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रज्जू भैया यूनिवर्सिटी के कुल सचिव एवं उप कुल सचिव को यूजीसी-सीपीसी देने पर सरकार ले निर्णय 

सार
याची प्रोफेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भैया विश्वविद्यालय प्रयागराज में कार्यरत है। याचिका में मांग की गई थी कि याची को पुनरीक्षण वेतनमान यूजीसी छठे व सातवें सेंट्रल पे कमीशन (सीपीसी) के तहत एक जनवरी 2016 से दिया जाए।

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प्रोफेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भैया विश्वविद्यालय प्रयागराज में कार्यरत कुल सचिव एवं उप कुल सचिव को यूजीसी का सेंट्रल पे कमीशन लागू कर पुनरीक्षित वेतनमान देने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्णय लेने का निर्देश दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा उत्तर प्रदेश से कहा है कि वह छह सप्ताह के भीतर इस मामले में समानता पर विचार करते हुए निर्णय लें। मामले में उप कुलसचिव दीप्ति मिश्रा की याचिका पर न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की पीठ सुनवाई कर रही थी।

याची प्रोफेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भैया विश्वविद्यालय प्रयागराज में कार्यरत है। याचिका में मांग की गई थी कि याची को पुनरीक्षण वेतनमान यूजीसी छठे व सातवें सेंट्रल पे कमीशन (सीपीसी) के तहत एक जनवरी 2016 से दिया जाए। याची के अधिवक्ता के शरण का कहना था कि यूजीसी की इस योजना का लाभ अन्य विश्वविद्यालयों को मिल रहा है। यहां तक कि विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों के अन्य स्टाफ  को मिल रहा है।

याची डॉ. दीप्ति मिश्रा ने उप कुल सचिव पद के लिए राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत वेतनमान को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याची का कहना था कि विश्वविद्यालय और विश्वविद्यालय से संबद्ध सभी महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षक एवं पुस्तकालयाध्यक्ष को यूजीसी-सीपीसी वेतन दिया जाता है। जबकि, उनकी नियंत्रक निकाय विश्वविद्यालय के कुल सचिव एवं उप कुल सचिव को राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत उनसे न्यून वेतनमान प्रदान किया जाता है। 

राज्य सरकार ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा गया था कि डॉ. मिश्रा को उनकी नियुक्ति के समय इस वेतनमान की जानकारी थी और अन्य विश्वविद्यालयों के कुल सचिव और उप कुल सचिव को यूजीसी वेतनमान इसलिए स्वीकृत किया गया है, क्योंकि वे अलग एक्ट से संचालित हैं।

विस्तार

प्रोफेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भैया विश्वविद्यालय प्रयागराज में कार्यरत कुल सचिव एवं उप कुल सचिव को यूजीसी का सेंट्रल पे कमीशन लागू कर पुनरीक्षित वेतनमान देने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्णय लेने का निर्देश दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा उत्तर प्रदेश से कहा है कि वह छह सप्ताह के भीतर इस मामले में समानता पर विचार करते हुए निर्णय लें। मामले में उप कुलसचिव दीप्ति मिश्रा की याचिका पर न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की पीठ सुनवाई कर रही थी।

याची प्रोफेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भैया विश्वविद्यालय प्रयागराज में कार्यरत है। याचिका में मांग की गई थी कि याची को पुनरीक्षण वेतनमान यूजीसी छठे व सातवें सेंट्रल पे कमीशन (सीपीसी) के तहत एक जनवरी 2016 से दिया जाए। याची के अधिवक्ता के शरण का कहना था कि यूजीसी की इस योजना का लाभ अन्य विश्वविद्यालयों को मिल रहा है। यहां तक कि विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों के अन्य स्टाफ  को मिल रहा है।

याची डॉ. दीप्ति मिश्रा ने उप कुल सचिव पद के लिए राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत वेतनमान को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याची का कहना था कि विश्वविद्यालय और विश्वविद्यालय से संबद्ध सभी महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षक एवं पुस्तकालयाध्यक्ष को यूजीसी-सीपीसी वेतन दिया जाता है। जबकि, उनकी नियंत्रक निकाय विश्वविद्यालय के कुल सचिव एवं उप कुल सचिव को राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत उनसे न्यून वेतनमान प्रदान किया जाता है। 

राज्य सरकार ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा गया था कि डॉ. मिश्रा को उनकी नियुक्ति के समय इस वेतनमान की जानकारी थी और अन्य विश्वविद्यालयों के कुल सचिव और उप कुल सचिव को यूजीसी वेतनमान इसलिए स्वीकृत किया गया है, क्योंकि वे अलग एक्ट से संचालित हैं।