध्य एशिया के देशों मे तस्करी करके भेजी जाती है। पिछले कुछ सालों से बंगाल भी केरल के नक्शेकदम पर चल रहा है। हम देख रहे हैं कि किस तरह से बंगाल में हर दिन आतंक और उन्माद बढ़ता जा रहा है। ऐसे में यदि बंगाल, केरल के रास्ते पर चलता रहा, तो यह देश की अखंडता के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है।
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