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सीएम योगी ऑफिस के ट्वीट से बढ़ा तुलसीदास की जन्मस्थली का विवाद, भड़के सोरों के लोग, दिए कई तर्क

कासगंज: रामचरित मानस के रचियता महाकवि संत तुलसीदास जी की जन्मभूमि से विवाद एक बार फिर से तूल पकड़ गया है। यूपी के मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी किए गए ट्वीट को लेकर तीर्थ धाम सोरों जी के निवासियों ने गहरी नाराजगी दर्ज कराई है। मुख्यमंत्री कार्यालय से किए गए ट्वीट में संत तुलसीदास जी की जन्मभूमि को राजापुर में बताया गया है। तुलसीदास जी की जन्मभूमि को राजापुर बताने पर मुख्यमंत्री कार्यालय के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर रिप्लाई में सोरों के ट्विटर यूजर्स ने जमकर विरोध दर्ज किया है।

10 वर्ष पूर्व तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी तुलसीदास जी की जन्मभूमि को राजापुर बताया था, जिसके बाद सोरों जी में जमकर विरोध प्रदर्शन देखे गए थे। इसके बाद अखिलेश यादव ने अपना बयान वापस ले लिया था। अब वर्तमान मुख्यमंत्री कार्यालय के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से तुलसीदास जी की जन्मभूमि को राजापुर बताना सोरों के लोगों को भारी तौर पर अखर गया है।

सीएम ऑफिस के हैंडल से किया गया ट्वीट
दो दिन पहले 23 जुलाई को 23.34 बजे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ऑफिस के आधिकारिक और वेरिफाइड ट्विटर हैंडल @myyogioffce से यह ट्वीट जारी किया था। इसमें “संत तुलसीदास की जन्म स्थली राजापुर के पर्यटन विकास की कार्ययोजना को समयबद्ध ढंग से पूर्ण कराएं। राजापुर में रामलीला मंचन के लिए व्यवस्थित मंच तैयार कराया जाए। यहां पुस्तकालय की स्थापना भी कराई जाए।” इस बयान के बाद तीर्थ धाम सोरों के नागरिकों में गहरी नाराजगी देखने को मिली। ट्विट का विरोध करते हुए तमाम ट्विटर यूजर्स ने राजापुर को तुलसीदास जी की जन्मभूमि बताने पर रिप्लाई एवं कमेंट सेक्शन में टिप्पणी कर यह साक्ष्य प्रस्तुत किए कि तुलसीदास जी की जन्मभूमि राजापुर नहीं बल्कि सोरों जी है।

पीएम और सीएम ने खूद को विवाद से दूर रखा
तुलसीदास जी पर पीएचडी करने वाले प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र मिश्रा ने लिखा कि वर्ष 1947 से अब तक PM व CM ने गोस्वामी तुलसीदास की जन्मभूमि से जुड़े विवाद से अपने को दूर रखा है। वर्ष 1874 में तुलसीदास स्थापित राजापुर सरकारी अभिलेखों में आया। आप शासक महापुरुषों के जन्मस्थान निर्णायक उद्घोषक कैसे बन गए। इससे विभ्रम पैदा होगा, जनमन की आस्था कुंठित होगी। प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र मिश्रा कहते हैं कि अंग्रेज सरकार द्वारा तैयार किए गए 4 अलग-अलग गजेटियर में यह स्पष्ट रूप से लिखा है कि तुलसीदास जी की जन्मभूमि सोरों जी ही है।

सोरों जी में हो पर्यटन का विकास
सोरों के तीर्थ पुरोहित राहुल वशिष्ठ ने बांदा के गजेटियर की उस प्रमाणित प्रतिलिपि को कमेंट सेक्शन में पोस्ट किया। इसमें लिखा है कि “अकबर के शासनकाल में जिला एटा (वर्तमान में कासगंज) के सोरों निवासी एक पवित्र व्यक्ति तुलसीदास जी जो कि यमुना नदी के तट पर जंगल में आए, जहां आज राजापुर मौजूद है। इसी क्रम में पत्रकार पंकज पाराशरी ने टिपप्णी करते हुए लिखा कि तुलसीदास जी ने यह स्वयं लिखा है कि “मैं पुनि निज सुनी कथा सो सूकरखेत”। वराह पुराण के अनुसार वास्तविक सूकरखेत सोरों गंगा किनारे स्थित है, यानी राजापुर के बजाय सोरों जी में पर्यटन विकास और रामलीला मंचन के लिए व्यवस्थाएं बनाने का निर्देश दें।

गृहमंत्री भी बता चुके हैं तुलसीदास जी का जन्मस्थान
तीर्थधाम सोरों जी के तीर्थ पुरोहित और सोरों जी तीर्थ नगरी घोषित कराने के प्रमुख आंदोलनकारी भूपेश शर्मा ने भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि महाकवि तुलसीदास जन्मस्थान के लिए राज्य सरकार द्वारा बार-बार तूल देना और कर्म स्थान राजापुर को जन्मस्थान बताना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। जब तुलसीदास जी के चचेरे भाई और कृष्ण भक्ति शाखा के कवि स्वामी नंददास जी का जन्मस्थान सोरों जी का ग्राम रामपुर श्यामसर है, तो तुलसीदास जी का जन्मस्थान राजापुर कैसे हो सकता है। कासगंज के मंच से देश के गृहमंत्री अमित शाह भी यह स्पष्ट कर चुके हैं कि कासगंज का सोरों जी ही तुलसीदास जी का जन्मस्थान है।
रिपोर्ट – अमित तिवारी

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