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हाईकोर्ट : पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय के परिचितों को न्यायालय से शर्तों के साथ मिली राहत

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विधानसभा चुनाव 2017 के दौरान हुई घटना में पूर्व मंत्री रहे रामवीर उपाध्याय के परिचितों शशिकांत शर्मा, चिंटू गौतम, रामेश्वर उपाध्याय, विनोद उपाध्याय, चिरागवीर उपाध्याय को शर्तों के साथ राहत दी है। कोर्ट ने सत्र न्यायालय की ओर से जारी आदेश पर कोई राय नहीं दी। कहा कि वह इस स्तर पर यह नहीं कह सकती कि आदेश में कोई त्रुटि है।

हालांकि, शर्तों के साथ पुलिसिया उत्पीड़न पर रोक लगा दी है और याची को डिस्चार्ज (उन्मुक्त) अर्जी दाखिल करने की छूट दी है। साथ ही सत्र न्यायालय को निर्देश दिया है कि वह डिस्चार्ज अर्जी पर तीन महीने में सुनवाई कर न्यायिक विवेक का इस्तेमाल करते हुए आदेश पारित करे। यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने शशिकांत शर्मा, विनोद उपाध्याय व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।

मामले में याचियों को विधान सभा चुनाव-2017 के दौरान हुई फायरिंग में पुष्पेंद्र की मौत के मामले में आरोपी बनाया गया है। याचियों के खिलाफ हाथरस के सहपाउ थाने में आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 323, 307, 504 और एससी/एटी एक्ट के तहत मृतक के पिता राम हरि शर्मा की ओर से प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। मामले में कुल 17 लोगों को आरोपी बनाया गया था।

विशेष सत्र न्यायालय ने मामले याचियों के विरोधी पक्षों की प्रोटेस्ट अर्जी को स्वीकार करते हुए पुलिस की ओर से दाखिल क्लोजर रिपोर्ट को निरस्त कर दिया था और याचियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया था। याचियों ने सत्र न्यायालय के इस आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दाखिल की गई।

जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मामले में कोई विचार न व्यक्त करते हुए कहा कि याचियों को 30 सितंबर तक पहले सत्र न्यायालय में निजी मुचलके के साथ उपस्थित होना होगा। तब उनके खिलाफ पुलिसिया उत्पीड़नात्मक कार्रवाई नहीं होगी। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद याचियों की ओर से डिस्चार्ज अर्जी दाखिल की जा सकती है। विशेष सत्र न्यायालय डिस्चार्ज अर्जी पर तीन महीने में सुनवाई पूरी कर आदेश पारित करेगा।

विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विधानसभा चुनाव 2017 के दौरान हुई घटना में पूर्व मंत्री रहे रामवीर उपाध्याय के परिचितों शशिकांत शर्मा, चिंटू गौतम, रामेश्वर उपाध्याय, विनोद उपाध्याय, चिरागवीर उपाध्याय को शर्तों के साथ राहत दी है। कोर्ट ने सत्र न्यायालय की ओर से जारी आदेश पर कोई राय नहीं दी। कहा कि वह इस स्तर पर यह नहीं कह सकती कि आदेश में कोई त्रुटि है।

हालांकि, शर्तों के साथ पुलिसिया उत्पीड़न पर रोक लगा दी है और याची को डिस्चार्ज (उन्मुक्त) अर्जी दाखिल करने की छूट दी है। साथ ही सत्र न्यायालय को निर्देश दिया है कि वह डिस्चार्ज अर्जी पर तीन महीने में सुनवाई कर न्यायिक विवेक का इस्तेमाल करते हुए आदेश पारित करे। यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने शशिकांत शर्मा, विनोद उपाध्याय व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।

मामले में याचियों को विधान सभा चुनाव-2017 के दौरान हुई फायरिंग में पुष्पेंद्र की मौत के मामले में आरोपी बनाया गया है। याचियों के खिलाफ हाथरस के सहपाउ थाने में आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 323, 307, 504 और एससी/एटी एक्ट के तहत मृतक के पिता राम हरि शर्मा की ओर से प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। मामले में कुल 17 लोगों को आरोपी बनाया गया था।

विशेष सत्र न्यायालय ने मामले याचियों के विरोधी पक्षों की प्रोटेस्ट अर्जी को स्वीकार करते हुए पुलिस की ओर से दाखिल क्लोजर रिपोर्ट को निरस्त कर दिया था और याचियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया था। याचियों ने सत्र न्यायालय के इस आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दाखिल की गई।

जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मामले में कोई विचार न व्यक्त करते हुए कहा कि याचियों को 30 सितंबर तक पहले सत्र न्यायालय में निजी मुचलके के साथ उपस्थित होना होगा। तब उनके खिलाफ पुलिसिया उत्पीड़नात्मक कार्रवाई नहीं होगी। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद याचियों की ओर से डिस्चार्ज अर्जी दाखिल की जा सकती है। विशेष सत्र न्यायालय डिस्चार्ज अर्जी पर तीन महीने में सुनवाई पूरी कर आदेश पारित करेगा।