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UP News: गौशाला संचालक सरकारी धन से भर रहे हैं अपना पेट, भूख से गोवंश तोड़ रहे दम

बांदा: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार गोवंश के संरक्षण पर विशेष ध्यान दे रही है। इसके लिए कई सरकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसमें खाने से लेकर चिकित्सा तक की व्यवस्था की गई है, लेकिन यह सुविधाएं केवल कागजों तक सीमित होकर रह गई हैं। संरक्षित गोवंश गौशाला में भूख या बीमारी से दम तोड़ रहे हैं। इस मामले में गौशाला संचालकों के खिलाफ कोई कार्रवाई न होने से गोवंश के संरक्षण में लगातार लापरवाही बढ़ती जा रही है।

ब्लॉक स्तर से लेकर गांव स्तर तक सैकड़ों की तादाद में गौशाला बनाए गए हैं। इनमें 47658 निराश्रित गौवंश हैं, इन्हें संरक्षित किए जाने का दावा किया जा रहा है। लेकिन इन गौशालाओं की भयावह है स्थिति है, क्योंकि यहां ठूंस-ठूंस कर गोवंशों को रखा जाता है। खाने के नाम पर सूखी हुई पुआल डाल दी जाती है, जिससे गोवंश भूखे रहकर बीमारी के शिकार होते हैं। जब इनकी मौत हो जाती है तो शवों को या तो कहीं दफना दिया जाता है या फिर नदी नालों में फेंकवा दिया जाता है। यह सिलसिला लगातार देखने को मिल रहा है।

अतर्रा के कान्हा गौशाला में हो चुकी है मौत
अभी इसी महीने की शुरुआत में अतर्रा के कान्हा गौशाला में एक दर्जन गोवंशों की मौत हो गई थी। वहां भाजपा के कुछ नेता पहुंचे तो मृत गोवंशों के शवों को भूसे में छुपाने की कोशिश की गई थी। बाद में इस मामले की जांच कमिश्नर ने की और एसडीएम और ईओ नगर पालिका को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था। अभी अतर्रा स्थित गौशाला का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि अब नरैनी तहसील में एक दर्जन गोवंशो के मरने की खबर है।

रगौली भटपुरा में एक दर्जन गोवंशों की मौत
इस बारे में विश्व हिंदू महासंघ गौ रक्षा समिति नरैनी के अध्यक्ष सोनू ने बताया कि रगौली भटपुरा में बृहद कान्हा कहां गौशाला है। इसमें संरक्षित गोवंश की हालत बहुत दयनीय है। यहां 22 से 23 अगस्त के बीच एक दर्जन गोवंश की मौत हो गई है। इसके बाद गोशाला के कर्मचारी ने गोवंशों के शवों को नाले फेंकवा दिया। इन्हें चील कौवे खाते हुए नजर आए। यह जानकारी मिलने पर गौरक्षा समिति के कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे तो गौशाला में गंदगी पाई, साथ ही पर्याप्त भूसा चारा न मिलने से कई गोवंशों की हालत मरणासन्न मिली।

गोपाल गो सेवा ट्रस्ट प्रयागराज करता है देखरेख
इस गौशाला का संचालन गोपाल गो सेवा ट्रस्ट प्रयागराज की संचालिका नीलम सिंह द्वारा किया जा रहा है। इस संबंध में जब उन्हें जरिए मोबाइल जानकारी दी गई तो उन्होंने कार्यकर्ताओं से अभद्रता करते हुए बातचीत की। गौरक्षा समिति का कहना है कि गौशालाओं में गोवंशों के इलाज के लिए डॉक्टरों की तैनाती है, लेकिन डॉक्टर यहां नहीं जाते हैं। साथ ही पेट भर चारा भूसा न मिलने से इन गोवंशों की मौत हो रही है। प्रशासन भी जानकर अनजान बना हुआ है। वहीं मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि जिले में 47658 निराश्रित गौवंश हैं, जिन्हें गौशाला में संरक्षित किया जा रहा हैं।
रिपोर्ट – अनिल सिंह