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पंच प्रण से 25 वर्षों में विकसित बनेगा भारत

भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे हो गए हैं और हम 76वें वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं। देश ने आजादी का अमृत महोत्सव काफी धूमधाम से मनाया। इसके साथ ही लाल किले की प्राचीर से पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में आजादी के ‘अमृत कालÓ में ‘पंच प्रणÓ के संकल्प का आह्वान किया है, जो देश की आजादी के 100 वर्ष पूरे होने पर देश की स्थिति का, एक तरह से कहा जाए तो ब्लूप्रिंट के समान है। वर्ष 2047 में देश की आजादी के 100 वर्ष पूरे हो जाएंगे और पीएम मोदी ने इस पंच प्रण को स्वर्णिम काल तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है।

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि पीएम मोदी द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर लिया गया ‘स्वर्णिम भारत के ‘पंच प्रणÓ का संकल्प आखिर क्या है? क्यों पीएम मोदी ने ‘पंच प्रणÓ का संकल्प लेने की ठानी? इस पंच प्रण का क्या उद्देश्य हैं? साथ ही पीएम मोदी ने आने वाले 25 वर्षों को देश के लिए क्यों सबसे महत्वपूर्ण बताया है?प्रधानमंत्री मोदी के ‘पंच प्रणÓ में पहला बड़ा संकल्प है- विकसित भारत। उन्होंने कहा कि अब देश बड़े संकल्प लेकर चलेगा। छोटे-छोटे संकल्प का अब समय नहीं है। आने वाले 25 वर्षों में हमें किसी भी कीमत पर विकसित भारत चाहिए, उससे कुछ कम नहीं होना चाहिए।

पीएम ने कहा कि स्वच्छता अभियान, कोरोना वैक्सीनेशन अभियान, ढाई करोड़ लोगों को बिजली कनेक्शन, खुले में शौच से मुक्ति, रिन्यूअल एनर्जी, हम सभी मानकों पर संकल्प से आगे बढ़ रहे हैं। इन्हीं सभी बड़ी चीज़ों ने भारत के विकसित देश की नींव डाली है।पीएम मोदी के ‘पंच प्रणÓ में दूसरा संकल्प ‘गुलामी से मुक्तिÓ है। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि हमारे मन के भीतर किसी भी कोने में गुलामी का एक भी अंश न बचा रहे। यदि जरा भी गुलामी है तो उसको किसी भी हालत में बचने नहीं देना है। उसे उखाड़ फेंकना है।

सैकड़ों सालों की गुलामी ने जो हमें जकड़कर रखा है, हमें उससे 100 फीसदी मुक्ति पानी ही होगी। क्योंकि गुलामी किसी भी देश को दीमक की तरह धीरे-धीरे खा जाती है, जिसका लंबे समय बाद पता चलता है।पीएम मोदी ने कहा कि हमें अपने देश की विरासत पर गर्व होना चाहिए। हमें अपने सामथ्र्य पर भरोसा होना चाहिए। इसी विरासत ने भारत को कभी स्वर्ण काल दिया था। हमें अपनी पारिवारिक व्यवस्था पर भी गर्व करना है। हमारी विरासत को दुनिया सराह रही है। भारत की जीवनशैली से दुनिया प्रभावित है। सबके सुख और सबके आरोग्य की बात करना हमारी विरासत की प्राथमिकता है। हम वे लोग हैं जो जीव में शिव देखते हैं। हमें दुनिया से किसी प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं। देश को अपना एक मानक बनाना होगा। हम अपनी धरती से जुड़ेंगे, तभी ऊंचा उड़ेंगे। ग्लोवल वार्मिंग के हल के लिए दुनिया भारत की ओर देख रही है। हमारे पास दुनिया को देने के लिए बहुत कुछ है। भारत के पास अनमोल क्षमता है। हमारा अनुभव कहता है कि एक बार अगर हम सब संकल्प लेकर पथ पर चल पड़ें तो हम निश्चित ही निर्धारित लक्ष्यों को कैसे भी पार कर लेते हैं।

  1. एकता और एकजुटता
    पीएम मोदी ने कहा कि हमें अपनी देश की विविधता को बड़े उल्लास से मनाना चाहिए। लैंगिक समानता, फस्र्ट भारत, देश के श्रमिकों का सम्मान इसी कड़ी का महत्वपूर्ण हिस्सा है। देश में नारी का अपमान एक प्रमुख विकृति है, जिससे निजात पाने का रास्ता हर हाल में खोजना ही होगा। जब हम अपनी धरती से जुड़ेगे, तभी हम ऊंची उड़ान भरेंगे तभी विश्व को समाधान दे पाएंगे। क्योंकि किसी देश की सबसे बड़ी ताक़त उस देश की एकता और एकजुटता में लीन होती है। अगर ये न हों तो देश के पतन की शुरुआत होने लगती है।
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  2. नागरिकों का कर्तव्य
    पीएम मोदी ने कहा कि नागरिकों का कर्तव्य देश और समाज की प्रगति का रास्ता तैयार करता है। यह मूलभूत प्रणशक्ति है। देश के प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति भी इससे बाहर नहीं हैं। बिजली की बचत, खेतों में मिलने वाले पानी का पूरा इस्तेमाल, केमिकल मुक्त खेती, हर कीमत पर भ्रष्टाचार से दूरी आदि हर क्षेत्र में नागरिकों की जिम्मेदारी और भूमिका बनती है। किसी देश का प्रत्येक नागरिक अगर अपना कर्तव्य निष्ठा पूर्वक निभाने लगे तो देश हमेशा मजबूती से खड़ा रहता है और हर क्षेत्र में आगे बढ़ता रहता है। आने वाले 25 वर्ष के लिए हमें भी उन पंच प्रण पर अपनी शक्ति को केंद्रित करना होगा। हमें पंच प्रण को लेकर वर्ष 2047 तक चलना है, जब आजादी के 100 वर्ष पूरे होंगे। हमें आजादी के दिवानों के सारे सपने पूरे करने का जिम्मा उठाकर चलना होगा।
    आपको बताते चलें कि पीएम मोदी ने स्वयं इस बात को स्पष्ट किया कि आजादी के इतने दशकों के बाद पूरे विश्व का भारत की तरफ देखने का नजरिया बदल चुका है। समस्याओं का समाधान दुनिया भारत की धरती पर खोजने लगी है। विश्व का ये बदलाव, विश्व की सोच में ये परिवर्तन 75 वर्ष की हमारी यात्रा का परिणाम है। उन्होंने अपने इस ‘पंच प्रणÓ के माध्यम से आने वाले 25 वर्षों का एक बेहतरीन ब्लू प्रिंट तैयार कर दिया है, जो अगर सफलतापूर्वक पूरा हो जाए तो वो दिन दूर नहीं जब हमारा देश एक विकाशसील देश से एक विकसित देश के रूप में स्थापित हो जाएगा।