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परिषदीय विद्यालयों में बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु उनके शैक्षिक उपलब्धि स्तर को बढ़ाने के किए जा रहे प्रयास

बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित परिषदीय विद्यालयों में बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु उनके शैक्षिक उपलब्धि स्तर को बढ़ाने के साथ-साथ उनके व्यक्तित्व संबंधी अन्य आयामों जैसे-शारीरिक क्षमता, चपलता, मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक व्यवहार आदि को भी आयु अनुरूप विकसित करने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। इस कार्य में शिक्षकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका के दृष्टिगत शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के मध्य विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिये बेहतर एवं आत्मीय संबंध ;ज्मंबीमत-ैजनकमदज त्मसंजपवदेीपचद्ध बनाया जाना आवश्यक है।
इस सम्बन्ध में राज्य परियोजना निदेशक कार्यालय निशातगंज लखनऊ द्वारा आवश्यक निर्देश जारी कर दिये गये हैं। जारी निर्देश में कहां गया है कि सीखने की प्रक्रिया को सुगम, सहज और आनन्ददायक बनाना, कक्षायी प्रक्रियाओं को बेहतर एवम् संवादात्मक बनाना, विषय-वस्तु आधारित सही और स्पष्ट अवधारणात्मक समझ का विकास, आस-पास के वातावरण में बिखरे उदाहरणों के माध्यम से सीखने पर बल देना, तार्किकता के साथ अपने रोजमर्रा के जीवन में प्रयोग करना, रचनात्मकता, तार्किक सोच एवम् निर्णय लेने की क्षमताओं की दक्षता को बढ़ावा देना, बहुआयामी खेल, खोज एवम् गतिविधि आधारित शिक्षण को बढ़ावा देना, शिक्षण को नवीन और अनुभवात्मक विधियों के माध्यम से समृद्ध करना, बच्चों द्वारा रचनात्मक रूप से सीखना तभी संभव हो पाता है, जब उनका जुड़ाव शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया के साथ हो, बच्चों को विद्यालयी वातावरण से सहज होने तथा भावनात्मक रूप से सुदृढ़ करने के लिए शिक्षकों द्वारा बच्चों को विषय से संबंधित विभिन्न गतिविधियों के साथ-साथ खेल गतिविधियां भी कराई जानी अति आवश्यक हैं। यह प्रभावी ढंग से तभी संभव हो पाता है, जब विद्यालय, शिक्षकों तथा बच्चों के मध्य एक सार्थक व स्वस्थ संबंध स्थापित हो। बच्चों की जिज्ञासा को दूर करने तथा समस्याओं को हल करने की क्षमता के विकास के लिये सकारात्मक एवम् रचनात्मक माहौल अत्यावश्यक है। इसके लिये बहुआयामी तरीके से कार्य किया जाना चाहिये। एक अच्छा शिक्षण-अधिगम वातावरण बनाना और नये विचारों के माध्यम से नवीनता लाना आज के शैक्षिक परिदृश्य का सबसे बड़ा लक्ष्य होना चाहिए।
इन उद्देश्यों की प्राप्ति एवं शिक्षक-विद्यार्थी संबंध को सुदृढ़ करने के लिये एक अभियान प्रारंभ किया जा रहा है, जिसकी विस्तृत रूपरेखा एवं समय-सारिणी तैयार की गई है। इसमें माह अगस्त 2022 से दिसम्बर, 2022 के मध्य साप्ताहिक तौर पर विभिन्न गतिविधियाँ की जायंेगी । प्रत्येक विद्यालय के शिक्षकों द्वारा इन गतिविधियाँ को निर्धारित समय-सारिणी के अनुरूप क्रियान्वित करना है। गतिविधियों का प्रभावी ढंग से कियान्वयन सुनिश्चित करने हेतु इन रणनीतियों का प्रयोग सुनिश्चित किया जाये, अनुश्रवण इन साप्ताहिक गतिविधियाँ प्रेरणा एक्टिविटी मॉड्यूल में अनिवार्य रूप से प्रधानाध्यापकों एवं शिक्षकों द्वारा अपलोड की जायेंगी। बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिये शिक्षकों द्वारा विद्यालय में करायी जाने वाली उत्कृष्ट गतिविधियों, क्रियाकलापों की सराहना करते हुये उन्हें पुरस्कृत भी किया जायेगा। खण्ड शिक्षा अधिकारी एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा इन गतिविधियों का अनुश्रवण करते हुये शिक्षकों को अपेक्षित मार्गदर्शन भी प्रदान किया जायेगा। इसके साथ ही संपादित गतिविधियों की विद्यालयवार विकासखण्डवार एवं जनपदवार समीक्षा खण्ड शिक्षा अधिकारी एवम् जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के माध्यम से की जायेगी। सहयोगात्मक पर्यवेक्षणः एस.आर.जी./ए.आर.पी./ डायट मेंटर द्वारा प्रत्येक सप्ताह विद्यालय पर्यवेक्षण के दौरान यह देखा जाये कि गतिविधियों के अनुसार शिक्षण कार्य कराया जा रहा है अथवा नहीं। इसके साथ ही उनके द्वारा इन गतिविधियों के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु शिक्षकों को अपेक्षित सहयोग भी प्रदान किया जायेगा।
शिक्षक संकुल की बैठकों में भी विद्यालयों में इन गतिविधियों के प्रभावी क्रियान्वयन पर चर्चा करते हुये आवश्यकतानुसार प्रस्तुतीकरण किया जाएगा। विद्यालयों में शिक्षक-विद्यार्थी के मध्य आत्मीय संबंध विकसित करने तथा उसे सुदृढ़ बनाने के लिये साप्ताहिक गतिविधियों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित कराते हुये इसकी नियमित समीक्षा भी की जाये। विद्यालयी एवम् प्रशासकीय व्यवस्था के प्रत्येक स्तर पर रचनात्मक एवम् सहयोगी कार्य संस्कृति का विकास एवम् सर्वसंबंधित को अभिप्रेरित करते हुये सीखने के अनुकूल वातावरण का सृजन किया जाये।