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World Population Day 2022: सास और दादी भी समझीं, अब बहुओं से बोल रहीं- बच्चे दो ही अच्छे

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ढेर सारे नाती-नातिन और भरापूरा बड़ा परिवार। बुजुर्गों की इस सोच में बदलाव हो रहा है। अब सास-दादी बहुओं पर अधिक बच्चों का दबाव नहीं डालतीं। ‘बच्चे दो ही अच्छे’ का महत्व समझ छोटे परिवार को तवज्जो दे रही हैं। आगरा जिले में बीते तीन साल में परिवार नियोजन के उपाय अपनाने लोगों में में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। 

सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में पूर्व में आशाएं परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता के लिए घर-घर जाती थीं तो 92 फीसदी परिवारों में महिलाओं की सास और दादी सिर्फ दो बच्चों की बात पर सहमत नहीं होती थीं। कहती थीं कि कम से कम चार से पांच बच्चे तो होने चाहिए। 

अब बुजुर्गों की सोच में बदलाव आ रहा है, वह भी दो बच्चों के परिवार पर जोर दे रही हैं। इसका ही नतीजा है कि बीते तीन साल में परिवार नियोजन के उपाय अपनाने वालों महिलाओं की संख्या बढ़ी है, इसके लिए परिवार के बड़े बुजुर्गों की सोच में बदलाव मुख्य कारण है।

जच्चा-बच्चा की सेहत में भी होता है सुधार 
वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुपमा शर्मा ने बताया कि दो संतान और दोनों में अंतराल होने से जच्चा-बच्चा की सेहत में भी सुधार हो रहा है। जागरूकता के कारण दो बच्चे होने पर प्रसूता की सास नसबंदी कराने की भी कहती हैं। उनका तर्क होता है कि दो ही बच्चे ठीक हैं, इनको ही पढ़ा लिखाकर काबिल बना लिया जाए। 
ये आया है अंतर
परिवार नियोजन उपाय
2021
2019
पुरुष नसबंदी
49
52
महिला नसबंदी
9513
9410
कॉपर टी
33647
41230
अंतरा इंजेक्शन
9689
 7801
गर्भ निरोधक गोलियां
153436
117978

विस्तार

ढेर सारे नाती-नातिन और भरापूरा बड़ा परिवार। बुजुर्गों की इस सोच में बदलाव हो रहा है। अब सास-दादी बहुओं पर अधिक बच्चों का दबाव नहीं डालतीं। ‘बच्चे दो ही अच्छे’ का महत्व समझ छोटे परिवार को तवज्जो दे रही हैं। आगरा जिले में बीते तीन साल में परिवार नियोजन के उपाय अपनाने लोगों में में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। 

सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में पूर्व में आशाएं परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता के लिए घर-घर जाती थीं तो 92 फीसदी परिवारों में महिलाओं की सास और दादी सिर्फ दो बच्चों की बात पर सहमत नहीं होती थीं। कहती थीं कि कम से कम चार से पांच बच्चे तो होने चाहिए। 

अब बुजुर्गों की सोच में बदलाव आ रहा है, वह भी दो बच्चों के परिवार पर जोर दे रही हैं। इसका ही नतीजा है कि बीते तीन साल में परिवार नियोजन के उपाय अपनाने वालों महिलाओं की संख्या बढ़ी है, इसके लिए परिवार के बड़े बुजुर्गों की सोच में बदलाव मुख्य कारण है।