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लोहरदगा जिला बार सचिव का काउंसिल अध्यक्ष को पत्र

Ranchi/Lohardaga : लोहरदगा जिला बार एसोसिएशन के सचिव अजय कुमार ने झारखंड स्टेट बार काउंसिल को पिछले दिनों एक पत्र लिखा है. काउंसिल के  अध्यक्ष और सचिव को लिखे गये पत्र में उन्होंने कहा है कि जिला अधिवक्ता संघ लोहरदगा अभी भंग नहीं किया गया है एवं उसके पदाधिकारिगण यथावत कार्यरत है. इसके बावजूद भी कुछ स्वार्थी तत्वों के द्वारा एवं कुछ अधिवक्ताओं द्वारा अनाधिकृत रूप से अधिवक्ताओं की बैठक की गई. जिसे किसी भी हालत में मान्यता नहीं दी जा सकती है. आश्चर्य तो तब हुआ. जब यह जानकारी समाचार पत्रों से मिली की स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेन्द्र कृष्णा, काउंसिल के सदस्य और जिला अधिवक्ता संघ रांची के सचिव संजय कुमार विद्रोही और काउंसिल के सदस्य परमेश्वर मंडल  भी उक्त बैठक में सम्मिलित हुए. पढ़ें –सुब्रमण्यम स्वामी ने केंद्र पर लगाया आरोप, कहा- मोदी के कार्यकाल में भारत माता को शर्म से सिर झुकाना पड़ा, हम चीनियों के सामने रेंगते नजर आये  

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बिना पूर्व सूचना के बैठक में भाग लेना दुर्भाग्य पूर्ण

बिना किसी पूर्व सूचना के उनका आगमन लोहरदगा जिला में हुआ और उन्होंने बैठक में भाग लिया जो अत्यन्त दुर्भाग्य पूर्ण है. वर्तमान अधिवक्ता संघ लोहरदगा द्वारा आमसभा में दिनांक 28/05/2022 को लिये गये निर्णय के मुताबिक संघ का चुनाव कराने हेतु निर्णय लिया गया. वह सराहनीय है . इसकी सूचना झारखण्ड राज्य विधिज्ञ परिषद , रांची को दिनांक 28/05/2022 को ही दी जा चुकी है.  संघ के द्वारा मेरे हस्ताक्षर से पूर्व में नियमित अधिवक्ताओं का नाम दिनांक 01/04/2021 को काउंसिल को भेजा जा चुका है. जिसका स्मरण पत्र भी वोटर लिस्ट का सुधार करते हुए. पुनः 20 मई 2022 को संघ द्वारा भेजा गया एवं चुनाव से पूर्व अंकेक्षण 20 जून 2022 तक कराने का आग्रह किया जा चुका है.

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विगत 5-6 माह से अधिवक्ता संघ लोहरदगा के कुछ सदस्य जो पहले अधिवक्ता संघ के सचिव एवं अध्यक्ष रह चुके है. पुनः अध्यक्ष एवं सचिव बनने के लिए उतावले है. और अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए समय – समय पर अधिवक्ताओं को बरगलाने एवं वर्तमान संघ के सदस्यों खासकर सचिव की छवि को धूमिल करने का प्रयास शुरू से करते आ रहे हैं. इस संदर्भ में यह स्पष्ट करना उचित है कि सचिव द्वारा न किसी नये अधिवक्ता सदस्य से राशि लेते हैं और न ही उक्त राशि से संबंधित रसिद निर्गत करने में देर करते है. यह भ्रामक आरोप है.

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नये अधिवक्ता से निर्धारित शुल्क का डिमांड ड्राफ संघ के नाम से ली जाती है

किसी भी अधिवक्ता सदस्यों के नाम के इन्डरोल करने से पूर्व अधिवक्ता संघ के निणर्यानुसार संबंधित नये अधिवक्ता से निर्धारित शुल्क का डिमांड ड्राफ संघ के नाम से ली जाती है. जो संघ के खाते में भुगतान होती है. ऐसी स्थिति में उक्त राशि का दुरुप्रयोग का कोई प्रश्न ही नहीं उठता. जहां तक अधिवक्ता संघ द्वारा वितरित की जाने वाली अंशदान का सवाल है. कुल जमा राशि का जो कि समान भाग में नियमित अधिवक्ताओं के बीच उनके बैंक खाते में दिया जाता है.  वैसे अधिवक्ता जो नौकरी करते है एवं जो नियमित रूप से अधिवक्ता व्यवसाय नहीं करते है या पेंसनधारी है या किसी अन्य व्यवसाय / कार्य / संस्थान में व्यस्त रहते है.  वैसे अयोग्य अधिवक्ताओं को अधिवक्ता संघ द्वारा दी जाने वाली अंशदान से वंचित रखा जाता है. वैसे ही छद्म भेष अधिवक्तागण वर्तमान समय में गलत – शलत अफवा फैलाकर अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए संघ एवं संघ के सचिव को बदनाम करने का कार्य विर्गत दो वर्षों से करते चले आ रहे है .जो किसी भी हालत में सराहनीय नहीं है. बार काउंसिल से इस संबंध में संघ के द्वारा पत्राचार किया गया है. इसके बावजूद भी संबंधित अधिवक्ता के विरूद्ध कोई कारवाई नहीं किये जाने का दुष परिणाम अभी देखने को मिल रहा है.

काउंसिल के अध्यक्ष राजेन्द्र कृष्णा , सदस्य संजय विद्रोही  एवं परमेश्वर मंडल को अनाधिकृत बुलाई गयी बैठक में शामिल नहीं होना चाहिए था., फिर भी उक्त सभी पदाधिकारी उक्त बैठक / आमसभा में शामिल हुए और उपरोक्त तीनों ही पदाधिकारीयों के नामों का दुरूपयोग स्वार्थी तत्वों द्वारा करते हुए. अब दुश प्रचार किया जा रहा है.  जिस पर रोक लगाना अति आवश्यक है. इसी उद्देश्य से इस आवेदन पत्र के माध्यम से अध्यक्ष जी से निवेदन करना चाहता हूं कि आप तीनों पदाधिकारियों द्वारा दिये गये मन्तव्य के मुताबिक अधिवक्ता संघ का चुनाव यथा शीघ्र करायी जाये तथा कुछ अधिवक्ताओं के कुतषित प्रयास को विराम लगायी जाये, ताकि अधिवक्ता संघ का कार्य सुचारू रूप से चलता रहे.

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