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देश के लिए गर्व का लम्हा है परमाणु

भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री में ऐतिहासिक घटनाओं पर ऐसी बहुत कम फ़िल्में बनी हैं जो आधिकारिक तौर पर इतिहास पर नज़र डालती हो। कुछ फ़िल्में बंटवारे को लेकर बनी तो कुछ फ़िल्में जातिवाद को लेकर भी बनी। कुछ गिनी-चुनी फ़िल्में जैसे ’26/1′ या ‘ब्लैक फ्राइडे’ हैं जो सच्ची घटनाओं पर सिलसिलेवार नज़र डालती हैं, उसी कड़ी को आगे बढ़ाती हुई फ़िल्म है- ‘परमाणु: द स्टोरी ऑफ़ पोखरण’!
1974 में जब भारत ने अपने पहला परमाणु परीक्षण किया था तो उसके बाद अमेरिका की ओर से कई आर्थिक और राजनीतिक पाबंदी हम पर लगाये गये! इस दौरान सोवियत संघ के विघटन के बाद हमें किसी भी बड़े देश का साथ नहीं मिला। पाकिस्तान के साथ चीन और कई मायने में अमेरिका भारत की सुरक्षा को लेकर चिंता का विषय बनता जा रहा था। साथ ही साथ हम फिर से परमाणु परीक्षण ना कर पाये इसके लिए लगातार गुप्तचर व्यवस्थाओं का सहारा लिया जा रहा था। साथ ही अमेरिकी सैटेलाइट पोखरण रेंज पर लगातार आसमान से नज़र रखे हुए थे। ऐसे में भारत के लिए परमाणु परीक्षण करना असंभव सा था और सुरक्षा के मद्देनजर परमाणु परीक्षण करना जरूरी भी था!